पिया मोर बसै गउरगढ़ मैं बसौं प्राग हों धरनीदास भजन / Bhajan Piya Mor Basai Dharanidas Bhajan

 

पिया मोर बसै गउरगढ़ मैं बसौं प्राग हों
सहजहिं लागू सनेह, उपजु अनुराग हो।
असन बसन तन भूषन भवन न भावै हो।
पल-पल समुझि सुरति मन, गहवरि आवै हों
पथिक न मिलहि सजन जन, जिनहिं जनावों हो।
विहवल विकल विलखि चित, चहुँदिसि धावों हों
होई अस मोहिं लेजाय कि, ताहि ले आवै हो।
तेकरि होइबों लउँडिया, जे रहिया बतावै हो।
तबहिं त्रिया पत जाय, दोसर जब चाहै हो।
एक पुरूष समरथ धन, बहुत न चाहै हो।
धरनी गति नहिं आनि, करहु जस जानहु हो।
मिलहु प्रगट पट खोलि, भरम जनि मानहु हो। 

राम बिन भाव करम नहिं छूटै धरनीदास भजन / Ram Bin Bhav Karam Nahin Chhootai Dharanidas Bhajan

अजहूँ मिलो मेरे प्रान पियारे धरनीदास भजन Ajahun Milo Mere Pran Piyare Dharnidas Bhajan

अजहूँ मिलो मेरे प्रान पियारे धरनीदास भजन Ajahun Milo Mere Pran Piyare Dharnidas Bhajan

आदि अनादि मेरा सांई धरनीदास भजन / Aadi Anadi Mera Sain Dharnidas Bhajan

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