कवने खोतवा में लुकइलू आहि रे बालम चिरई / भोजपुरी
कवने खोतवा में लुकइलू आहि रे बालम चिरई।
आहि रे बालम चिरई, आहि रे बालम चिरई।
बन-बन ढुँढली दर-दर ढुँढली ढुँढली नदी के तीरे
सांझ के ढुँढली रात के ढुँढली ढुँढली होत फजीरे
जन में ढुँढली मन में ढुँढली ढुँढली बीच बजारे
हिया-हिया में पइसि के ढुँढली ढुँढली विरह के मारे
कवने अँतरे में समइलू आहि रे बालम चिरई
कवने खोतवा में लुकइलू आहि रे बालम चिरई।
गीत के हम हर कड़ी से पुछलीं पुछलीं राग मिलन से
छंद-छंद लय ताल से पुछलीं पुछलीं सुर के मन से
किरन-किरन से जाके पुछलीं पुछलीं नल गगन से
धरती और पाताल से पुछलीं पुछलीं मस्त पवन से
कवने सुगना पर लोभइलू आहि रे बालम चिरई
कवने खोतवा में लुकइलू आहि रे बालम चिरई।
मंदिर से मस्जिद तक देखलीं, गिरिजा से गुरुद्वारा
गीता और कुरान में देखलीं, देखलीं तीरथ सारा
पंडित से मुल्ल तक देखलीं, देखली घरे कसाई
सगरी उमिरिया छछलत जियरा, कैसे तोहके पाईं
कवने बतिया पर कोहँइलू, आहि रे बालम चिरई
कवने खोतवा में लुकइलू आहि रे बालम चिरई।
सब दिन होत न एक समाना / भोजपुरी
सब दिन होत न एक समाना
एक दिन राजा हरिश्चन्द्र गृह कंचन भरे खजाना
एक दिन भरे डोम घर पानी
मरघट गहे निशाना सब दिन ....
एक दिन राजा रामचन्द्र जी, चढ़ के जात विमाना जी
एक दिन उनका वनवास भयो
दशरथ तजे प्राणा साधु सब ....
एक दिन अर्जुन महाभारत में, जीते इन्द्र समाना जी
एक दिन भीलन लुटी गोपिका
वही अर्जुन वही बाणा ....
एक दिन बालक भयो गोदीया मा
एक दिन भयो सयाना
एक दिन चिता जरे मरघट पे
धुआं जात असमाना ....
कहत कबीर सुनेउ भाई साधो
यह पद हे निर्वाणा
यह पद का जो अर्थ लगइहें
होनहार बलवाना, सब दिन...
बाड़ी मोरी अबही उमरिया / भोजपुरी
बाड़ी मोरी अबही उमरिया
आ विधाता दिनवा धई दिहलें ऐ राम...
सजना सेयान हम नदान,
त कइसे के गवनमां जाइब ऐ राम
बाबा मोरा अइसन निरमोहिया
न मन में विचरवा कइले ऐ राम
माई मोरा हिया के कठोर
त घरवा से निकाली दिहली ऐ राम
नइहर में कुछउ न सिखलीं
पिया के घर का करब ऐ राम
कुसुम रंग पेन्हली चुनरिया
त लाल रंग चादर मिलल ऐ राम...
डोलिया में हमके बिठाई के
कहार चार लागी गइले ऐ राम
सुसुकि-सुसुकि माई रोवेली
त सखी फुका फारी रोवे ऐ राम
धनी अब भइली ससुरइतीन
लउटी फिर न आइब ऐ राम
दास ऐ कबीर, निर्गुण गावेलन
गाके समझावेले ऐ राम...
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