संत रविदास जी को भक्त रविदास, गुरू रविदास, रैदास, रोहीदास और रूहीदास के नामों के साथ भी जाना जाता है। वह पन्दरहवीं सदी में हुए। उनकी रचना का भक्ति-विचारधारा पर गहरा प्रभाव पड़ा। वह एक समाज-सुधारक, मानववादी, धार्मिक मानव, चिंतक और महान कवि थे। उन का सम्बन्ध दुनियावी तौर पर कुटबांढला चमार जाति के साथ था। उन के ४० शब्द श्री गुरू ग्रंथ साहिब में दर्ज हैं। इस के इलावा भी उनकी रचना मिलती है। उनकी रचना ईश्वर, गुरू, ब्रह्मांड और कुदरत के साथ प्रेम का संदेश देती हुई मानव की भलाई पर ज़ोर देती है।
संत रविदास जी की रचनाएँ
शब्द संत रविदास जी Shabd Raidas Ji /Ravidas ji ke Shabad
1. बेगम पुरा सहर को नाउ /शब्द /संत रविदास जी /रैदास
40. मिलत पिआरो प्रान नाथु कवन भगति ते /शब्द /संत रविदास जी /रैदास
दोहे
पदावली संत रैदास/रविदास जी Sant Ravidas ke Pad/Padawali Raidas
1. अखि लखि लै नहीं का कहि पंडित, कोई न कहै समझाई
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