Bhajan Jinki MadhurMohani Shobha Lakhi Drig Hot Nihal Bindu Ji Bhajan
जिनकी मधुर मोहनी शोभा लखि दृग होत निहाल,
जो ब्रजवासिन के प्रिय बल्लभ सखा स्नेही ग्वाल।
ब्रज गोपीन के श्याम सलोने प्राणनाथ गोपाल,
जिनके मुख मुरलिया मनोहर गावत गीत रसाल।
मोर मुकुट पीताम्बर कटि तट चलत त्रिभंगी चाल,
राजत रोली तिलक ‘बिन्दु’ श्रीयदुकुल भूषण भाल॥
No comments:
Post a Comment