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Showing posts from November, 2024

नंददास जी की रचनाएं Nanddas Ji ki Rachnayein

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छोटो सो कन्हैया एक मुरली मधुर छोटी नंददास पद Nanddas ji ka Pad छोटो सो कन्हैया एक मुरली मधुर छोटी, छोटे-छोटे सखा संग छोटी पाग सिर की। छोटी सी लकुटि हाथ छोटे वत्स लिए साथ, छोटी कोटि छोटी पट छोटे पीताम्बर की॥ छोटे से कुण्डल कान, मुनिमन छुटे ध्यान, छोटी-छोटी गोपी सब आई घर-घर की। नंददास प्रभु छोटे, वेद भाव मोटे-मोटे, खायो है माखन सोभा देखहुँ बदन की॥ फूलन की माला हाथ, फूली सब सखी साथ, झाँकत झरोखा ठाडी नंदिनी जनक की। देखत पिय की शोभा, सिय के लोचन लोभा, एक टक ठाडी मानौ पूतरी कनक की॥ पिता सों कहत बात, कोमल कमल गात, राखिहौ प्रतिज्ञा कैसे शिव के धनक की। नंददास' हरि जान्यो, तृन करि तोरयो ताहि, बाँस की धनैया जैसे बालक के कर की॥ आज वृंदाविपिन कुंज अद्भुत नई नंददास पद Nanddas ji ka Pad (राग सारंग) आज वृंदाविपिन कुंज अद्भुत नई । परम सीतल सुखद स्याम सोभित तहाँ, माधुरी मधुर और पीत फूलन छई ॥ विविध कदली खंभ, झूमका झुक रहे, मधुप गुंजार, सुर कोकिला धुनि ठई । तहाँ राजत श्री वृषभान की लाड़िली, मनों हो घनस्याम ढिंग उलही सोभा नई ॥ तरनि-तनया-तीर धीर समीर जहाँ, सुनत ब्रजबधू अति होय हरषित मई । ’नंददास’ निनाथ ...

Sant Surdas ji Bhajan lyrics संत श्री सूरदास जी के भजन लिरिक्स

सूरदास जी के भजन शाम नृपती मुरली भई रानी सूरदास भजन / Shaam Nripati Murali Bhai Rani Surdas Bhajan श्रीराधा मोहनजीको रूप निहारो सूरदास भजन / Shri Radha Mohanji Ko Roop Niharoh Surdas Bhajan सब दिन गये विषयके हेत सूरदास भजन / Sab Din Gaye Vishay Ke Het Surdas Bhajan सुदामजीको देखत श्याम हसे सूरदास भजन / Sudamajiko Dekhat Shyam Hase Surdas Bhajan सावरे मोकु रंगमें बोरी बोरी सूरदास भजन / Saavare Moku Rangmein Bori Bori Surdas Bhajan हरि जनकू हरिनाम बडो धन सूरदास भजन / Hari Janaku Harinam Bado Dhan Surdas Bhajan जागो पीतम प्यारा लाल सूरदास भजन / Bhajan Jago Peetam Pyara Lal Surdas Bhajan जयजय नारायण ब्रह्मपरायण सूरदास भजन / Bhajan Jai-Jai Narayan Brahmaparayan Surdas Bhajan जय जय श्री बालमुकुंदा सूरदास भजन / Bhajan Jai Jai Shri Balamukunda Surdas Bhajan जयजय नारायण ब्रह्मपरायण सूरदास भजन / Bhajan Jai-Jai Narayan Brahmaparayan Surdas Bhajan जय जय श्री बालमुकुंदा सूरदास भजन / Bhajan Jai Jai Shri Balamukunda Surdas Bhajan जमुनाके तीर बन्सरी बजावे कानो सूरदास भजन / Bhajan Jamuna Ke Teer Bansur...

Quote of Harishankar Parsai हरिशंकर परसाई के कोट्स उद्धरण

   हरिशंकर परसाई के कोट्स उद्धरण  बेइज़्ज़ती में अगर दूसरे को भी शामिल कर लो तो आधी इज़्ज़त बच जाती है। सारी दुनिया ग़लत है। सिर्फ़ मैं सही हूँ, यह अहसास बहुत दुख देता है। अच्छा भोजन करने के बाद मैं अक्सर मानवतावादी हो जाता हूँ। पागलपन को गर्वपूर्वक वहन करना है तो उसे किसी दर्शन का आधार अवश्य चाहिए। मैंने ऐसे आदमी देखे हैं, जिनमें किसी ने अपनी आत्मा कुत्ते में रख दी है, किसी ने सूअर में। अब तो जानवरों ने भी यह विद्या सीख ली है और कुछ कुत्ते और सूअर अपनी आत्मा किसी आदमी में रख देते हैं। अद्भुत सहनशीलता है इस देश के आदमी में! और बड़ी भयावह तटस्थता! कोई उसे पीटकर पैसे छीन ले, तो वह दान का मंत्र पढ़ने लगता है। इस देश में लड़की के दिल में जाना हो, तो माँ-बाप के दिल की राह से जाना होता है। एक पीढ़ी अपना लाभ देखकर आगामी सब पीढ़ियों का भविष्य बिगाड़ने की क्रिया में लगी है। कुसंस्कारों की जड़ें बड़ी गहरी होती हैं। पता नहीं यह परंपरा कैसी चली कि भक्त का मूर्ख होना ज़रूरी है। जो प्रेमपत्र में मूर्खतापूर्ण बातें न लिखे, उसका प्रेम कच्चा है, उस पर विश्वास नहीं करना चाहिए। पत्र जिनता मूर्खतापूर्ण...

Quote of Rajkamal Choudhary राजकमल चौधरी के कोट्स उद्धरण

राजकमल चौधरी के कोट्स उद्धरण ‘तत्काल’ के सिवा और कोई काल चिंतनीय नहीं है। प्रकृति, आदर्श, जीवन-मूल्य, परंपरा, संस्कार, चमत्कार—इत्यादि से मुझे कोई मोह नहीं है। मैं शरीर में रहकर भी शरीर-मुक्त, और समाज में रहकर भी समाज-मुक्त हूँ। परिश्रम और प्रतिभा आप-ही-आप आदमी को अकेला बना देती है। जानने की कोशिश मत करो। कोशिश करोगे तो पागल हो जाओगे। शरीर के महत्त्व को, अपने देश के महत्त्व को समझने के लिए बीमार होना बेहद ज़रूरी बात है। मेरी कविता की इच्छा और मेरी कविता की शब्दावली, मेरी अपनी इच्छा और मेरी अपनी शब्दावली है। कविता के रंग चित्रकला के प्रकृति-रंग नहीं होते। सफल होना मेरे लिए संभव नहीं है। मेरे लिए केवल संभव है—होना। हम प्यार करते हुए भी सच को, गंदगी को, अँधेरे को, पाप को भूल नहीं पाते हैं। मेरा संपूर्ण जीवन इच्छा का मात्र एक क्षण है। आसक्तियाँ और रोग—ये दोनों वस्तुएँ आदमी को पराक्रमी और स्वाधीन करती हैं। वर्तमान ही मेरे शरीर का एकमात्र प्रवेश-द्वार है। मैं सवाल-जवाब करता रहता हूँ, जब तक नींद नहीं आ जाए। दोहरी ज़िंदगी की सुविधाओं से मुझे प्रेम नहीं है। जीवन निर्णय नहीं निरंतर भय है। मैं म...

Quote of Rabindranath Tagore रवींद्रनाथ टैगोर के कोट्स उद्धरण

   रवींद्रनाथ टैगोर के कोट्स उद्धरण  हर शिशु इस संदेश के साथ जन्मता है कि इश्वर अभी तक मनुष्यों के कारण शर्मसार नहीं है। मृत्यु का अर्थ रौशनी को बुझाना नहीं; सिर्फ़ दीपक को दूर रखना है क्यूंकि सवेरा हो चुका है। प्रेम का उपहार दिया नहीं जा सकता, वह प्रतीक्षा करता है कि उसे स्वीकार किया जाए। हम दुनिया को ग़लत आँकते हैं और कहते हैं कि उसने हमें छला है। संगीत दो आत्माओं के बीच फैली अनंतता को भरता है। तुम जो हो तुम उसे नहीं देखते, तुम उसे देखते हो जो तुम्हारी परछाईं है। जैसे अँधेरे में घिरा एक तरुण पौधा प्रकाश में आने को अपने अँगूठों से उचकता है। उसी तरह जब मृत्यु एकाएक आत्मा पर नकार का अँधेरा डालती है तो यह आत्मा रौशनी में उठने की कोशिश करती है। किस दुःख की तुलना इस अवस्था से की जा सकती है, जिसमें अँधेरा अँधेरे से बाहर निकलने का रास्ता रोकता है। धरती के आँसू ही उसकी मुस्कानों को खिलाते हैं। मिट्टी स्वयं अपमान पाती है और बदले में अपने पुष्प अर्पित करती है। अत्याचारी स्वतंत्रता का नष्ट करने और फिर भी अपने लिए स्वतंत्रता रखने के लिए स्वतंत्रता का दावा करता है। तेरह-चौदह वर्ष के अन...

Quote of Ranier Maria Rilke रेनर मारिया रिल्के के कोट्स उद्धरण

   रेनर मारिया रिल्के के कोट्स उद्धरण  एक मनुष्य का दूसरे मनुष्य के प्रति प्रेम महसूस करना, शायद यह सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी है, जो मनुष्यों को दी गई है। यही अंतिम संकट है। यह वह कार्य है जिसके लिए बाकी सभी कार्य मात्र एक तैयारी हैं। मैं इसे दो संबंधों के बीच की सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी मानता हूँ। प्रत्येक एक-दूसरे के एकांत का प्रहरी हो। अपने भीतर सब कुछ घटित होने दो। सुंदरता और भय। कोई भी संवेदना अंतिम नहीं है। देखना और काम करना-यहाँ कितना अलग है। आप चारों तरफ़ नजरें दौड़ाइए और बाद में उस पर सोचिए, यहाँ सब कुछ तक़रीबन एक ही जैसा है। मुझे लगता है शरद के सिवा ऐसा कोई समय नहीं जब हमारी साँस में मिट्टी की बस एक गन्ध महसूस होती है-पकी हुई मिट्टी की। यह गन्ध समुद्र की गन्ध से कमतर नहीं है। समुद्र की लहरें जब दूर रहती हैं, तब उसकी गन्ध में एक कड़वापन रहता है, लेकिन जब वह एक स्वर के साथ पृथ्वी तट को छूती है तो उसमें मीठापन आ जाता है। यह अपने भीतर एक गहराई को समेटे होती है| आख़िरकार ख़तरे उठाने और अनुभव के उस छोर तक पहुँचने से ही कलाकृतियों का निर्माण सम्भव हो पाता है, जिससे आगे कोई और नही...

Quote of Raghuvir Sahay रघुवीर सहाय के कोट्स उद्धरण

   रघुवीर सहाय के कोट्स उद्धरण  हम तो सारा का सारा लेंगे जीवन, ‘कम से कम’ वाली बात न हमसे कहिए। एकमात्र साक्षी जो होगा वह जल्दी ही मार दिया जाएगा। दे दिया जाता हूँ। सुकवि की मुश्किल को कौन समझे, सुकवि की मुश्किल। सुकवि की मुश्किल। किसी ने उनसे नहीं कहा था कि आइए आप काव्य रचिए। अपनी एक मूर्ति बनाता हूँ और ढहाता हूँ और आप कहते है कि कविता की है। इस सभ्यता में पैदल आदमियों के संगठित समूह की कल्पना नहीं, भीड़ की कल्पना है। हत्या की संस्कृति में प्रेम नहीं होता है। देखो वृक्ष को देखो वह कुछ कर रहा है। किताबी होगा कवि जो कहेगा कि हाय पत्ता झर रहा है। एक रंग होता है नीला और एक वह जो तेरी देह पर नीला होता है। बड़े राष्ट्र की पहचान यही है कि अपने समाजों में साथ-साथ रहने-पहनने का चाव और स्वीकारने-अस्वीकारने का माद्दा जगाता है। मुझे पाने दो पहले ऐसी बोली जिसके दो अर्थ न हों। मेरा डर मेरा सच एक आश्चर्य है। नाटक मनुष्य के जन्म के साथ उत्पन्न हुआ है। हर रचना अपने व्यक्तित्व को बिखरने से बचाने का प्रयत्न है। बच्चे की ज़िंदगी एक लंबी ज़िंदगी है। उसमें एक किताब आकर चली नहीं जानी चाहिए। इस साम...

Quote of Yun Fusse यून फ़ुस्से के कोट्स उद्धरण

यून फ़ुस्से के कोट्स उद्धरण    हम मात्र एक, ‘भटकन’ हैं, अपनी आत्मा के विशाल दृश्यों में कोई अर्थ ढूँढ़ते हुए। हमारे शब्दों के बीच जो जगहें हैं, उनमें छिप कर रहता है सत्य और झूठ प्रकट होता है। प्यार, आशा और निराशा के बीच एक काँपता हुआ पुल है। दुःख, साथी है सुख का। जीवन की अलग-अलग ऋतुओं में वे साथ नृत्य करते हैं। हमारे अस्तित्व का आधार हमारी वह इच्छा है जिसे हम संबंधों में ढूँढते हैं। जिन शब्दों को हमने कहा नहीं, उनमें ही सबसे गूढ़ अर्थ छुपे हैं। भाषा हमारे विचारों को परिभाषित करती है, लेकिन मौन हमारी आत्मा को पोषण देता है। हम जीवित तो हैं, लेकिन हम जी नहीं रहे, हम और आप। लेकिन हम उस अद्वितीय, अनंत क्षण की आशा ज़रूर रखते हैं। हमारे भीतर जो अन्धकार है, वही अन्धकार रात के आकाश में भी है। दोनों के अपने-अपने रहस्य हैं। प्रकट होने की प्रतीक्षा में। दूसरों को सचमुच समझने के लिए, हमें पहले ख़ुद को समझना होगा। ‘चुप्पी’ की ताकत, हमारे होने की गहराई का पता लगाने में होती है, जहाँ शब्द नहीं पहुँच पाते। यदि हम वे कहानियाँ नहीं हैं, जो हम ख़ुद को सुनाते हैं, तो फिर हम कौन हैं? हर मुलाक़ात हमारे अस्...

Quote of Mahatma Gandhi महात्मा गांधी के कोट्स उद्धरण

महात्मा गांधी के कोट्स उद्धरण  अहिंसा केवल बुद्धि का विषय नहीं है, यह श्रद्धा और भक्ति का विषय है। यदि आपका विश्वास अपनी आत्मा पर नहीं है, ईश्वर और प्रार्थना पर नहीं है, अहिंसा आपके काम आने वाली चीज़ नहीं है। पशुबल अस्थायी है और अध्यात्मबल या आत्मबल या चैतन्यवाद एक शाश्वत बल है। वह हमेशा रहने वाला है क्योंकि वह सत्य है। जड़वाद तो एक निकम्मी चीज़ है। सबसे अच्छा तो यही है कि झूठ का कोई जवाब ही न दिया जाए। झूठ अपनी मौत मर जाता है। उसकी अपनी कोई शक्ति नहीं होती। विरोध पर वह फलता-फूलता है। अहिंसा परम श्रेष्ठ मानव-धर्म है, पशुबल से वह अन्नत गुना महान् और उच्च है। जो मनुष्य यह मेरा और तेरा मानता है, वह अनासक्त नहीं हो सकता। पढ़ने की बीमारी वाले मैंने यहाँ और दूसरी जगह बहुत देखे हैं। यह रोग तुम्हें भी सता रहा है। इस रोग से मुक्त होने के लिए भ्रमण करो, ईश्वर की लीला देखो, कुदरत की किताब पढ़ो, पेड़ों की भाषा समझो, आकाश में होने वाला गान सुनो, वहाँ रोज़ रात को होने वाला नाटक देखो। दिन में कातो, थकावट लगे तब सोओ, बढ़ई का काम हो सके तो करो, मोची का काम करो। अस्पृश्य तो वे हैं जो परमात्मा होते हैं। एक स...

Quote of Mohan Rakesh मोहन राकेश के कोट्स उद्धरण

   मोहन राकेश के कोट्स उद्धरण  एक वस्तु का अपना प्राकृतिक गुण होता है। व्यक्ति का भी अपना प्राकृतिक गुण होता है। मूल्य व्यक्ति और वस्तु के प्राकृतिक गुण का न लगाया जाकर प्राय: दूसरों की उस गुण को बेचने की शक्ति का लगाया जाता है। वह मुस्कराहट जो तहों में छिपे हुए मनुष्यत्व को निखारकर बाहर ले आती है, यदि सोद्देश्य हो तो, वह उसके सौंदर्य की वेश्यावृत्ति है। संसार में जितने धनी व्यक्ति हैं, उनमें से अधिकांश दलाली करके—वस्तु या व्यक्ति के गुण को बेचने में माध्यम बनकर धन कमाते हैं। यह दलाली वस्तु और व्यक्ति के वास्तविक मूल्यांकन और मूल्य ग्रहण में बाधा है। जहाँ तक चलते जाने का प्रश्न है, चलते जाया जा सकता है। परंतु जहाँ ठहरने का प्रश्न आता है, वहाँ बहुत-सी अपेक्षाएँ जाग्रत हो उठती हैं और उन सबकी पूर्ति असंभव होने से, फिर चल देने की धुन समा जाती है। वर्षों का व्यवधान भी विपरीत को विपरीत से दूर नहीं करता। जिस हवा में फूल अपने पूरे सौंदर्य के साथ नहीं खिल सकता, वह हवा अवश्य दूषित हवा है। जिस समाज में मनुष्य अपने व्यक्तित्व का पूरा विकास नहीं कर सकता, वह समाज भी अवश्य दूषित समाज है...