फूल एक फूलेला बलमजी के देसवाँ शिवनारायण भजन / Bhajan Phool Ek Phoolela Balamji Ke Deswaan Shivnarayan Bhajan

 

फूल एक फूलेला बलमजी के देसवाँ, सतगुरु दिहले लखाय हो।
नैन सनेहिया सोई फूल निरखत, मन मोरा रहले लोभाइ हो।
नयन कँवल जल तीनो सोहावन, भौंरा गुँजेला तेहि बीच हो।
वाके डार पात नहिं शाखा, नहिं कादो नहिं कीच हो।
एक दिन मन मोरा उलटि समाना, देखलौं पिया के अवेस हो।
झिलमिल ज्योति झलामल लौके, पावल वास विलास हो।
सुखमन घटिया के साँकर बटिया, हम धन अलप वयेस हे।
हमरो बलमुवाँ नयनवाँ के सागर, जहवाँ धइल मोरि बाँह हो।
घटिया ऊपर एक बंगला छववलो, सुन्दर सेज बिछाय हो।
‘शिवनारायन’ मंगल गावल, संतन लेहु विचार हो।

Laal Kavi ki Rachnaen pad

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