कहु कहु घनश्याम, अपने के कीये अछि नाम / मैथिली लोकगीत परिछन
कहु कहु घनश्याम, अपने के कीये अछि नाम
कोना आबि गेलहुँ मिथिला नगरिया मे
अहाँ के बाबू बड़ अनबूझ, सासुर कयलनि बड़ी दूर
चलऽमे भेलहुँ चूरमचूर, कने बैसि लिअ जनकजी के फुलबरिया मे
दुर्गानन्द कहथि कलजोड़ि, कनेता ई नयना खोलि
सखि सब करत किलोल महलियामे
बड़ सुन्दर लागय दुलहा के सुरतिया / मैथिली लोकगीत परिछन
बड़ सुन्दर लागय दुलहा के सुरतिया
चलू परिछन सखिया ना
सोनाकेँ डाला मंगायब
ओहिमे दीप जरायब
गायब गोबर मंगाएब आमक पतिया
चलू परिछन सखीया ना
दूभि अक्षत विराजे
दही पान शुभ काजे
मंगल गाबय सखी सहेलिया
चलू परिछन सखिया ना
देखि देखि दुलहाक रूप
चकित भेला सभ भूप
जुगल अहीं पर मारल नजरिया
चलू परिछन सखिया ना
गौरी दुलहा के आजु परीछू सखिया / मैथिली लोकगीत परिछन
गौरी दुलहा के आजु परीछू सखिया
बसहा चढ़ल शिव डामरु बजाबे, मुखमे ने दांत एको सखिया
गोरी दुलहा .....
तीन नयन भाल चन्द्र बिराजय, जटा मे गंगा बहय सखिया
गोरी दुलहा .....
मस्तक मौर सांप केर शोभिन, ओढ़थि बघम्बर छाल सखिया
गोरी दुलहा .....
परिछन करय हरषि चलू सजनी गे / मैथिली लोकगीत परिछन
परिछन करय हरषि चलू सजनी गे
दुलहा अवध किशोर सजनी गे
जिनकर रूप मन हरलक सजनी गे
जग भरि भेल अति शोर सजनी गे
देखैत फूल सन सुन्दर सजनी गे
तोड़लनि धनुष कठोर सजनी गे
जे विधि सिया निरमाओल सजनी गे
विधना लगाओल जोर सजनी गे
दुलहा परीछि मंडप चलू सजनी गे
देखि देखि चयन विभोर सजनी गे
परिछन चलू हरषि कय सजनी गे
अरीछि परीछि अवध किशोर सजनी गे
कओने नगरिया सऽ एलै सुन्दर दुलहा, कतऽ एलै हे / मैथिली लोकगीत परिछन
कओने नगरिया सऽ एलै सुन्दर दुलहा, कतऽ एलै हे
पचरंगिया बजनमा कतऽ एलै हे
अवध नगर सँ एलै सुन्दर दुलहा, जनकपुर हे
पचरंगिया बजनमा ओत्तहि बाजै हे
जब दुलहा अवध सऽ बहार भेल
सजाबे लगली हे सासु डाला ओ हारा, सजाबे लगली हे
जब दुलहा जनकपुर आएल, सजाबे लगलीह
सासु कोबर लाल पीअरसँ रंगाबे लगलीह
जब दुलहा द्वारे पर आयल, निरेखऽ लगली हे
सासु अपन जमइया निरेखऽ लगली हे
सतरंगिया बजनमा बजाबऽ लगली हे
मोहि लेलिखिन सजनी मोरा मनवा / मैथिली लोकगीत परिछन
मोहि लेलिखिन सजनी मोरा मनवा पहुनमा राघो (2)
हे हो पहुनमा राघो हे सिया के सजनमा राघो
राजा दशरथ के दुलरुआ पहुनमा राघो
मोहि लेलिखिन सजनी मोरा मनवा पहुनमा राघो (2)
अँखियाँ में कारी काजल होठवा में पानक लाली (2)
लाले लाल सिर पर हई पगड़िया हे पहुनमा राघो
मोहि लेलिखिन सजनी मोरा मनवा पहुनमा राघो (2)
चलू चलू परिछन सखी हे दूल्हा चुमावन सखि हे (2)
चमचम चमके के हे मऊरिया हे पहुनमा राघो
मोहि लेलिखिन सजनी मोरा मनवा पहुनमा राघो (2)
बड़ा भारी जुलुम केलौं हे मेना, नारद पर विश्वास केलौं / मैथिली लोकगीत परिछन
बड़ा भारी जुलुम केलौं हे मेना, नारद पर विश्वास केलौं
दाँत टुटल केश पाकल वर केँ, कोना परीछि आनि लेलौं
नहि छनि बरकेँ घर घरारी, ने छनि बाड़ी झारी
गौरीक गला हलाल केलौं, हे नारद पर विश्वास केलों
सह सह साँप करै छनि, गले नाग फुफकार छोड़ै छनि
गौरी केँ सन्ताप देलौं, नारद पर विश्वास केलौं
बड़ा भारी जुलुम केलौं हे मैना, नारद पर विश्वास केलौं
आयल छथि दुलहा जनकजी के द्वार
चलू सब परिछन राजकुमार
डाला बीच साँठि लियऽ चानन काजर
पानक खिल्ली लियऽ अति सुन्दर
आओर जे लियऽ सखि चाउर पिठार
चल सब परिछन राजकुमार
हाथमे शोभनि सोनक कंगन
माथमे शोभनि हीरा - मोतीक मौर
गला बीच शोभनि पुष्प हार
चलू सब परिछन राजकुमार
गाबथि स्नेहलता सुनू ए सुनयना
वरकेँ परीछि कए लऽ चलू अंगना
अहिठाम भेल आब विध व्यवहार
चलू सब परिछन राजकुमार
अहाँ केर बाबू दुलहा बहत लेलनि गनाय यो रघुवंशी दुलहा / मैथिली लोकगीत परिछन
अहाँ केर बाबू दुलहा बहत लेलनि गनाय यो रघुवंशी दुलहा
डाला भरि टाका लेलनि गनाय यो रघुवंशी दुलहा
अहाँ केर बाबु दुलहा बीत-बीत बेचबोलनि यो रघुवंशी दुलहा
हमरा बाबु के छनि एतेक हियाब यो रघुवंशी दुलहा
अहाँ के लेलनि खरीदि यो रघुवंशी दुलहा
मिथिलामे गेलौं बिकाय यो रघुवंशी दुलहा
सोना के डाला लय चलली सोआसिन हे परीछू सखी / मैथिली लोकगीत परिछन
सोना के डाला लय चलली सोआसिन हे परीछू सखी
कय लेल सोलह शृंगार हे परीछू सखी
कओने नगरियासँ एलै बरिअतिया हे परीछू सखी
कओने नगरिया भेलै शोर हे परीछू सखी
अवध नगरियासँ एलै बरिअतिया हे परीछू सखी
जनक नगरिया भेलै शोर हे परीछू सखी
एहन बरिअतिया हम कतहू ने देखल हे परीछू सखी
देखिते लागय तोहाओन हे परीछू सखी
ब्रह्मा ओ विष्णु मिलि अयला बरिअतिया हे परीछू सखी
बाजन बाजे घनघोर हे परीछू सखी
दस-पाँच सखी मिलि परिछन चलली हे परीछू सखी
पहिरन लहंगा - पटोर हे परीछू सखी
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