जो करुणाकर तुम्हारा ब्रज में फिर अवतार हो जाए बिन्दु जी भजन

 Bhajan JoKarunakar Tumhara Braj Mein Fir Avtar Ho Jaye Bindu Ji Bhajan

जो करुणाकर तुम्हारा ब्रज में फिर अवतार हो जाए।
तो भक्तों का चमन उजड़ा हुआ गुलजार हो जाए।
ग़रीबों को उठा ले सांवले गर अपने हाथों से।
तो इसमें शक नहीं दीनों का जीर्णोद्धार हो जाए।
लुटा कर दिल जो बैठे हैं वो रो-रोकर ये कहते हैं।
किसी सूरत से सुंदर श्याम का दीदार हो जाए॥
बजा दो रस-मयी अनुराग कि वह बाँसुरी अपनी।
कि जिसकी तान का हर तन में पैदा तार हो जाए॥
पड़ी भवसिन्धु में दोनों दृग ‘बिन्दु’ की नैया।
कन्हैया तुम सहारा दो तो बेड़ा पार हो जाए॥ 

Comments

Popular Posts

Ahmed Faraz Ghazal / अहमद फ़राज़ ग़ज़लें

अल्लामा इक़बाल ग़ज़ल /Allama Iqbal Ghazal

Ameer Minai Ghazal / अमीर मीनाई ग़ज़लें

मंगलेश डबराल की लोकप्रिय कविताएं Popular Poems of Manglesh Dabral

Ye Naina Ye Kajal / ये नैना, ये काजल, ये ज़ुल्फ़ें, ये आँचल

Akbar Allahabadi Ghazal / अकबर इलाहाबादी ग़ज़लें

Sant Surdas ji Bhajan lyrics संत श्री सूरदास जी के भजन लिरिक्स

Adil Mansuri Ghazal / आदिल मंसूरी ग़ज़लें

बुन्देली गारी गीत लोकगीत लिरिक्स Bundeli Gali Geet Lokgeet Lyrics

Mira Bai Ke Pad Arth Vyakhya मीराबाई के पद अर्थ सहित