अबिनासी दुलहा कब मिलिहौ भक्तन के रछपाल कबीर भजन /Abinasi Dulha Kab Mili hau Kabir Bhajan

 

अबिनासी दुलहा कब मिलिहौ, भक्तन के रछपाल॥टेक॥
जल उपजल जल ही से नेहा, रटत पियास पियास।
मैं बिरहिनि ठाढ़ी मग जोऊँ, प्रीतम तुम्हरी आस॥1॥
छोड़्यो गेह नेह लगि तुमसे, भई चरन लौलीन।
तालाबेलि होत घट भीतर, जैसे जल बिन मीन॥2॥
दिवस न भूख रैन नहिं निद्रा, घर अँगना न सुहाय।
सेजरिया बैरिनि भइ हमको, जागत रैन बिहाय॥3॥
हम तो तुम्हरी दासी सजना, तुम हमरे भरतार।
दीनदयाल दया करि आओ, समरथ सिरजनहार॥4॥
कै हम प्रान तजतु हैं प्यारे, कै अपनी करि लेव।
दास कबीर बिरह अति बाढ़्यो, अब तो दरसन देव॥5॥


Comments

Popular Posts

Ahmed Faraz Ghazal / अहमद फ़राज़ ग़ज़लें

अल्लामा इक़बाल ग़ज़ल /Allama Iqbal Ghazal

Ameer Minai Ghazal / अमीर मीनाई ग़ज़लें

मंगलेश डबराल की लोकप्रिय कविताएं Popular Poems of Manglesh Dabral

Ye Naina Ye Kajal / ये नैना, ये काजल, ये ज़ुल्फ़ें, ये आँचल

Akbar Allahabadi Ghazal / अकबर इलाहाबादी ग़ज़लें

Sant Surdas ji Bhajan lyrics संत श्री सूरदास जी के भजन लिरिक्स

Adil Mansuri Ghazal / आदिल मंसूरी ग़ज़लें

बुन्देली गारी गीत लोकगीत लिरिक्स Bundeli Gali Geet Lokgeet Lyrics

Mira Bai Ke Pad Arth Vyakhya मीराबाई के पद अर्थ सहित