अमृत नीक कहै सब कोई, पीय बिना अमर नहिं होई।
कोई कहै अमृत बसै पताल, नर्क अंत नित ग्रासै काल।
कोई कहै अमृत समुंदर माहिं, बड़वाअगिन क्यों सोखत ताहिं।
कोई कहै अमृत ससि में बास, घटै बढ़ै क्यों होइहै नास।
कोई कहै अमृत सुरगां मांहि देव पिवैं क्यों खिर खिर जाहिं।
सब अमृत बातों का बात, अमृत हे संतन के साथ।
दरिया अमृत नाम अनंत, जाको पी पी अमर भये संत।
जो कोई भक्ति किया चहे भाई धरनीदास भजन / Bhajan Jo Koi Bhakti Kiya Chahe Bhai Dharnidas Bhajan
पिया मोर बसै गउरगढ़ मैं बसौं प्राग हों धरनीदास भजन / Bhajan Piya Mor Basai Gaurgarh Main Dharanidas Bhajan
प्रभुजी तोकह लाज हमारी धरनीदास भजन / Bhajan Prabhuji Tokah Laaj Hamari Dharanidas Bhajan
प्रभुजी अब जनि मोंहि बिसारो धरनीदास भजन / Bhajan Prabhuji Ab Jani Mohi Visaro Dharanidas Bhajan
No comments:
Post a Comment