आन पड़ी मझधार कृष्ण नाव मेरी बिन्दु जी भजन
Aan Padi Majhdhar KrishnaNav Meri Bindu Ji Bhajan
आन पड़ी मझधार कृष्ण नाव मेरी,
तू है खेवनहार कृष्ण नाव मेरी।
मोह निशा है अँधियारा भ्रम, किनारा तूफ़ान करारा।
किसी ओर मिलता न किनारा तेरा ही एक सहारा॥
चाहे डुबो चाहे तारो कृष्ण नाव मेरी।
आन पड़ी मझधार कृष्ण नाव मेरी॥
तू केवट है बड़ा पुराना, किस-किसने तुझको न बखाना।
विपत्ति पड़े मैंने पहचाना अब है और न मुझको ठिकाना॥
पल में कर दे पार कृष्ण नाव मेरी।
आन पड़ी मझधार कृष्ण नाव मेरी॥
खर्च राह का घट गया है, विषय श्वास धन लुट गया है।
बल का डांडा टूट गया है, साहस सारा छूट गया है॥
तू ही पार उतार कृष्ण नाव मेरी।
आन पड़ी मझधार कृष्ण नाव मेरी॥
अब तक हल्की खूब रही है चलती फिरती सज रही है।
अब भँवरों में ऊब रही है, ‘बिन्दु’ भार से डूब रही है॥
करके दया उबार कृष्ण नाव मेरी।
आन पड़ी मझधार कृष्ण नाव मेरी॥
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