आगे माई सतगुरु खोज करहु सब मिलिके मेँहीँ जी भजन / भजन Age Mai Satguru Khoj Karahu Sab Milike Menhi Ji Bhajan / Bhajan

 

आगे माई सतगुरु खोज करहु सब मिलिके, जनम सुफल कर राह॥टेक॥
आगे माई सतगुरु सम नहिं हित जग कोई, मातु पिता भ्राताह।
सकल कल्पना कष्ट निवारें, मिटैं सकल दुख दाह॥आगे.॥
भवसागर अंध कूप पड़ल जिव, सुझइ न चेतन राह।
बिन सतगुरु ईहो गति जीव के, जरत रहे यम धाह॥आगे.॥
सतगुरु सत उपकारि जिवन के, राखैं जिवन सुख चाह।
होइ दयाल जगत में आवैं, खोलैं चेतन सुख राह॥आगे.॥
परगट सतगुरु जग में विराजैं, मेटयँ जिवन दुख दाह।
बाबा देवी साहब जग में कहावयँ, ‘मेँहीँ’ पर मेहर निगाह॥आगे.॥

Laal Kavi ki Rachnaen pad

आगे माई सतगुरु खोज करहु सब मिलिके मेँहीँ जी भजन / पद/ मिश्रित रचना आपको कैसी लगी ?

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