श्री हठी भक्त कवि की रचनाएँ । Shri Hathi ki Rachnaen

 श्री हठी के दोहे |

अज सिव सिद्ध सुरेस मुख, जपत रहत निसिजाम।
बाधा जन की हरत है, राधा राधा नाम॥


कीरति कीरति कुँवरि की, कहि-कहि थके गनेस।

दस सत मुख बरनन करत, पार न पावत सेस॥


राधा राधा कहत हैं, जे नर आठौ जाम।
ते भवसिंधु उलंघि कै, बसत सदा ब्रजधाम॥


राधा राधा जे कहैं, ते न परैं भव-फंद।

जासु कन्ध पर कमलकर, धरे रहत ब्रजचंद॥


श्री बृषभानु-कुमारि के, पग बंदौ कर जोर।
जे निसिबासर उर धरै, ब्रज बसि नंद-किसोर॥




श्री हठी के सवैया

चंद-सो आनन, कंजन-सो तन/श्री हठी


 
चंद-सो आनन, कंजन-सो तन, हौं लखिकैं बिनमोल बिकानी।

औ अरविन्द सो आँखिन कों ‘हठी', देखत मेरियै आँखि सिरानी॥
राजति है मनमोहन के सँग, बारौ मै कोटि रमा, रति बानी।

जीवनमूरि सबैं ब्रज को, ठकुरानी हमारी हैं राधिका रानी॥



मोरपखा, गर गुंज की माल/श्री हठी


 

मोरपखा, गर गुंज की माल, किये नव भेष बड़ी छबि छाई।
पीतपटी दुपटी कटि में, लपटी लकुटी 'हठी' मो मन भाई॥

छूटी लटैं, डुलैं कुण्डल कान, बजैं मुरली-धुनि मंद सुहाई।
कोटिन काम गुलाम भये, जब कान्ह ह्वै भान-लली बनि आई॥




जाकी कृपा सुक ग्यानी भये/श्री हठी


 

जाकी कृपा सुक’ ग्यानी भये, अतिदानी औ ध्यानी भये त्रिपुरारी।
जाकी कृपा बिधि बेद रचै, भये व्यास पुरानन के अधिकारी॥

जाकी कृपा ते त्रिलोकी-धनी, सु कहावत श्री ब्रजचंद-बिहारी।
लोक-घटाने तें ‘हठी’ कों बचाउ, कृपा करि श्रीवृषभानु-दुलारी॥



नवीनत गुलाब तें कोमल हैं/श्री हठी


 
नवीनत गुलाब तें कोमल हैं, ‘हठी' कंज की मंजुलता इनमें।

गुललाला गुलाब प्रबाल जपा छबि, ऐसी न देखी ललाइन में॥
मुनि-मानस मन्दिर मध्य बसैं, बस होत हैं सूधे सुभाइन में।

रहु रे मन, तू चित-चाइन सों, वृषभानु-कुमारि के पाइन में॥



हीन हौं, अधीन हौं तिहारो ब्रज-साहिबनी/श्री हठी


 
हीन हौं, अधीन हौं तिहारो ब्रज-साहिबनी!

हिय में मलीन करुना की कोर ढरिए।
भारी भवसागर में बोरत बचायौ मोहिं,

काम क्रोध लोभ मोह लागे सब अरिए।
बुरो-भलो, जैसो-तैसो, तेरे द्वार पर्यौ हौं तौं,

मेरे गुन-औगुन तूं मन में न धरिए।
कीरति-किसोरी, वृषभानु की दुहाई तोंहिं,

लच्छ-लच्छ भाँति सों ‘हठी' को पच्छ करिए॥



चंद की कला-सी, नवला-सी सखी संगबारी/श्री हठी


 
चंद की कला-सी, नवला-सी सखी संगबारी,

रंभा, रमा, उमा, ‘हठी' उपमा कों को रही?
कीरति-किसोरी बृषभानु की दुलारी राधा,

आली, वनमाली को सहज चित्त चोरही॥
भौंन तें निकसि प्यारी पाय धारे बाहिर लौं,

लाली तरवान की उमड़ि इक और ही॥
बगर-बगर अरु डगर-डगर बर,

जगर-मगर चार्यों ओर दुति हो रही॥



ध्यावत महेसहूं गनेसहूं धनेसहूं/श्री हठी


 
ध्यावत महेसहूं गनेसहूं धनेसहूं,

दिनेसहूं, फनेस त्यों मुनेस’ मनमानी हैं।
तीनों लोक जपत, त्रिताप की हरनहारी,

नवो निद्धि, सिद्धि, मुक्ति भई दरवानी हैं।
कीरति-दुलारी सेवैं चरन बिहारी धन्य,

जाको कित्त नित्त विधि वेदन बखानी है।
साधा काज पल में, अराधा छिन आधा 'हठी'

बाधा हरिवे कों एक राधा महारानी हैं॥



काहू कों सरन संभु गिरिजा गनेस सेस/श्री हठी


 
काहू कों सरन संभु गिरिजा गनेस सेस,

काहू कों सरन है कुबेर-ऐसे घोरी कौ।
काहूँ कों सरन मच्छ, कच्छ बलराम, राम,

काहू कों सरन गोरी साँवरी-सी जोरी कौ॥
काहू कों सरन बोध, बामन, बराह, ब्यास,

एही निराधार सदा रहै मति मोरी कौ॥
आनँदकरन बिधि-बंदित चरन एक,

‘हठी' कों सरन वृषभानु की किसोरी कौ॥



फटिकसिलान के महल महारानी बैठी/श्री हठी


 
फटिकसिलान के महल महारानी बैठी,

सुरन की रानी जुरि आई मन-भावतीं।
कोऊ जलदानी पानदानी पीकदानी लिए,

कोऊ कर बीनै लै सुहाये गीत गावतीं॥
कोऊ चौंर ढारैं चारु चाँदनी-से चौजबारे,

‘हठी' लै सुगंधन-सी अलकें बनावतीं॥
मोतिन के मनिन के पन्नन के प्रवालन के,

लालन के, हीरन के हार पहिनावतीं॥



कोमल विमल मञ्जु कंज-से अरुन सोहैं/श्री हठी


 
कोमल विमल मञ्जु कंज-से अरुन सोहैं,

लच्छन समेत सुभ सुद्ध कंदनी के हैं।
हरी के मनालय निरालय निकारन के,

भक्ति-वरदायक बखानैं छंद नीके हैं॥
ध्यावत सुरेस संभु सेस औ गनेस, खुले,

भाग अवनी के जहाँ मंद परै नीके हैं।
कटै जन फंदनीय द्वंदनीय हरि-हर,

वंदनीय चरन बृषभानु नंदिनी के हैं॥




कोऊ उमाराज रमाराज, जमाराज कोऊ/श्री हठी


 
कोऊ उमाराज रमाराज, जमाराज कोऊ,

कोऊ रामचंद सुखकंद नाम नाधे मैं।
कोऊ ध्यावैं गनपति, फनपति, सुरपति कोऊ,

कोऊ देव ध्याय फल लेत पल आधे मैं॥
'हठी' को अधार निरधार की अधार तू ही,

जप तप जोग जग्य कछुवै न साधे मैं।
कटै कोटि बाधे मुनि धरत समाधे, ऐसे,

राधे, पद रावरे सदा ही अवराधे मैं॥

Comments

Popular Posts

Ahmed Faraz Ghazal / अहमद फ़राज़ ग़ज़लें

अल्लामा इक़बाल ग़ज़ल /Allama Iqbal Ghazal

Ameer Minai Ghazal / अमीर मीनाई ग़ज़लें

मंगलेश डबराल की लोकप्रिय कविताएं Popular Poems of Manglesh Dabral

Ye Naina Ye Kajal / ये नैना, ये काजल, ये ज़ुल्फ़ें, ये आँचल

Akbar Allahabadi Ghazal / अकबर इलाहाबादी ग़ज़लें

Sant Surdas ji Bhajan lyrics संत श्री सूरदास जी के भजन लिरिक्स

Adil Mansuri Ghazal / आदिल मंसूरी ग़ज़लें

बुन्देली गारी गीत लोकगीत लिरिक्स Bundeli Gali Geet Lokgeet Lyrics

Mira Bai Ke Pad Arth Vyakhya मीराबाई के पद अर्थ सहित