कोने फूल फुलय आधी आधी रतिया / कोबर मैथिली लोकगीत
कोने फूल फुलय आधी आधी रतिया,
कोने फूल फुलय भिनसर हे।
ताहि फूल लुबुधल सुन्दर दुलहा
बुझथि ने रौद बसात हे
एक हाथ लेलनि सुहबे तेल फुलेल
नयना स झहरणी नोर हे।
किये मोन परलौ सुहबे माय बापक राज
किये मोन परल छोट भाई हे
नहीं मोन परलै सासु माय बापक राज
नहीं मोन परलै छोट भाई हे
एक मोन परलै सासु अहीँ केर बेटबा
जकरा स जोरल सिनेह हे
जुगे जुगे जिवथु दुलहा से सुन्दर
सुन्दरि सुहबे के बढ़नू अहिवात हे।
कओने गामे उपजल सखि पानक बिड़िया, हे आहे सखी / कोबर मैथिली लोकगीत
कओने गामे उपजल सखि पानक बिड़िया, हे आहे सखी
नौरंग बिड़िया हे
कओने गामे उपजल डारि हे, दुलहा के निनियाँ घुरमल हे
फलां गामे उपजल सखि पानक बिड़िया हे, अपन गामे चतरल डारि हे
पंकज दुलहा के निनियां घुरमल हे
कओने छुरी कतरब आहे पानक बिड़िया हे, आहे सखि नौरंग बिड़िया हे
कओने छुरी कतरब डारि हे, आहे दुलहा के निनियां घुरमल हे
सोने छुरी कतरब सखि हे पानक बिड़िया, आहे सखि नौरंग बिड़िया हे
सोने छुरी कतरब डारि हे, आहे पंकज दुलहा के निनियां घुरमल हे
सेहो पान खयलनि पंकज दुलहा हे, रंगि लेल बत्तिसो मुख दांत हे
पंकज दुलहा के निनियां घुरमल हे
हंसि हंसि पुछथिन कनियाँ सुहबे हे, कहमा रंगेलहुँ बत्तिसो दांत हे
तोहरो नैहरबा छनि मोर ससुररिया, सरहोजि रंगल बत्तिसो दांत हे
नदिया के तीरे तीरे माली फुलबरिया, ताहिमे चानन के गाछ हे / कोबर मैथिली लोकगीत
नदिया के तीरे तीरे माली फुलबरिया, ताहिमे चानन के गाछ हे
ताहितर मालिन बेटी पलंगा ओछाओल, राजा बेटा खेलय शिकार हे
सब दिन आबै छलहुँ भोर भिनसरबा, आइ किए एती एती राति हे
अहूँ सँ सुन्नरि धनि मालिन केरि बेटिया, ओ मोरा राखल लोभाइ हे
आबथु मालिन बेटी पलंगा चढ़ि बैसथु, कओने रीति जोड़ल सिनेह हे
ताही खन मालिन बेटी पलंगा ओछाओल, मनेमन जोड़ल सिनेह हे
एते दिन बाजय कोइली भोर भिनसरबा, आइ किए बाजय आधी राति हे / कोबर मैथिली लोकगीत
एते दिन बाजय कोइली भोर भिनसरबा, आइ किए बाजय आधी राति हे
कोइली सबद सुनि पिया मोरा जागल, तखने चलल परदेश हे
घरसँ बहार भेली सुहबे से कनियां सुहबे, धय लेल पिया के पछोर हे
अपने तऽ जाइ छी पिया देश रे विदेशबा, हमरो के कहाँ छोड़ने जाइ हे
नहिरा मे छथि धनि माय-बाप-भइया, सासुरमे लक्ष्मण दिओर हे
अपना लेल छथिन प्रभु माय-बाप भइया, अपना लेल लक्ष्मण दिओर हे
अहीं तऽ पिया सींथक सिन्दूर हमार, अहीं प्रभु सोहरो सिंगार हे
कजरा जे पारि पारि लिखलमे कोहबर, लीखि लेल चारू भीत गे माई / कोबर मैथिली लोकगीत
कजरा जे पारि पारि लिखलमे कोहबर, लीखि लेल चारू भीत गे माई
हे झाड़ि लीखू कोहबर, अवध लिखू कोहबर
ताहि कोबर सुतला रामचन्द्र दुलहा, पीठ लागि सिया सुकुमारि गे माई हे झाड़ि...
घूरि सुतू फिरि सुतू राजा के बेटिया, अहूँ देह गरमी अपार गे माई हे झाड़ि...
एतबा वचन जब सुनलनि कनियाँ सुहबे, रूसि नैहर चलि जाथि गे माई हे झाड़ि...
घुरबय गेलथिन देओर से लक्ष्मण देओर, मानू भौजी बात हमार गे माई हे झाड़ि...
हम नहि घूरब देओर फेरू अहूँके वचनियाँ, कोबरक रीत अनरीत गे माई हे झाड़ि...
भेल विवाह राम चलला, कोबर घर, सरहोजि छेकल दुआरि हे / कोबर मैथिली लोकगीत
भेल विवाह राम चलला, कोबर घर, सरहोजि छेकल दुआरि हे
छोडू-छोडू आहे सरहोजि, हमरो कोबर घर जाय दीअऽ हे
नहि छोड़बै आहे रामचन्द्र अहूँके कोबर घर, हमरो के किए देब दान हे
देबमे देब हे सरहोजि कान दुनू सोनमा, देबमे गला गृमलहार हे
नहि लेब आहे रामचन्द्र कान दुनू सोनमा, नहि लेब गला गृमलहार हे
लेबमे लेब रामचन्द्र छोटकी बहीनियाँ, पियाजी के भेजब संदेश हे
सुन्दर कनियां रामरतनियां हीरा मोती लागल केबाड़ हे / कोबर मैथिली लोकगीत
सुन्दर कनियां रामरतनियां हीरा मोती लागल केबाड़ हे
नव कनियां कनियां
ताहि कोबर अपन सासू पलंगा ओछौलनि सुतथु धी जमाय हे
नव कनियां कनियां
घुरि सुतू फिरि सुतू राजाजी के बेटवा अहूँ देह गरमी अपार हे
नव कनियां कनियां
एतबा वचन जब सुनलनि दुलहा घोड़ी पीठ भेला असवार हे
नव कनियां कनियां
रभसैत-चहकैत सरहोजि अयलथिन धय लेल घोड़ाक लगाम हे
नव कनियां कनियां
हँसैत-खेलैत जाउ हमरो नन्दोसिया, ईहो थिक कोबराक रीत हे
नव कनियां कनियां
सूतल छलिऐ हे प्रभु / कोबर मैथिली लोकगीत
सूतल छलिऐ हे प्रभु, एके रे पलंग पर, हार मोरा गेलै हेराय हे
सोहावन लागे
नहि घर सासु हे प्रभु, नहि घर ननदि, हार मोरा गेल हेराय हे
सोहावन लागे
कथीक हार हे धनि, कथीमे गांथल, कहमहि गेल हेराय हे
सोहावन लागे
सोनेकेर हार हे प्रभु, रेशम डोरी गांथल, पलंगा पर गेलै हेराय हे
सोहावन लागे
जयबै बंगला देश, बजयबै सोनार के, हार अहाँक देब पहिराय हे
सोहावन लागे
गंगा जे बहि बहलै जमुनियां हे सखि सुन्दर कोबर / कोबर मैथिली लोकगीत
गंगा जे बहि बहलै जमुनियां हे सखि सुन्दर कोबर
बीच मे बहै छथि सरजुग धार हे सखि सुन्दर कोबर
ताहि पैसि अपन सासु पलंगा ओछओलनि हे सखि सुन्दर कोबर
खोइंछा भरि-भरि फुल छिड़िआएल हे सखि सुन्दर कोबर
ताहि पैसि सुतलनि दुलहा से रामचन्द्र संग लागि सीया सुकुमारि हे
घुरि सुतू फिरि सुतू राजा जी के बेटिया अहूँ देह गरमी अपार हे
एतबा वचन जब सुनलथि से फलाँ सुहबे कोबरसँ भऽगेली बहार हे
जुनि रूसू जुनि बहराउ कनियाँ हे सुहबे मानि लीअऽ वचन हमार हे
चलू चलू ओ राम, झटसँ पहिरू खराम / कोबर मैथिली लोकगीत
चलू चलू ओ राम, झटसँ पहिरू खराम, चलि कऽ करू गऽ आराम कोबरा घरमे
शोभित ललित पलंग, हीरा मोती लागल दुनू अंग, भय गेलीह सरहोजी संग, कोबरा घरमे
शोभित ललित पलंग, हीरा मोती लागल दुनू अंग, सारि सभ करथि राग-रंग, कोबरा घरमे
शोभित ललित पलंग, हीरा मोती लागल दुनू अंग, कनियां के करू गय संग, कोबरा घरमे
सुनू सुनू यौ सरकार, ई सभ तिरहुतके व्यवहार, सासु धेने छथि केबार, कोबरा घरमे
काँच ईंटाक महल उठाओल / कोबर मैथिली लोकगीत
काँच ईंटाक महल उठाओल, सोना मुठी लागल केबार हे
नव वर-नव कनियां
ताही कोबर सूतऽ गेला फलां दुलहा, कनियां सुहबे सुतू संग साथ हे
नव वर-नव कनियां
घुरि सुतू फिरि सुतू कनियां से सुहबे, अहूँ देह गरमी अपार हे
नव वर-नव कनियां
एतबा वचन जब सुनलनि कनियां, पलंग छोड़ि भूमि गेली लोटाय हे
नव वर-नव कनियां
आबथु सरहोजि बैसथु पलंग चढ़ि, देखि लेथु ननदो चरित्र हे
नव वर-नव कनियां
हमरो ननदिया रसिया बड़रे दुलरुआ, पाकल पान नहि खाथि हे
नव वर-नव कनियां
हमरो ननदिया प्रभु बड़ रे दुलरुआ, बात सहब नहि जानथि हे
नव वर-नव कनियां
सुन्दर कनियां राम रतनियां / कोबर मैथिली लोकगीत
सुन्दर कनियां राम रतनियां, सोने मूठी लागल केबार हे
नव वर-नव कनियां
ताहि कोबर सुतला दुलहा से फल्लां दुलहा, संग लागि सिया सुकुमारि हे
नव वर-नव कनियां
घुरि सुतू फिरि सुतू राजाजी के बेटिया, अहीं घामे चादरि मलीन हे
नव वर-नव कनियां
एतबा वचन जब सुनलनि कनियां सुहबे, सेज छोड़ि भूमिमे लोटथि हे
नव वर-नव कनियां
अंगना बहारैत तोहें सलगी गे चेरिया, सरहोजि दही ने बजाई हे
नव वर-नव कनियां
आबथु सरहोजि बैसथु पलंग चढ़ि, देखि लेथु ननदो चरित्र हे
नव वर-नव कनियां
अहाँ तऽ नन्दोसिया जी सांवर रे भमरवा, मोरा ननदी कमलक फूल
नव वर-नव कनियां
साओन भादव केर निशि रतिया / कोबर मैथिली लोकगीत
साओन भादव केर निशि रतिया, कहमा गमेलहुँ एती राति हे
तोहरोसँ सुन्दरि धनि मालिन केर बेटिया, ओतहि गमेलहुँ एती राति हे
आबथु मालिन बेटी बैसथु पलंग चढ़ि, कओने रीति जोड़ल सिनेह हे
फूल लोढ़य गेलहुँ राजा फुलबरिया, राजा बेटा हंसि देल, हम मुसुकाय देल
नैने नैने जोड़ल सिनेह हे
मरिहौक गे मालिन बेटी तोरो जेठ भइया, मोरा पिया राखल लोभाय हे
रामहि लछुमन वन कय चललाह / कोबर मैथिली लोकगीत
रामहि लछुमन वन कय चललाह, बाटहिं लागल पियास हे
एहि रे नगरियामे केओ नहि अपन, लछुमन के लागल पियास हे
घरसँ बहार बेली कनियां सुहबे, माथ कलस नेने ठाढ़ हे
पीबू पीबू आहे देओर ईहो शीतल पनियां, इहो थिक जमुनाक नीर हे
ककर बेटी ककर कुल जनमल किये थीक स्वामीक नाम हे
जनक जीक बेटी जनक कुल जनमल, श्रीराम थीक स्वामीक नाम हे
कमलक दहे दहे बेली फूल फूलल / कोबर मैथिली लोकगीत
कमलक दहे दहे बेली फूल फूलल, आओर फूलल कचनार हे
फूल लोढ़ऽ गेलाह दुलहा से फलाँ दुलहा, लुबुधि रहल छबे मास हे
घरसँ बहार भेली कनियाँ सुहबे, नैनासँ झहरय नोर हे
किए मोन पड़ल सुहबे माय-बाप बहिनी, किए मोन पड़लै पंडित भाय हे
नहि मोरा मोन पड़लै सासु, माय-बाप बहीनि, नहि मोन पड़लै पंडित भाय हे
एक मोन पड़लै सासु अहीं केर बेटबा, जिनि बिनु पलंगा उदास हे
मचिया बैसलि अहाँ कनियां / कोबर मैथिली लोकगीत
मचिया बैसलि अहाँ कनियां से कनियां सुहबे
झाड़थि नामी नामी केश हे
पलंगा बैसल अहाँ दुलहा से फल्लां दुलहा
निहारथि बदनि शरीर हे
जेहो किछु मांगब धनि सेहो किछु मांगि लीअ
इहो थिक कोबरक रीत हे
एक तऽ मंगइ छी प्रभु डुमरीक फुलबा
दोसर बधक दूध हे
बारह बरख हम निकुंजवन सेवल
तइयो नहि मिलल डुमरीक फूल हे
बारह बरख हम निकुंजवन सेवल
तइयो ने मिलल बाघक दूध हे
हाटे बजार सौं सिनूर मंगायब
दूनू मिल भोगब संसार हे
हाटे बजार सँ मधुर मंगायब
दूनू मिलि जोड़ब सिनेह हे
सखि आजु सोहागक राति / कोबर मैथिली लोकगीत
सखि आजु सोहागक राति कोबर रंग भारी बनी
कहाँ के सिया जनक नन्दिनी, कहाँ के राजकुमार
कोबर रंग भारी बनी
जनकपुर के सिया जनक दुलारी, अयोध्या के राजकुमार
कोबर रंग भारी बनी
लाले पलंग पर लाली ओछाओन, सुतथु दुलहा संग दुलारी हे
कोबर रंग भारी बनी
चारि चौखंड केर ईहो नब कोबर / कोबर मैथिली लोकगीत
चारि चौखंड केर ईहो नब कोबर, चारू कात लागल केबाड़ हे
भल कोहबर बनी
कोहबर सूतऽ गेला दुलहा से फल्लां दुलहा, कनियां सुहबे गूथल
फुलहार हे, भल कोहबर बनी
हार गूंथइते सुहबे भरि आयल जंघिया, गेली कनियां अलसाइ हे
एही ठाम छै हे प्रभु हार हमर, पहिरि कय दीअ शृंगार हे
भल कोहबर बनी
चलू चलू देखू सखि / कोबर मैथिली लोकगीत
चलू चलू देखू सखि चलू जनकपुर धाम हे
देखियनु गऽ रामचन्द्र के कौने रंग कोबर हे
कांचहि बांस केर कोबर केर घर हे
हिगुरे ढउरल छनि कोबर केर घर हे
कोबरमे बइसल दुलहा अति सुकुमार हे
श्याम वरण दुलहा दशरथ के लाल हे
एकहि पलंग सेज पिया संग सुतलौं / कोबर मैथिली लोकगीत
एकहि पलंग सेज पिया संग सुतलौं, हार मोरा गेल हेराय हे
कोठे सन कोबर
नहि घर सासु एली नहि ने ननदिया, तोहें प्रभु लेलहुँ चोराय हे
कोठे सन कोबर
जायब पुरुब देश करब दोसर ब्याह, हार तोरा देब मंगबाय हे
कोठे सन कोबर
जुनि तोहें जाहु प्रभु ओही रे पुरुब देश, जुनि कर दोसर ब्याह हे
कोठे सन कोबर
नहि हम लेबै प्रभु ओहो रे हार, सौतिनिक साल जुनि दैह हे
कोठे सन कोबर
सोना के अंगुठी मे लाल नगीना / कोबर मैथिली लोकगीत
सोना के अंगुठी मे लाल नगीना हे दुलहा के हाथ हे
कहू कहू बाबू सासू के बड़ाइ हे कहू बाबू हे
तोरोसँ सुन्नरि अम्मा सासु हमार हे
नितदिन पियाबथि अम्मा बट्टा भरि दूध हे
कहू कहू आहे देओर सरहोजि के बड़ाइ हे कहू देओर हे
अहूँ सँ सुन्नरि भौजी प्यारी सरहोजि हे
ओछाबथि नितदिन लाली पलंगिया हे
कहू-कहू आहे भैया सारिक बड़ाइ हे
तोरासँ सुन्दर बहिनी सारि प्यारी हे
खुआबथि हे जोड़ा खिल्ली पान हे
घर पछुअरबा लौंग केर गछिया / कोबर मैथिली लोकगीत
घर पछुअरबा लौंग केर गछिया, लौंग चुबय आधी राति हे
लौंग के चुनि चुनि सेजिया सजाओल, सेज भरि देल छिड़िआइ हे
ताहि कोबर सुतलनि दुलहा से रामजी दुलहा, संगमे सिया सुकुमारि हे
घुरि सुतू फिरि सुतू सुहबे हे कनियां सुहबे, अहूँ घामे भीजत चादरि हे
एतबा वचन जब सुनलनि कनियां सुहबे, रूसि नैहर चलल जाथि हे
एक कोस गेली सीता दुइ कोस गेली, तेसरे मे भय गेल सांझ हे
कहां गेलह किए भेलह भैया रे मलहबा, नइआसँ उतारि दैह पार हे
दिनमे खुअयबह सुन्दर चेल्हबा मछरिया, राति मे ओढ़ायब महाजाल हे
चान सुरुज सन अपन प्रभु तेजल, तोहर बोली मोरो ने सोहाय हे
एक नइआ आबय आजन बाजन, दोसर नइआ आबय बरिआत हे
तेसर नइआ फल्लां दुलहा आयल, पान खुआय धनी मनाओल हे
घर पछुअरबामे सुपारी के गछिया, चतरल चतरल डारि हे
घुमइत फिरइत अयला रामचन्द्र दुल्हा, तोड़ि लेल सुपारीक डारि हे
मचिया बैसल अहाँ निज हे सासु, मालिन बेटी देत उपराग हे
अपन पुत्र रहितै डांटि डपटि दितिऐ, परपुत्र डांटल ने जाय हे
रघुनन्दन यौ अहाँ बिनु कोबर घर अन्हार / कोबर मैथिली लोकगीत
रघुनन्दन यौ अहाँ बिनु कोबर घर अन्हार
ताहि कोबर सूत गेला, दुलहा से रामचंद्र, रघुनन्दन यौ
पीठि लागि सीता सुकुमारि
रघुनन्दन यौ अहाँ बिनु कोबर घर अन्हार
हटी सुतु हटी बैसु, ससुर जी के बेटिया, कनियाँ सुहबे हे
अहाँ देह गरमी बहुत
रघुनन्दन यौ अहाँ बिनु कोबर घर अन्हार
एतबा बचन जब सुनलनि कनियाँ रघुनन्दन यौ
धय लेल नहिरा के बाट
रघुनन्दन यौ अहाँ बिनु कोबर घर अन्हार
एक कोस गेली सुहबे दुई कोस गेली, रघुनन्दन यौ
तेसरे में गंगा बहु धार
रघुनन्दन यौ अहाँ बिनु कोबर घर अन्हार
कहाँ गेलए किये भेले मलहा रे भैया, मलहा भैया रे
हमरो के क दय नैया के पार
रघुनन्दन यौ अहाँ बिनु कोबर घर अन्हार
आजुका रोहिनियां हे सुहबे एतहि गमबियौ, कनियाँ सुहबे हे
भोरे होइते क देब नैया पार
रघुनन्दन यौ अहाँ बिनु कोबर घर अन्हार
चँदा सुरुज सँ मलहा अपन पिया तेजलौ, मलहा भैया रे
तोरा पर कोन विश्वास
रघुनन्दन यौ अहाँ बिनु कोबर घर अन्हार
बियाह सँ द्विरागमन धरिक गीत मैथिली लोकगीत मुख्य पृष्ठ
Biyah Sa Diragaman Dharik Geet Maithili Lokgeet Lyrics
No comments:
Post a Comment