अब हम चेत हेत उर हेरी।
आजकाल कलकाल काल है विनसत फिरत नहीं फिर फेरी।
होरी करत जरत सब यहि विधि काल हवाल कीन तन केरी।
को काको नातो सग सातौ दिना चार की मुहलत अबेरी।
जुड़ीराम सरन सदगुरु के निरंख नम निज पास बसेरी।
हिंदी कवि पर कविता, कहानी, ग़ज़ल - शायरी, गीत -लोकगीत, दोहे, भजन, हास्य - व्यंग्य और कुछ अन्य रचनाएं साहित्य के भंडार से
लोकप्रिय हिंदी भजन लिरिक्स विभिन्न कलाकारों , भक्त कवियों और संतों द्वारा गाए और रचाए गए भजन गीत भक्ति गीत का लिखित संग्रह क्लिक कर पढ़ें एवं...
No comments:
Post a Comment