पानी भरावन 1 / बैगा
तरी नानी नानर नानी नानार रे नान,
आधी रातक बीचे दाई का चिरैया बोलय।
आधी रातक बीचे दाई का चिरैया बोलय।
ढप ढपा ढप ढप दाई सोने मिर्गा बोलय
सोने मिर्गा बोलत दाई, होथय बिहान।
उठो कि उठो सांघी, लूगरा समहारा।
लूगरा समहारा संगी बढ़ा झेलो लगाय।
काहिन लागे गघरी दाई, काहिन लागय गुठरी।
एक गगा सारय दाई, सातों ही समदूर।
सातो ही समदूर दाई, मारे हिलोरा।
तरी नानी नानर नानी नानार रे नान।
सोन टेटकी सोन भेजकी, पानी भरन देय।
ककड़ा मन कुँवर दाई, पानी भरन देय।
शब्दार्थ –सुई चिरैया=पपीहा, सोन मिर्गा= सोने का मुर्गा (स्वर्ण मुर्गा जिसका रंग सोने जैसा हो ), संघी=सहेली, लूगरा-साड़ी, झेलो=देर, टेटकी/भेजकी=मेंढक, समदूर=समुद्र (नदी), ककड़ापन कुँवर=केकड़ा, सारय=चले, डगा= पग, गुदरी-चोमल।
दुल्हन अपनी माँ से पूछती है – ऐ माँ ! आधी रात को यह कौन सी चिड़िया (पक्षी) बोलती है, माँ कहती हैं- आधी रात को बारह-एक बजे सुई नाम की चिड़िया (पक्षी) बोलती है। उसके बोलने का यही समय होता है। रात तीन-चार बजे बाद ‘ढपढपा ढप ढप’ माँ सोन मुर्गा क्यों बोलता है।
सोन मुर्गा (सोन कुकड़ी) के बोलने से बेटी सुबह होती है। दुल्हन की सहेली बोली- उठो सहेली, जल्दी उठो। सोन मुर्गा बोल रहा है। सुबह होने वाली है। जल्दी से अपनी साड़ी (लूगरा) संभालो। ठीक कर लो और जल्दी तैयार हो जाओ।
तब दुल्हन कहती है- मुझे साड़ी सँवारने में थोड़ी देर लगेगी। जरा ठहरो। ऐ माँ! पानी भरने जाने के लिये किस चीज के मटकी और किस चीज की गुडरी याने चोमल लगेगी।
ऐ बेटी! घर में सोने की गागरी और चाँदी की चोमल रखी है। चोमल को सिर पर रखकर सोने की गागरी में पानी ले आओ। दुल्हन सहेलियों के साथ पानी लेनें चल दी। एक पग दो पग धरते-धरते वे समुद्र के तट पर पहुँच गई। (गीत में सातों समुद्र के तट की बात कही गई है। पुराख्यानों में भी पृथ्वी पर सात समुद्र होने की बात आती है। सम्भवतया गी के अर्थ को व्यापकता देने के गरज से यह कल्पना की गई है। समुद्र का अर्थ यहाँ बड़े जलाशय या नदी के अर्थ में गाँव की समीपता को देखते हुए ले सकते है।)
ऐ माँ! सातों समुद्रों में बड़ी-बड़ी लहरें उठ रही हैं। समुद्र के तट पर पहुँचकर गीत गाने वाली महिलाएँ और साथ में आये दोसी ने वहाँ चौक पूरा। उस पर नेग के रूप में पैसे रखे। कंडे की आग जलाये। हूम-धूप दिया। दीप जलाया। अगरबती जलाये। उस पर दारू छुहाई। गीतकारिनों को तीन छाके (एक पत्ते का दोना) दारू पिलाई। फिर गीत गाते हुए महिलाओं ने समुद्र से पानी देने की प्रार्थना की।
हे सोने की मेंढक रानी। हे ककरामल कुँवर केकड़े! हमें शुभ विवाह के लिये समुद्र से जल भरने दो। तब सोने के कलश में दोसी और महिलाएँ दुल्हन के साथ पवित्र जल लेकर घर आये।
बैगा लोकगीत श्रेणी में अन्य गीत
पानी भरावन 2 / बैगा
गाई डारे झिर-झिर, नदी नय भरे घयला रे हाथ।
पापी है नंदी आगू, पवन पाछू पानी रे।
पानी ला पीवय पसर करे के, तय जो गावस ददरिया।
कसर करी के धीरे गाईले।
कौआ के पानी झीकी-झीकी होय,
दूरिया के माया देखी के देखा होय।
धीरे गाई ले।
शब्दार्थ –नन्दी-नदी, नय भरे =न भरे, घयला=गागर, आगू= आगे, पाछू= पीछे, पीवयपसर करी=खूब पानी पीना, दूरिहा=दूर के।
दुल्हन की सहेली पानी भरके लौटते समय यह ददरिया गाती है। अरे सहेली! समुद्र के पानी में बड़ी-बड़ी लहरें उठ रही थी। पानी बहुत हिल-डुल (झिलमिल) रहा था। लहरें पानी ही भरने नहीं दे रही थी। पानी में गागर डूब ही नहीं रही थी। क्योंकि पापी पवन बहुत तेज़ गति से चल रहा था, उसके पीछे-पीछे पानी लहर बन के चल रहा था।
पानी तो खूब पीना चाहिए और ददरिया गाने में कोई कमी या कसर नहीं रखना चाहिए। कुएँ से पानी भरते समय भी कुएँ के पानी को झकेलना या हिलाना-डुलाना पड़ता है। इसी प्रकार देखा-देखी भी मन में हिलोरे या माया पैदा होती है। दूर के ढ़ोल सुहावने होते हैं।
पानी भरावन 3 / बैगा
गाई डारे झिक लोटा, झिक पानी गोड़ धोईले रे
काहै हम परदेसी पराई पाहुना पानी पानी दई दे।
लोटा के पानी गरम करी ले,
तोर चढ़ती जवानी धरम करी ले।
काँसे की थाली कसाई रखेना,
मोर गाये ददरिया रसाई रखेना।
धीरे गाई ले॥
शब्दार्थ –झिक लोटा= लोटा भर पानी, गोड़-पैर, पाहुना=मेहमान।
घर के समीप पहुँचने पर सहेली एक और ददरिया गाती है। सहेली! तुम घर में से पाँव धोने के लिए लोटा भर पानी ले आओ और हमारे पैर धुलाओ। हम सब नदी से सोने के कलश में पवित्र जल लेकर लौट आये हैं। सहेली घर में से लोटे में पानी लाई और सबके आँगन में पैर धुलाये। फिर सबको घर के भीतर ले गई।
पवित्र जल के कलश को घर के कोने में सुरक्षित जगह में रख दिया।
अब इसी पानी से दुल्हन के लिये तिकसा (हल्दी का उबटन) और बेबर खेती के अनाज के (मंडया) के आटे को घोलेंगे और दुल्हन के अंग-अंग में लगाएंगे। फिर मिट्टी खोदने जायेंगे। इसके बाद लड़के-लड़की में ददरिया सवाल-जवाब होने लगते हैं।
लड़का कहता है- ऐ लड़की! लोटे का पानी थोड़ा गर्म करके लाना और तुम्हारी चढ़ती जवानी थोड़ी सी दान कर देना। हम तुम्हारे यौवन पर निछावर हैं।
लड़की कहती है- काँसे की थाली में खट्टी चीज भी कसैली नहीं होती। इसी प्रकार मेरा ददरिया भी तुम्हारी बात का बुरा नहीं मानता। पर ददरिया थोड़े धीरे से गाना।
कोदई जगोनी / बैगा
तरी नानी नानार नानी, तरी नाना रे नान।
तरी नाना नानार नानी, तरी नाना रे नान।
का सबद सुनी दादी, तैय चली आय-2
आज नातिक उठे लागिन, लगिन देखन आएव।
का सबद सुनी दादी, तैय चली आय-2
आज नातिक होथे बिहाव, बिहाव देखन आएंव।
निवतो की निवतो दाई, सातो ही दोसी-2
का दई निवती दाई, सातों ही दोसी-2
कोठी माँ अन्न दाई, गाथे माँ दाम।
दामोनी दय के निवते सातों ही दोसी॥
निवतों की निवतों दाई, सातों ही टेढ़ा,
का दई निवती दाई,सातों ही टेढ़ा,
कोठी मा अन्न दाई,गाठे मा दाम।
दामोनी दय के निवती, सातों ही टेढ़ा॥
निवतों की निवतों दाई, सातों गीत कारिन,
कोठी मा अन्न दाई, गाठे मा दाम।
दामोनी दय के निवती,सातों गीत कारिन,
निवतों की निवतों दाई, सातों ही हंडेरिन,
का दई निवती दाई, सातों ही हंडेरिन,
कोठी मा अन्न दाई, गाठे मा दाम।
दामोनी दय के निवती, सातों हंडेरिन॥
सातो सुवासा, सातो सुवासिन,
निवतों की निवतों दाई,सातो सुवासिन,
का दई निवती दाई, सातो सुवासिन,
कोठी मा अन्न दाई, गाठे मा दाम।
दामोनी दय के निवती, सातो सुवासिन॥
निवतों की निवतों दाई, सातों सुहासा,
का दई निवती दाई, साते सुवासा,
कोठी मा अन्न दाई, गाठे मा दाम।
दामोनी दय के निवती, सातो सुवासा ॥
बिहाव के नाने कोदय सुचेव, समधिन लय गय चोर।
मैं नयकों लय जौं समधिन, मूसा लय गय चोर॥
उंजूर मूसा, झुंझुर मूसा लय गय चोर।
धरो मूसा काटो मूडे कलसा बनाओ-2
बिहाव के नाने कोदय सुचेव, समधिन लय गय चोर।
मैं नयकों लय जौं समधिन, मूसा लय गय चोर॥
धरो मूसा काटो काने, दीवा बनाओ।
बिहाव के नाने हड़द सूचेंव, समधिन लय गय चोर।
मैं नयकों लय जौं समधिन, मूसा लय गय चोर॥
धरो मूसा काटो नड़ी , सेहनाय बनाओ।
बिहाव के नाने मिरिच सुचेव, समधिन लय गय चोर।
मैं नयकों लय जौं समधिन, मूसा लय गय चोर॥
धरो मूसा काटो पूछी, बाती बनाओ।
बिहाव के नाने पलड़ी सुचेव, समधिन लय गय चोर।
मैं नयकों लय जौं समधिन, मूसा लय गय चोर॥
धरो मूसा छालों खाले, नागारा बनाओ।
निवतों की निवतो दोसी, तरी नाना रे नान।
तरी नानी नानार, तरी नाना रे नान।
निवतों की निवतो दोसी, ठाकुर देवता।
निवतों की निवतो दोसी, खेरों महरानि।
तरी नानार नानीनानी, तरी नानारनानी।
तरी नानार नाना रे नान।
यासी वचन देवी, यसी वचन देबी,
दोसी जीवे लाखों वारिस।
नीको वचन देबी, नीको वचन देबी
जीवे लाखो बारिस।
हंसा जोड़ी, हंसा जोड़ी।
हंसा जोड़ी, हंसा जोड़ी।
दोसी परिवा जोड़ी।
तिकसा चढ़ौनी / बैगा
तर नानी नानी नानरी नानी, तरी नानी नाना रे नान।
तरी नानी नानी नानरी, तरी नानी नाना रे नान।
दैया दैया अंगरिया-अंगरी चढ़ जारे,
तिकसा दबरीना सिल चढ़ही जाय। दाई 2
घुटवाना-घुटवा चढ़ जा रे।
तिकसा जंगहियाना सिल चढ़ही जाय। दाई 2
कहि ना –छतिया चढ़ जा रे,
तिकसा माथे मा सिल चढ़ही जाय। दाई 2
छतिया ना – छतिया चढ़ जा रे,
तिकसा माथे मा सिल चढ़ही जाय। दाई 2
कहाँ है तिकसा टोरे जनामन,
कहाँ टोरे थान दाई। दाई 2
कोयल काछोरे टोरे जनामन,
सिल समदूर है टोरे थान दाई। दाई 2
विवाह - 1 / बैगा
गावे गाना ला।
सीसे नागिन बहिस गा धरती माता ला।
धरती माता बहिस आने दाई ला।
आने दाई समोखिम सारे दुनिया ला
चाँद सूरज नर नारी दोनों देयथ उजेला ला।
हौ रे-हौ रे जल रानी पावन बरोवय रे डीओएस।
कच्चा सुपाड़ी फोड़े माँ फोटाहीं।
लगे हरा माया छोड़े माँ छूटाहीं।
पानेला खावय खैर नहीं आय।
तै तो गाय ले ददरिया बैर नहीं आय।
शब्दार्थ – सीसे=सिर पर, बहिस=ढोना, थामना, अनेदाई=अन्नमाता, समोखिस=पोषित, बरोबय=बहना, फोटा ही= फूटे, छूटे ही= छूटे, बैर=दुश्मनी, गा ले= आय=है।
यह भाँवर गीत है। इसे भाँवर फिराते समय गाँव की और बारात में आई महिलाएँ एक साथ गाती है। महिलाएँ गीत में कहती है- धरती माता को शेष नाग अपने फन पर धारण किए हुए है। और धरती माता अन्नपूर्णा माई को धारण किये हुए हैं। अन्नमाता सारी दुनिया को अपने में समेटे है। पोषित करती हैं। चाँद-सूरज दोनों स्त्री=पुरुष सारे संसार को प्रकाश देते हैं। उजाला भरते हैं। जल रानी हवा को चलने के लिये मजबूर करती हैं। उसी से ठंडी-ठंडी हवा बहने लगती हैं। उसी से पानी में लहरे पैदा होती हैं।
कच्ची सुपारी को फोड़ने में कोई देर नहीं लगती हैं। लेकिन पक्की सुपारी को फाड़ने जरा मुश्किल लगता है। इसी तरह तुम्हारी माया-ममता (देश-प्रेम) भी बड़ी मुश्किल से छूटती है। जिस प्रकार पान खाने से होंठ लाल हो ही जाते हैं, उसी प्रकार प्रेम के ददरिया गाने में कोई रोक-टॉक नहीं है, कोई दुश्मनी नहीं है। इसी गीत को सारे बाराती आँगन में बैठकर सुनते हैं और गाने वालों को ‘वाह-वाह’ करके शाबाशी देते हैं। फिर उत्साह में एक-एक ददरिया झड़ते लगने हैं।
विवाह - 2 / बैगा
राज तिलक ही समय कैकही
दो वरदान मंगाई, कि दो वरदान
मंगाई हो राम।
राज तिलक भरत को भाये,
रामलखन वन को जाई।
मोरे राम चले बनवास रे डीओएस।
पुत्रे सोहग में राजा दशरत दिये प्राण।
गवाई देए प्राण गंवाई हो राम
भीतर रोवे माता कौसलिया
बहार भरत भाई, मोरे राम
चले वनवासे से डीओएस।
राम चले लक्ष्मण संग साथे
परजा भई भिखारी कि परमा,
भई भिखारी हो राम।
आ बरजन सो माने नहीं सीता
भये तैयारी मोरे राम।
चले बनवासे रे डीओएस।
चौदह बरस बिताये बंसा।
दुष्टों को संघाड़े कि,
दुष्टों को संघाड़े हो रा।
रामा दुष्टों को संघाड़े हो राम। आ दुनिया को सुख दिये
राम ने भूमि का भार उतारे मोरे राम।
चले बनवास रे दोस॥
शब्दार्थ – मंगाई-माँगे, पुत्रे सोहग=पुत्र के वियोग का शोक, परान=प्राण, गँवाईं=गँवाना, बरजन=रोकना, संघाड़े=संहारे, भूमि का भार= पृथ्वी पर फैले पाप का भार, उतार=उद्दार किये।
राज तिलक के दिन ही कैकयी ने राजा दशरथ से दो वरदान माँग लिये, राम को वनवास और भरत को राज तिलक। राम जब अयोध्या से वनवास के लिये सीता और लक्ष्मण के साथ निकले तो इधर पुत्र वियोग में राजा दशरथ ने अपने प्राण त्याग दिये। दोहरा दुख अचानक आ पड़ने के कारण राजमहल में माता कौशल्या रो रही हैं। भरत को मालूम पड़ा तो उनकी आँखों में अश्रुधारा बहने लगी। जब राम-लक्ष्मण और सीता महल से निकाल गये। सारी प्रजा भिखारी हो गई। सब लोग सीता को रो-रो कर रोक रहे हैं। फिर भी सीता बिना कुछ बोले राम के पीछे-पीछे वन को चली जा रही हैं। राम ने चौदह वर्ष वन में बिताये। वन में कई दुष्ट राक्षशों को संहार किया। लंका के रावण जैसे महा अहंकारी दुष्ट को मारा, इस तरह राम ने अपनी त्याग, तपस्या और वीरता से दुनिया को सुख दिया और इस धरती से दुष्टों को मारकर उसके भार को उतार दिया।
विदाई / बैगा
गवाए गाना ला, धीरे गाय ले दाई तो।
कहाय लढ़ाना बेटी, दादा कहाय हूसिया।
भाई तो कहाय पिंजड़ा का मैना।
का बोली दैके निकाल गय।
पानी ला पीवत पीवत भरा ले।
तै तो आवाजाही करबे जीवन भरा ले।
कौन बना आमा, कौने तो बना जाम।
कोने बन खा निकले लखन सिया राम।
धीरे गाय ले दाई तो कहाय।
लढ़ाना बेटी दादा कहाय हूसियार।
भाई तो पिंजरा का मैना का बोली
दै के निकाल गय।
शबदार्थ – लढ़ाना=लाड़ली, बोली=वचन, पीवत-पीवत=पी-पीकर, आवा-जाही=आना-जाना, जीवन भरा,=जीवन भर, बना-वन-जंगल।
विदाई के समय माँ-पिता और भाई कहते है। पहले माँ कहती है- गीत जरा धीरे गाना। आज मेरी लाड़ली इकलौती बेटी तू गोदी छोड़कर कहाँ जाती हो? पिता कहते हैं- मेरी होशियार बेटी! आज तुम ससुराल जा रही हो। भाई कहता है- ओ मेरी पिंजरे की मैना बहन! तू आज मुझे क्या वचन (आशीर्वाद) देकर जा रही हो।
बेटी कहती है- इस घर का पानी-पीते मैं इतनी बड़ी हुई हूँ। तुम लोंगो ने मुझे अच्छा खिला-पिलाकर बड़ा किया है। अच्छे संस्कार दिये है। जिंदगी में आना-आना तो लगा रहेगा। कौन से वन में आम का पेड़ लगता है और कौन से वन में जाम के फल लगते हैं। यह न आम के और न जाम के पेड़ को मालूम है। आम और जाम को क्या मालूम था कि एक दिन राम जैसे राजा सीता-लक्ष्मण सहित वन में आकर वन के फल आम, जाम और बेर खायेंगे। राम-सीता और लक्ष्मण को भी वनवास जाना पड़ा।
इसी तरह मुझे कभी न कभी ससुराल जाना ही पड़ता। इसलिए तुम सब फिक्र मत करो। मुझे खुशी-खुशी विदाई दे दो। विदाई का समय है, जरा धीरे-धीरे भरे गले से विदाई गीत गाना। मेरे भी आँखों में आँसू थम नहीं रहे हैं, तुम सब सुखी रहना।
भाँवर / बैगा
काट करीला रे गाधे बिजना,
काट करीला रे गाढ़े बिजना,
ले उत्तर के किंजर भंवरी आँगना माँ रे।
सीचे ला जावय पकड़य धीवरी चेनी अँगरी।
सीचे ला जावय पकड़य धीवरी चेनी अँगरी॥
किंजर भंवरी अँगना मा रे।
पथरा के भीठी माटी के नहाड़ोर।
गारी बोली दय ले माया ला झिना तोर।
काट करीला रे गाधे बिजना ले।
काट करीला रे गाधे बिना ले।
ले उत्तर के किंजर भँवरी अँगना माँ रे।
बन्दोनी / बैगा
तरी नानी नानी नार रे, नानी तरी नानी नाना रे नान।
दूध-दूध माँ गोड़े धोबायबे, घीवय मा पाव परवारबे।
कोने बंदाबे हथियार रे,
घोरिया कोने बन्दावे श्रगार।
कैय दिना पूजही हथिया रे घोरिया,
कैय दिना पूजहीं श्रंगार।
तरी नानी नानी ना रे, नानी तरी नानी नाना रे नान।
दूध-दूध मान गोड़े धोबायबे, घीवय मा पाव परवारबे।
धंधा पढ़ोनी और छोडोनी गीत / बैगा
तरी नानी नानर नानी, तारी नानारे नान।
तरी नानी नानर नानी, तारी नाना रे नान।
जाम पाकय जम्नी दाई, बहड़ा पाकय नीम।
चार पैर के मिर्गा, अठारा कोडी सींग।
एहू धंधा जान बरथिगा, तबै खाबी भात।
लाई फोड़ोनी / बैगा
तरी नानी नानी नानरे नानी, तरी नानी नानारे नान।
तरी नानी नानी नानरे नानी, तरी नानी नानारे नान।
ढिमीरिना टूरिना होतेव, ओ दाई फोड़तेव चना को लाई।
हो ए, ओ दाई, भूमनिया टूरिया फोड़ थौ लोड़ा को लाई॥
नय तिपाय दाई खपरी तुम्हारे, नय फूटय को लाई।
पैली भरोनी गीत / बैगा
तरी नानार नानी पे तरी नानार नानी। 2
बाय खूदन पैली सोहग पूरक तेली 2
दाई ओ दाई ये, मोय भूख लागीस,
दाई ओ दाई ये, मोय भूख लागीस,
मोर सी नेकों तोर बाबा सी जा,
मोर सी नेकों तोर बाबा सी जा,
बाबा रे बाबा पे मोय भूख लागीस, बाबा रे
मोर सी नेकों पे तोर दादी सी जा मोर सी
दादी रे दादी पे मोय भूख लागीस 2
मोर सी नैको तोर आजी सी जा 2
दाई ओ दाई पायली नहीं भराय 2
सैला उधा करनी पयली भार देबी 2
दूल्हक बाबा चोरहा पे चोर चोर खाय 2
दूल्हक दादी चोरहा पे चोर-चोर खाय 2
दुल्हक आजी चोरही पे चोर-चोर खाय 2
दुल्हक बहन चोरही पे चोर-चोर खाय 2
बिनोखी फिरावन / बैगा
तरी नानी नानर नानी, तरी नानारे नान।
तरी नानी नानर नानी, तरी नानारे नान।
भिख्यारिन टूरी दाई, भीख माँगत फिरय।
भिख्यारिन टूरी दाई, भीख माँगत फिरय।
ठोमा भर कोदै दाई, चिमटी भर दाड़।
ठोमा भर कोदै दाई, चिमटी भर दाड़।
तरी नानी नानर नानी, तरी नानारे नान।
तरी नानी नानर नानी, तरी नानारे नान।
हाथी पड़घौनी / बैगा
कोने बनावै हथिया रे घोरिया, कोने चढे असेवार दाई
कोने बनावै हथिया रे घोरिया, कोने चढ़े असेवार।
बैरी बनावै हथिया रे घोरिया, दादा चढ़े असेवार दाई 2
कोने बनावै हथ घोरिया सम्हारों, कोने हाथे तलेवार दाई 2
धीरे-धीरे लड़बी रे दादा, पाँवक पनही बिछल झै जाय।
खाना खायोनी / बैगा
काटो रे बाबा हरा को नागर, काटो बीजा जुआँड़ी।
फाँदी रे बाबा कारी बैलन को नागर जोतो कयली-कछार।
एक खूटे बोयो मनरूसी ढाने, एक खूटे मूँगा उरीदा।
एक पान हो गय मनरूसी धाने, दुई पाने मूँगा उरीदा।
बालेनी निकड़य मनरूसी धाने, फाड़य मूँगा उरीदा।
होवाना लागय मनरूसी धाने, होवाय मूँगा उरीदा।
नो यो दाई मनरूसी धाने, नो यो मूँगा उरीदा।
बोझानी बाँधी मनरूसी धाने, बाँधो मूँगा उरीदा।
मीडो रे बाबा मनरूसी धाने, मीडो मूँगा उरीदा।
उड़वायो बाबा मनरूसी धाने, उड़वायो मूंगा उरीदा।
रासीनी बाँधाय मनरूसी धाने, उड़वायो मूँगा उरीदा।
रासेनी डूमों मनरूसी धाने, डूमों मूँगा उरीदा।
कओटी माँ भरो मनरूसी धाने, भरो मूँगा उरीदा।
हेडो ओ दाई मनरूसी ढाएँ, हेडो मूँगा उरीदा।
घाँटो यो दाई मनरूसी धाने, निमाड़ो मूँगा उरीदा।
कूटो दाई मनरूसी धाने, दाड़ो मूँगा उरीदा।
मनरूसी धानाक भाटे रंधाबी, मूँगा उरीदा के दास।
तूमा फूलेयस भाटे रंधाबी, कुमढ़ा फूलस दाड़े रंधाबे।
झै नानबी संगही गरबादक, पानी तोर संगहीक हाठे धूमलाही।
नान बायो संगही दुदमरीक, पानी तोर संगही हाठे उजड़ाही।
कोनेना हाथे केंवरी उठाबी, कोने हाथे आँसुनी पोचकी।
जौनी ना कौर हाथे केंवरी उठाबी डेरी हाथे आँसूना पोछनी॥
हड़द चढ़ौनी / बैगा
तरी नानी तरी नानी तरी तरी नानी,
तरी नानी नाना रे नान। दैया
कहाँ है हरदी तोरे जनामन,
कहाँ है तोरे थान। दैया 2
घैली कछारे है तोरे जनामन,
सिल समदूर है तोर तोर थान।, दैया 2
अँगरी-अँगरी चढ़ जा रे हरदी,
डबरीना सिल चढ़ही जाय। दैया 2
जंगिहा जंगिहा चाड जा रे हरदी,
कनिहा न सिल चढ़ही जाय। देया 2
छतिया छतिया चढ़ जा रे हरदी,
माथेन सील चढ़ही जाय। दैया 2
माथे मा सील चढ़ही जाय।
तेल पेडोनी / बैगा
तरी नानी तरी नानी तरी तरी नानी,
नानर नानी, नानर नानी, तरी नानर नाना रे नान।
दादर ऊपर दादर ऊपर घानी चालत है रे।
अर पेड़ों तेलया राई सरसोक तेल, दैया मोरे
पेड़त-पेड़त-पेड़त-पेड़त। 2
कनिहा लरख गय। 2
टूटी गये घानी के रे खां, दैया मोरे
घानी के टूटे-टूटे जूड़यों जाही रे
घानी के टूटे-टूटे जूड़यों जाही रे
कलसा गोदोनी / बैगा
तरी नानी नानी नानरी, नानी तरी नानी नाना रे नान ।
तरी नानी नानी नानर नानी, तरी नानी नाना रे नान।
कोने नगर के माजना माती, कोने नगर के कुम्हार। दैया …
कोने नगर के माजना माटी, कोने नगर के कुम्हार।
आँजना गढ़ के माजना माती, कुंजना गढ़ के कुम्हार। दैया॥
आँजना गढ़ के माजना माती, कुंजना गढ़ के कुम्हार।
सबखा तो गढ़बे असाना-तैसाना, मोर नाने माना चित लगाय। दैया
कारी गैयन के गोबरी माँगावय, कलसा के चिन्हे बनाय। दैया
साते सुआसा साते सुआसिन, सोयगने मोर दाई।
कलसा कोन गोदय तोर, नानों यो संगही गूँगची।
को दना रिंगी-रिंगी कलसा गोदाय उउ। दाई
आनो यो संगही लकड़ी को बीजाउ, रिंगी रिंगी कलसा गोदा। दाई
आन यो संगही लोडा को दाना रिंगी रिंगी कलसा गोदाय। दाई
दूल्हाकर बहिन बहोतय मायासुर, कलसा ला य ही आनया,
संग हो मनरूपी ढाने कलसा ला वही गोदाय उउ।
तोर दैया कलसा ला ओही गोदाय तोरे।
तेल कुटोनी / बैगा
तरी नानी नानर, नानी तरी नानार नानी।
तरी नानी नानर, नानी तरी नानार नानी।
काहिन काट मुसारी काहिन काट सेंझी। दैया
काहिन काट मुसारी, काहिन काट सेंझी। दैया
खैर काट मुसारी, लोहन काट सेंझी।
खैर काट मुसारी, लोहन काट सेंझी। दैया
खैर काट मुसारी, लोहन काट सेंझी। दैया
बड़े दूल्हा तेल कूटय, झंकारो देय। दैया
बड़े दूल्हा तेल कूटय, झंकारो देय। दैया
तरी नानी तरी नानी नानर रे नान।
नानर नानी अर तरी नानी नानर रे नान।
दादर ऊपर, दादर घानी चलत है रे,
पेड़ों तेलया राई सरसोक तेल॥
मंडवा कटोनी / बैगा
तरी नानी नानर नानी, तरी नानारे नान।
तरी नानी नानर नानी, तरी नानारे नान।
काहिन लागय टंगली दाई,काहिन लागय बेंट।
काहिन लागय टंगली दाई, काहिन लागय बेंट।
सोने लागय टंगली दाई, रूपे लागय बेंट।
सोने लागय टंगली दाई, रूपे लागय बेंट।
दुई बोतल दारू दाई, जाँवर सोंहारी।
दवड़ी भरे बासी दाई, तबेला भर दाड़। 2
हलबूर की तलबूर, दोसी होओ लियारी। 2
होवत तियारी दोसी, बड़ा झेलो लागया। 2
एके डगा सारय दोसी, दूवय डगा सारय। 2
पोहचना लागय दोसी, भौंरा-पहड़े।
निवतों कि निवतों दोसी, सारई को मढ़ो। 2
निवतों कि निवतों दोसी, डोसी साल्हे को साजन। 2
निवतों कि निवतों दोसी, बासीं कन्या। 2
साड़े नी काहय दाई, मय मढ़ो होहूँ। 2
साल्हेनी काहय दाई, मैं साजन हो हूँ। 2
बासीं कन्या काहय मैं संग हो हूँ। 2
माटी खनौनी / बैगा
तारी नानी नानर नाई, तारी नानारे नान।
तारी नानी नानर नानी, तारी नानारे नान।
पूरो कि पूरो दोसी, चार खूटक चौंका दाई
पूरो कि पूरो दोसी, चारी खूटक चौका।
देवयो कि देयो दोसी, हुमे ग्रास।
तरपो कि तरपो दोसी, फुल मंद के छक दाई
तरपो कि तरपो दोसी, फुल मंद के छाक।
निवतो कि निवटों दोसी, कारी बीमोरा दाई
निवतो कि निवतो दोसी, काटी बिमोरा।
का सबद सूनी दीमी, तै केंवरी दै दै दाई
का सबद सूनी दीमी, तै केंवरी दै दै।
माटी माँगें आँही, कहके तै केंवरी दै दै दाई
माटी माँगें आँही, कहके तै केंवरी दै दै।
खोलो कि खोल देमी, कूची केंवरिया दाई
खोलो कि खोलो दीमी, कूची केंवरिया।
शब्दार्थ –हुमेगरास=होम/धूप/दीप, फुल मंद छाक=दारू से भरा दोना, तरपो=तर्पण करो, निवतो=आमंत्रित करो, बिमोरा=बमीठा, केंवरी=दरवाजा।
माटी खनौनी माँगर माटी रस्म का एक अंग है, जिसमें सुआसीने और दोसी पूर्व दिशा की ओर घर से गाँव बाहर जाकर मिट्टी खोदकर लाते हैं। पूर्व दिशा में दीमकों द्वारा बनाया गया बमीठा है। उस बमीठा के समीप पहुँचकर दोसी और गीतकारिन महिलाएँ जुवार के आटे से चौक पूरती हैं। धूप, दीप-अगरबत्ती जलाती हैं। धरती माता, ठाकुर देवता और माता महरानी का सुमिरण किया जाता है। मंद (दारू) चुहाई जाती है। मड़िया के आटे की रोटी चढ़ाई जाती है और कोरा धागा लपेटा जाता है। फिर सब लोग हाथ जोड़कर विनती करते हैं- हे धरती माता, ठाकुर देव, माता महरानी! आज हम लोग विवाह के लिये माँगर माटी लेने आए हैं। माटी खोदने आए हैं। तुम हमें कुदाल चलाने की अनुमति दो।
दोसी तुम चारों कोनों में कुदाल चलाओ और मिट्टी खोदो। दोसी हमने हूम -धूप, दीप-अगरबत्ती से सबकी पूजा कर दी है। मंद भी चूहा दी है। अब तुम दीमक के बनाए हुए बमीठे को भी विवाह में आमंत्रित कर लो। दीमक तुम हमें मिट्टी लेने दो। अपने दरवाजे बंद मत करो। हम तो शुभ कार्य के लिये थोड़ी सी नेग की मिट्टी लेने आए हैं। हम तुमसे मिट्टी माँग रहें हैं। दीमक कहती है – मेरे द्वार खुले हैं, तुम जितनी चाहो, उतनी मिट्टी ले जाओ।
2.
गाई दारे मंगरोही माटी, गोड़ धोई ले रेउउ।
कहय धन रे उमरडारा, साटो जनमला सुधारे उउ।
जोडनी : सेमी के ढेखरा तुम्हारे अंगना चीन्ही लयहें रेउउ।
दाऊ जवानी रेंगना, धीरे गायले उउ।
मंगरोही माटी, गोड़ धोई ले रेउउ ।
कहय धल रे उमर डारा, सातो जनमाला सुधा रेउउ ।
पथरा के मीढ़ी माटी के नहाडोर, गारी बोली भला दयले।
माया ला झिना तोर, धीरे गाय ले उउ ।
मंगरोही माटी, गोड़ धोई ले रेउउ ।
कहय धन रे उमर डारा, सातो जनमाला सुधा रेउउ ।
शब्दार्थ –उमरडारा-अमर वृक्ष की डाल, ढेखरा-सूखी लकड़ी, चीन्ही=पहचान, मीढ़ी=दीवार, नोहडोर=मिट्टी से बने अलंकण, टोर=तोड़।
माँगर माटी लाते समय दुल्हन की सहेलियाँ ददरिया गाती हैं, जो रास्ते में चलती हैं, कहती है- माँगर माटी ददरिया गा दिया है, माँगर माटी ले आये है। अब सब सहेली, पानी से अपने पैर धो लो। हम कहते हैं, इस डूमर के वृक्ष की डालियाँ धन्य हैं, जो मंडप में काम आती हैं। ये सातों जन्मों का उद्धार करने वाली हैं, सेमी वृक्ष की सूखे ठूँठ भी आँगन में गाड़ दिया है उसी के सहारे हमारे आँगन में सेमी की बेल चढ़ेगी। उसको हमने अच्छी तरह से जान लिया है, पहचान लिया है। जैसे-जैसे बेल ठूँठ पर लपेटती चले जाएगी। बढ़ती चली जायगी। वैसे-वैसे दुल्हन की जवानी निखरती जागी। बेल चढ़ने के लिये सहारे की जरूरत होती है।
पत्थर की दीवार में मिट्टी से नोहडोरा (उभरे भित्ति उद्रेखण) सुंदर लगते हैं। मैंने पत्थरों की दीवार में नोहडोरा दाल दिये है, मुझे गाली भले ही दे देना। लेकिन तुम मुझसे माया ममता का रिश्ता मत तोड़ना।
यह दादरिया गाते-गाते ‘माँगरमाटी’ को आँगन में एक कोने में रख देते हैं।
नाहोनी / बैगा
तरी नानी नानी नानरी, नानी तर नानी नाना रे नान।
आनोओ सगही बनिया क कइयाकोरय संगही हमार।
माई नर्बदा सोने बहादूर, जोइला माँ करै असनान। दैया।
आनो ओ संगही लिख लिखा कपड़ा पेहरय संगही हमार, दैया
बारात तैयारी / बैगा
तरी नानी नानर नानी।
तरी नानी नानर नानी।
तारी नाना रे नान। दैया मोरे 2
काहिक नाने रोथस कुँवर,
काहिक नीता रोथस,
कुँवर झुर-झुर रोथस, कुँवर मोरे 2
झै रो की झै रो कुँवर,
झै रो की झै रो कुँवर,
तोर मोजा बेयास देहूँ,कुँवर मोरे 2
ऊतक की सूनय कुँवर,
ऊतक की सुनय कुँवर,
झुर झुरी रो थे, दैया मोरी 2
काहिक नीता रोथस कुँवर,
काहिक नीता रोथस कुँवर,
झुर झुरी रोथस कुँवर, दैया मोरे 2
झै रो की झै रो कुँवर,
झै रो की झै रो कुँवर,
तोरे नाने जूता बेयास देहूँ, कुँवर मोरे 2
ऊतक की सुनय कुँवर,
झुर झुरी रोथस कुँवर, मोरे 2
काहिक नीता रोथस कुँवर 2
झुर झुरी रोथस कुँवर, मोरे 2
तोर नाने झंगा बेयास देहूँ,कुँवर मोरे 2
ऊतकी सुनय कुँवर 2
झुर झुरी रोथस कुँवर, मोरे 2
झै रो की झै रो कुँवर,
तोर नाने कमीज बेयास देहूँ,कुँवर मोरे 2
ऊतकी सुनय कुँवर 2
झुर झुरी रोथस कुँवर, मोरे 2
झै रो की झै रो कुँवर,
तोर नाने हवाल बेयास देहूँ,कुँवर मोरे 2
ऊतकी सुनय कुँवर 2
झुर झुरी रोथस कुँवर, मोरे 2
झै रो की झै रो कुँवर 2
तोर नाने फेटा बेयास देहूँ, कुँवर मोरे 2
ऊतकी सुनय कुँवर 2
झुर झुरी रोथस कुँवर, मोरे 2
झै रो की झै रो कुँवर 2
तोर नाने सरुता बेयास देहूँ, कुँवर मोरे 2
ऊतकी सुनय कुँवर 2
झुर झुरी रोथस कुँवर, मोरे 2
झै रो की झै रो कुँवर 2
तोर नाने तलवार बेयास देहूँ, कुँवर मोरे 2
ऊतकी सुनय कुँवर 2
झुर झुरी रोथस कुँवर, मोरे 2
झै रो की झै रो कुँवर 2
तोर नाने कन्या बेयास देहूँ, कुँवर मोरे 2
ऊतकी सुनै कुँवर 2
खुद खुदी हाँसय कुँवर, मोरे
खुद खुदी हाँसय।
तरी नानी नानर नानी,
तरी नानी नानर नानी,
नाना रे नान। दैया मोर 2
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