अहो उमापति अधीन भक्त की व्यथा हरो बिन्दु जी भजन
Aho Umapati AdheenBhakt Ki Vyatha Haro Bindu Ji Bhajan
अहो उमापति अधीन भक्त की व्यथा हरो।
दयालु विश्वनाथ दीन हीन पर दया करो॥
तुम्हीं अशक्त के लिए समर्थ हो उदार हो।
तुम्हीं अनादिकाल से अनन्त हो अपार हो॥
तुम्हीं अथाह सृष्टि सिंधु मध्य कर्णधार हो,
तुम्हीं करो सहाय तो शरीर नाव पार हो॥
प्रभो अधीन मलिन के पाप चित्त में धरो।
दयालु विश्वनाथ दीन दास पे दया करो॥
अनेक पातकी सदा अशुद्ध कर्म को किए।
परन्तु एक बार शम्भु नाम प्रेम से लिए॥
गए समस्त शम्भु धाम ध्यान शम्भु में दिए।
अनाथ के नीच कर्म नाथ के लेख में दिए॥
अतएव स्वामि ‘बिन्दु’ बुद्धि राम भक्ति से भरो,
दयालु विश्वनाथ दीन दास पै दया करो।
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