प्रेमचंद परिचय / Munshi Premchand Parichay
Munshi Premchand मुंशी प्रेमचंद (31 जुलाई 1880–8 अक्तूबर 1936) का जन्म वाराणसी से चार मील दूर लमही गाँव में हुआ था। उनका असली नाम धनपत राय श्रीवास्तव था। उनकी शिक्षा का आरंभ उर्दू, फ़ारसी पढ़ने से हुआ और रोज़गार का पढ़ाने से। 1898 में मैट्रिक की परीक्षा के पास करने के बाद वह एक स्थानिक पाठशाला में अध्यापक नियुक्त हो गए। 1910 में वह इंटर और 1919 में बी.ए. के पास करने के बाद स्कूलों के डिप्टी सब-इंस्पेक्टर नियुक्त हुए।
प्रेमचंद की कहानियाँ / Premchand Ki Kahani
- Laila (Hindi Story) : Munshi Premchand 11/17/2024लैला (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदLaila (Hindi Story) : Munshi Premchand1यह कोई न जानता था कि लैला कौन है, कहाँ से आयी है और क्या करती है। एक दिन लोगों ने एक अनुपम सुंदरी को तेहरान के चौक में अपने डफ पर हा...
- कुत्सा (कहानी) : मुंशी प्रेमचंद Kutsa (Hindi Story) : Munshi Premchand11/8/2024अपने घर में आदमी बादशाह को भी गाली देता है। एक दिन मैं अपने दो-तीन मित्रों के साथ बैठा हुआ एक राष्ट्रीय संस्था के व्यक्तियों की आलोचना कर रहा था। हमारे विचार में राष्ट्रीय कार्यकर्ताओं को स्वार्थ और ...
- कुत्ते की कहानी (कहानी) : मुंशी प्रेमचंद Kutte Ki Kahani (Hindi Story) : Munshi Premchand11/8/20241बालको! तुमने राजाओं और वीरों की कहानियां बहुत सुनी होंगी, लेकिन किसी कुत्ते की जीवन-कथा शायद ही सुनी हो। कुत्तों के जीवन में ऐसी बात ही कौन-सी होती है, जो सुनाई जा सके। न वह देवों से लड़ता है, न परिय...
नए यूजर जिन्हे ज्ञात नहीं है वे डार्क टाइटल जहाँ munshi premchand और उनकी कहानी / रचना का नाम है उस पर क्लिक करेंगे तो पूरी रचना / कहानी दिखाई देगी
- काशी में आगमन (कहानी) : मुंशी प्रेमचंद Kashi Mein Aagman (Hindi Story) : Munshi Premchand11/8/2024जब से वृजरानी का काव्य–चन्द्र उदय हुआ, तभी से उसके यहां सदैव महिलाओं का जमघट लगा रहता था। नगर मे स्त्रीयों की कई सभाएं थी उनके प्रबंध का सारा भार उसी को उठाना पडता था। उसके अतिरिक्त अन्य नगरों से भी ...
- कायर (कहानी) : मुंशी प्रेमचंद Kayar (Hindi Story) : Munshi Premchand11/8/2024युवक का नाम केशव था, युवती का प्रेमा। दोनों एक ही कालेज के और एक ही क्लास के विद्यार्थी थे। केशव नये विचारों का युवक था, जात-पाँत के बन्धनों का विरोधी। प्रेमा पुराने संस्कारों की कायल थी, पुरानी मर्य...
- कामना-तरु (कहानी) : मुंशी प्रेमचंद Kamna-Taru (Hindi Story) : Munshi Premchand11/8/2024राजा इन्द्रनाथ का देहांत हो जाने के बाद कुँवर राजनाथ को शत्रुओं ने चारों ओर से ऐसा दबाया कि उन्हें अपने प्राण ले कर एक पुराने सेवक की शरण जाना पड़ा, जो एक छोटे-से गाँव का जागीरदार था। कुँवर स्वभाव से...
- कानूनी कुमार (कहानी) : मुंशी प्रेमचंद Kanooni Kumar (Hindi Story) : Munshi Premchand11/8/2024मि. कानूनी कुमार, एम.एल.ए. अपने आँफिस में समाचारपत्रों, पत्रिकाओं और रिपोर्टों का एक ढेर लिए बैठे हैं। देश की चिन्ताओं से उनकी देह स्थूल हो गयी है; सदैव देशोद्धार की फिक्र में पड़े रहते हैं। सामने पा...
- क़ातिल (कहानी) : मुंशी प्रेमचंद Qatil (Hindi Story) : Munshi Premchand11/8/2024जाड़ों की रात थी। दस बजे ही सड़कें बन्द हो गयी थीं और गालियों में सन्नाटा था। बूढ़ी बेवा मां ने अपने नौजवान बेटे धर्मवीर के सामने थाली परोसते हुए कहा-तुम इतनी रात तक कहां रहते हो बेटा? रखे-रखे खाना ठ...
- कश्मीरी सेब (कहानी) : मुंशी प्रेमचंद Kashmiri Seb (Hindi Story) : Munshi Premchand11/8/2024कल शाम को चौक में दो-चार जरूरी चीजें खरीदने गया था। पंजाबी मेवाफरोशों की दूकानें रास्ते ही में पड़ती हैं। एक दूकान पर बहुत अच्छे रंगदार,गुलाबी सेब सजे हुए नजर आये। जी ललचा उठा। आजकल शिक्षित समाज में ...
- कवच (कहानी) : मुंशी प्रेमचंद Kavach (Hindi Story) : Munshi Premchand11/8/2024बहुत दिनों की बात है, मैं एक बड़ी रियासत का एक विश्वस्त अधिकारी था। जैसी मेरी आदत है, मैं रियासत की घड़ेबन्दियों से पृथक रहता न इधर, अपने काम से काम रखता। काजी की तरह शहर के अंदेशे से दुबला न होता था...
- क्रिकेट मैच (कहानी) : मुंशी प्रेमचंद Cricket Match (Hindi Story) : Munshi Premchand11/8/2024१ जनवरी, १९३५आज क्रिकेट मैच में मुझे जितनी निराशा हुई मैं उसे व्यक्त नहीं कर हार सकता। हमारी टीम दुश्मनों से कहीं ज्यादा मजबूत था मगर हमें हार हुई और वे लोग जीत का डंका बजाते हुए ट्राफी उड़ा ले गये। ...
- कर्मों का फल (कहानी) : मुंशी प्रेमचंद Karmon Ka Phal (Hindi Story) : Munshi Premchand11/8/20241मुझे हमेशा आदमियों के परखने की सनक रही है और अनुभव के आधार पर कह सकता हूँ कि यह अध्ययन जितना मनोरंजक, शिक्षाप्रद और उदधाटनों से भरा हुआ है, उतना शायद और कोई अध्ययन न होगा। लेकिन अपने दोस्त लाला साईं...
- कफ़न (कहानी) : मुंशी प्रेमचंद Kafan (Hindi Story) : Munshi Premchand11/8/2024झोपड़े के द्वार पर बाप और बेटा दोनों एक बुझे हुए अलाव के सामने चुपचाप बैठे हुए हैं और अन्दर बेटे की जवान बीबी बुधिया प्रसव-वेदना में पछाड़ खा रही थी। रह-रहकर उसके मुँह से ऐसी दिल हिला देने वाली आवाज़...
- कप्तान साहब (कहानी) : मुंशी प्रेमचंद Kaptaan Sahib (Hindi Story) : Munshi Premchand11/8/20241जगत सिंह को स्कूल जान कुनैन खाने या मछली का तेल पीने से कम अप्रिय न था। वह सैलानी, आवारा, घुमक्कड़ युवक थां कभी अमरूद के बागों की ओर निकल जाता और अमरूदों के साथ माली की गालियॉँ बड़े शौक से खाता। कभी...
- कज़ाकी (कहानी) : मुंशी प्रेमचंद Kazaki (Hindi Story) : Munshi Premchand11/8/2024मेरी बाल-स्मृतियों में 'कजाकी' एक न मिटने वाला व्यक्ति है। आज चालीस साल गुजर गये; कजाकी की मूर्ति अभी तक आँखों के सामने नाच रही है। मैं उन दिनों अपने पिता के साथ आजमगढ़ की एक तहसील में था। कजाकी जाति ...
- एक्ट्रेस (कहानी) : मुंशी प्रेमचंद Actress (Hindi Story) : Munshi Premchand11/8/2024रंगमंच का परदा गिर गया। तारा देवी ने शकुंतला का पार्ट खेलकर दर्शकों को मुग्ध कर दिया था। जिस वक्त वह शकुंतला के रुप में राजा दुष्यन्त के सम्मुख खड़ी ग्लानि, वेदना, और तिरस्कार से उत्तेजित भावों को आग...
- एक आँच की कसर (कहानी) : मुंशी प्रेमचंद Ek Aanch Ki Kasar (Hindi Story) : Munshi Premchand11/8/2024सारे नगर में महाशय यशोदानन्द का बखान हो रहा था। नगर ही में नही, समस्त प्रान्त में उनकी कीर्ति की जाती थी, समाचार पत्रों में टिप्पणियां हो रही थी, मित्रो से प्रशंसापूर्ण पत्रों का तांता लगा हुआ था। सम...
- उपदेश (कहानी) : मुंशी प्रेमचंद Updesh (Hindi Story) : Munshi Premchand11/8/2024प्रयाग के सुशिक्षित समाज में पंडित देवरत्न शर्मा वास्तव में एक रत्न थे। शिक्षा भी उन्होंने उच्च श्रेणी की पायी थी और कुल के भी उच्च थे। न्यायशीला गवर्नमेंट ने उन्हें एक उच्च पद पर नियुक्त करना चाहा, ...
- उन्माद (कहानी) : मुंशी प्रेमचंद Unmaad (Hindi Story) : Munshi Premchand11/8/2024मनहर ने अनुरक्त होकर कहा-यह सब तुम्हारी कुर्बानियों का फल है वागी। नहीं तो आज मैं किसी अन्धेरी गली में, किसी अंधेरे मकान के अन्दर अंधेरी जिन्दगी के दिन काट र्हा होता। तुम्हारी सेवा और उपकार हमेशा याद...
- उद्धार (कहानी) : मुंशी प्रेमचंद Uddhar (Hindi Story) : Munshi Premchand11/8/2024हिंदू समाज की वैवाहिक प्रथा इतनी दुषित, इतनी चिंताजनक, इतनी भयंकर हो गयी है कि कुछ समझ में नहीं आता, उसका सुधार क्योंकर हो। बिरलें ही ऐसे माता−पिता होंगे जिनके सात पुत्रों के बाद एक भी कन्या उत्पन्न ...
- ईश्वरीय न्याय (कहानी) : मुंशी प्रेमचंद Ishwariya Nyaya (Hindi Story) : Munshi Premchand11/8/20241कानपुर जिले में पंडित भृगुदत्त नामक एक बड़े जमींदार थे। मुंशी सत्यनारायण उनके कारिंदा थे। वह बड़े स्वामिभक्त और सच्चरित्र मनुष्य थे। लाखों रुपये की तहसील और हजारों मन अनाज का लेन-देन उनके हाथ में था...
- Eidgah Munshi Premchand ईदगाह मुंशी प्रेमचंद11/8/2024रमजान के पूरे तीस रोजों के बाद ईद आयी है। कितना मनोहर, कितना सुहावना प्रभाव है। वृक्षों पर अजीब हरियाली है, खेतों में कुछ अजीब रौनक है, आसमान पर कुछ अजीब लालिमा है। आज का सूर्य देखो, कितना प्यारा, कि...
- इस्तीफ़ा (कहानी) : मुंशी प्रेमचंद Istifa (Hindi Story) : Munshi Premchand11/8/2024दफ्तर का बाबू एक बेजबान जीव है। मजदूरों को ऑंखें दिखाओ, तो वह त्योरियॉँ बदल कर खड़ा हो जायकाह। कुली को एक डाँट बताओं, तो सिर से बोझ फेंक कर अपनी राह लेगा। किसी भिखारी को दुत्कारों, तो वह तुम्हारी ओर ...
- इश्तिहारी शहीद (कहानी) : मुंशी प्रेमचंद Ishtehari Shaheed (Hindi Story) : Munshi Premchand11/8/2024मेरी सादगी, मेरी सच्चाई, मेरा भोलापन मेरे लिए जी का जंजाल हो गया। आज चार सप्ताह हो गए, यह मुसीबत मैंने स्वयं अपने ऊपर ओढ़ ली और अब इससे पीछा छूटने का कोई उपाय दिखाई नहीं देता।जब से मैं पेंशन लेकर रसू...
- इज़्ज़त का खून (कहानी) : मुंशी प्रेमचंद Izzat Ka Khoon (Hindi Story) : Munshi Premchand11/8/2024मैंने कहानियों और इतिहासो मे तकदीर के उलट फेर की अजीबो- गरीब दास्ताने पढी हैं । शाह को भिखमंगा और भिखमंगें को शाह बनते देखा है तकदीर एक छिपा हुआ भेद हैं । गालियों में टुकड़े चुनती हुई औरते सोने के सि...
- आहुति (कहानी) : मुंशी प्रेमचंद Aahuti (Hindi Story) : Munshi Premchand11/8/2024आनन्द ने गद्देदार कुर्सी पर बैठकर सिगार जलाते हुए कहा-आज विशम्भर ने कैसी हिमाकत की! इम्तहान करीब है और आप आज वालण्टियर बन बैठे। कहीं पकड़ गये, तो इम्तहान से हाथ धोएँगे। मेरा तो खयाल है कि वजीफ़ा भी ब...
- आल्हा (कहानी) : मुंशी प्रेमचंद Aalha (Hindi Story) : Munshi Premchand11/8/2024आल्हा का नाम किसने नहीं सुना। पुराने जमाने के चन्देल राजपूतों में वीरता और जान पर खेलकर स्वामी की सेवा करने के लिए किसी राजा महाराजा को भी यह अमर कीर्ति नहीं मिली। राजपूतों के नैतिक नियमों में केवल व...
- आँसुओं की होली (कहानी) : मुंशी प्रेमचंद Aansuon Ki Holi (Hindi Story) : Munshi Premchand11/8/2024नामों को बिगाड़ने की प्रथा न-जाने कब चली और कहाँ शुरू हुई। इस संसारव्यापी रोग का पता लगाये तो ऐतिहासिक संसार में अवश्य ही अपना नाम छोड़ जाए। पंडित जी का नाम तो श्रीविलास था; पर मित्र लोग सिलबिल कहा क...
- आभूषण (कहानी) : मुंशी प्रेमचंद Aabhushan (Hindi Story) : Munshi Premchand11/8/2024आभूषणों की निंदा करना हमारा उद्देश्य नहीं है। हम असहयोग का उत्पीड़न सह सकते हैं पर ललनाओं के निर्दय घातक वाक्बाणों को नहीं ओढ़ सकते। तो भी इतना अवश्य कहेंगे कि इस तृष्णा की पूर्ति के लिए जितना त्याग कि...
- आप-बीती (कहानी) : मुंशी प्रेमचंद Aap-Beeti (Hindi Story) : Munshi Premchand11/8/2024प्रायः अधिकांश साहित्य-सेवियों के जीवन में एक ऐसा समय आता है जब पाठकगण उनके पास श्रद्धा-पूर्ण पत्र भेजने लगते हैं। कोई उनकी रचना-शैली की प्रशंसा करता है कोई उनके सद्विचारों पर मुग्ध हो जाता है। लेखक ...
- आधार (कहानी) : मुंशी प्रेमचंद Aadhar (Hindi Story) : Munshi Premchand11/8/2024सारे गाँव मे मथुरा का सा गठीला जवान न था। कोई बीस बरस की उमर थी । मसें भीग रही थी। गउएं चराता, दूध पीता, कसरत करता, कुश्ती लडता था और सारे दिन बांसुरी बजाता हाट मे विचरता था। ब्याह हो गया था, पर अभी ...
- आदर्श विरोध (कहानी) : मुंशी प्रेमचंद Aadarsh Virodh (Hindi Story) : Munshi Premchand11/8/2024महाशय दयाकृष्ण मेहता के पाँव जमीन पर न पड़ते थे। उनकी वह आकांक्षा पूरी हो गयी थी जो उनके जीवन का मधुर स्वप्न था। उन्हें वह राज्याधिकार मिल गया था जो भारत-निवासियों के लिए जीवन-स्वर्ग है। वाइसराय ने उ...
- आत्माराम (कहानी) : मुंशी प्रेमचंद Aatma Ram (Hindi Story) : Munshi Premchand11/8/20241वेदों-ग्राम में महादेव सोनार एक सुविख्यात आदमी था। वह अपने सायबान में प्रात: से संध्या तक अँगीठी के सामने बैठा हुआ खटखट किया करता था। यह लगातार ध्वनि सुनने के लोग इतने अभ्यस्त हो गये थे कि जब किसी क...
- आत्म-संगीत (कहानी) : मुंशी प्रेमचंद Aatm-Sangeet (Hindi Story) : Munshi Premchand11/8/2024आधी रात थी। नदी का किनारा था। आकाश के तारे स्थिर थे और नदी में उनका प्रतिबिम्ब लहरों के साथ चंचल। एक स्वर्गीय संगीत की मनोहर और जीवनदायिनी, प्राण-पोषिणी घ्वनियॉँ इस निस्तब्ध और तमोमय दृश्य पर इस प्रक...
- आगा-पीछा (कहानी) : मुंशी प्रेमचंद Aaga-Peechha (Hindi Story) : Munshi Premchand11/8/2024रूप और यौवन के चंचल विलास के बाद कोकिला अब उस कलुषित जीवन के चिह्न को आँसुओं से धो रही थी। विगत जीवन की याद आते ही उसका दिल बेचैन हो जाता और वह विषाद और निराशा से विकल होकर पुकार उठती हाय ! मैंने संस...
- आखिरी हीला (कहानी) : मुंशी प्रेमचंद Aakhiri Heela (Hindi Story) : Munshi Premchand11/8/2024यद्यपि मेरी स्मरण-शक्ति पृथ्वी के इतिहास की सारी स्मरणीय तारीखें भूल गयीं, वह तारीखें जिन्हें रातों को जागकर और मस्तिष्क को खपाकर याद किया था; मगर विवाह की तिथि समतल भूमि में एक स्तंभ की भाँति अटल है...
- आख़िरी मंज़िल (कहानी) : मुंशी प्रेमचंद Aakhiri Manzil (Hindi Story) : Munshi Premchand11/8/20241आह ? आज तीन साल गुजर गए, यही मकान है, यही बाग है, यही गंगा का किनारा, यही संगमरमर का हौज। यही मैं हूँ और यही दरोदीवार। मगर इन चीजों से दिल पर कोई असर नहीं होता। वह नशा जो गंगा की सुहानी और हवा के दि...
- आख़िरी तोहफ़ा (कहानी) : मुंशी प्रेमचंद Aakhiri Tohfa (Hindi Story) : Munshi Premchand11/8/2024सारे शहर में सिर्फ एक ऐसी दुकान थी, जहाँ विलायती रेशमी साड़ी मिल सकती थीं। और सभी दुकानदारों ने विलायती कपड़े पर कांग्रेस की मुहर लगवायी थी। मगर अमरनाथ की प्रेमिका की फ़रमाइश थी, उसको पूरा करना जरुरी ...
- अलग्योझा (कहानी) : मुंशी प्रेमचंद Algyojha (Hindi Story) : Munshi Premchand11/8/2024भोला महतो ने पहली स्त्री के मर जाने बाद दूसरी सगाई की, तो उसके लड़के रग्घू के लिए बुरे दिन आ गए। रग्घू की उम्र उस समय केवल दस वर्ष की थी। चैने से गाँव में गुल्ली-डंडा खेलता फिरता था। माँ के आते ही चक...
- अमृत (कहानी) : मुंशी प्रेमचंद Amrit (Hindi Story) : Munshi Premchand11/8/2024मेरी उठती जवानी थी जब मेरा दिल दर्द के मजे से परिचित हुआ। कुछ दिनों तक शायरी का अभ्यास करता रहा और धीर-धीरे इस शौक ने तल्लीनता का रुप ले लिया। सांसारिक संबंधो से मुंह मोड़कर अपनी शायरी की दुनिया में ...
- अभिलाषा (कहानी) : मुंशी प्रेमचंद Abhilasha (Hindi Story) : Munshi Premchand11/8/2024कल पड़ोस में बड़ी हलचल मची। एक पानवाला अपनी स्त्री को मार रहा था। वह बेचारी बैठी रो रही थी, पर उस निर्दयी को उस पर लेशमात्र भी दया न आती थी। आखिर स्त्री को भी क्रोध आ गया। उसने खड़े होकरकहा, बस, अब म...
- अपनी करनी (कहानी) : मुंशी प्रेमचंद Apni Karni (Hindi Story) : Munshi Premchand11/8/20241आह, अभागा मैं! मेरे कर्मो के फल ने आज यह दिन दिखाये कि अपमान भी मेरे ऊपर हंसता है। और यह सब मैंने अपने हाथों किया। शैतान के सिर इलजाम क्यों दूं, किस्मत को खरी-खोटी क्यों सुनाऊँ, होनी का क्यों रोऊं? ...
- अनुभव (कहानी) : मुंशी प्रेमचंद Anubhav (Hindi Story) : Munshi Premchand11/8/2024प्रियतम को एक वर्ष की सजा हो गयी। और अपराध केवल इतना था, कि तीन दिन पहले जेठ की तपती दोपहरी में उन्होंने राष्ट्र के कई सेवकों का शर्बत-पान से सत्कार किया था। मैं उस वक्त अदालत में खड़ी थी। कमरे के बा...
- अनिष्ट शंका (कहानी) : मुंशी प्रेमचंद Anisht Shanka (Hindi Story) : Munshi Premchand11/8/2024चाँदनी रात, समीर के सुखद झोंके, सुरम्य उद्यान। कुँवर अमरनाथ अपनी विस्तीर्ण छत पर लेटे हुए मनोरमा से कह रहे थे- तुम घबराओ नहीं, मैं जल्द आऊँगा।मनोरमा ने उनकी ओर कातर नेत्रों से देखकर कहा- मुझे क्यों न...
- अनाथ लड़की (कहानी) : मुंशी प्रेमचंद Anath Larki (Hindi Story) : Munshi Premchand11/8/20241सेठ पुरुषोत्तमदास पूना की सरस्वती पाठशाला का मुआयना करने के बाद बाहर निकले तो एक लड़की ने दौड़कर उनका दामन पकड़ लिया। सेठ जी रुक गये और मुहब्बत से उसकी तरफ देखकर पूछा—क्या नाम है?लड़की ने जवाब दिया—...
- अंधेर (कहानी) : मुंशी प्रेमचंद Andher (Hindi Story) : Munshi Premchand11/8/20241नागपंचमी आई। साठे के जिन्दादिल नौजवानों ने रंग-बिरंगे जांघिये बनवाये। अखाड़े में ढोल की मर्दाना सदायें गूँजने लगीं। आसपास के पहलवान इकट्ठे हुए और अखाड़े पर तम्बोलियों ने अपनी दुकानें सजायीं क्योंकि ...
- Dharm Sankat (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970धर्मसंकट (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदDharm Sankat (Hindi Story) : Munshi Premchand‘पुरुषों और स्त्रियों में बड़ा अन्तर है, तुम लोगों का हृदय शीशे की तरह कठोर होता है और हमारा हृदय नरम, वह विरह की आँच नहीं...
- Do Behnein (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970दो बहनें (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदDo Behnein (Hindi Story) : Munshi Premchand1दोनों बहनें दो साल के बाद एक तीसरे नातेदार के घर मिलीं और खूब रो-धोकर खुश हुईं तो बड़ी बहन रूपकुमारी ने देखा कि छोटी बहन रा...
- Jihaad (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970जिहाद (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदJihaad (Hindi Story) : Munshi Premchandबहुत पुरानी बात है। हिंदुओं का एक काफ़िला अपने धर्म की रक्षा के लिए पश्चिमोत्तर के पर्वत-प्रदेश से भागा चला आ रहा था। मुद्दतों से उ...
- Panch Parmeshwar (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970पंच परमेश्वर (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदPanch Parmeshwar (Hindi Story) : Munshi Premchand1जुम्मन शेख अलगू चौधरी में गाढ़ी मित्रता थी। साझे में खेती होती थी। कुछ लेन-देन में भी साझा था। एक को दूसरे पर अटल...
- Lottery (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970लॉटरी (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदLottery (Hindi Story) : Munshi Premchandजल्दी से मालदार हो जाने की हवस किसे नहीं होती ? उन दिनों जब लॉटरी के टिकट आये, तो मेरे दोस्त, विक्रम के पिता, चचा, अम्मा, और भाई,...
- Ramleela (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970रामलीला (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदRamleela (Hindi Story) : Munshi Premchandइधर एक मुद्दत से रामलीला देखने नहीं गया। बंदरों के भद्दे चेहरे लगाये,आधी टाँगों का पाजामा और काले रंग का ऊँचा कुरता पहने आदमियो...
- Do Sakhiyan (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970दो सखियाँ (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदDo Sakhiyan (Hindi Story) : Munshi Premchand1लखनऊ1-7-25प्यारी बहन,जब से यहाँ आयी हूँ, तुम्हारी याद सताती रहती है। काश! तुम कुछ दिनों के लिए यहाँ चली आतीं, तो कितनी बह...
- Manovritti (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970मनोवृत्ति (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदManovritti (Hindi Story) : Munshi Premchand1एक सुन्दर युवती, प्रातःकाल गाँधी पार्क में बिल्लौर के बेंच पर गहरी नींद में सोयी पायी जाय, यह चौंका देनेवाली बात है। सुन्द...
- Doosri Shaadi (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970दूसरी शादी (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदDoosri Shaadi (Hindi Story) : Munshi Premchandजब मैं अपने चार साल के लड़के रामसरूप को गौर से देखता हूं तो ऐसा मालूम हेाता हे कि उसमें वह भोलापन और आकर्षण नहीं रहा जो...
- Banmanus Ki Dardnak Kahani (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970बनमानुस की दर्दनाक कहानी : मुंशी प्रेमचंदBanmanus Ki Dardnak Kahani (Hindi Story) : Munshi Premchandआज हम तुम्हें एक बनमानुस का हाल सुनाते हैं। सामने जो तसवीर है, उससे तुम्हें मालूम होगा कि बनमानुस न ...
- Laanchhan (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970मुंशी श्यामकिशोर के द्वार पर मुन्नू मेहतर ने झाड़ू लगायी, गुसलखाना धो-धो कर साफ किया और तब द्वार पर आ कर गृहिणी से बोला — माँ जी, देख लीजिए, सब साफ कर दिया। आज कुछ खाने को मिल जाए, सरकार !देवीरानी ने द...
- Mooth (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970मूठ (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदMooth (Hindi Story) : Munshi Premchandडॉक्टर जयपाल ने प्रथम श्रेणी की सनद पायी थी, पर इसे भाग्य ही कहिए या व्यावसायिक सिद्धान्तों का अज्ञान कि उन्हें अपने व्यवसाय में कभी उ...
- Darogaji (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970दारोगाजी (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदDarogaji (Hindi Story) : Munshi Premchandकल शाम को एक जरूरत से तांगे पर बैठा हुआ जा रहा था कि रास्ते में एक और महाशय तांगे पर आ बैठे। तांगेवाला उन्हें बैठाना तो न चाहत...
- Budhi Kaki (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970बूढ़ी काकी (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदBudhi Kaki (Hindi Story) : Munshi Premchand1जिह्वा-स्वाद के सिवा और कोई चेष्टा शेष न थी और न अपने कष्टों की ओर आकर्षित करने का, रोने के अतिरिक्त कोई दूसरा सहारा ही। स...
- Nairashya Leela (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970नैराश्य लीला (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदNairashya Leela (Hindi Story) : Munshi Premchand1पंडित हृदयनाथ अयोध्याय के एक सम्मानित पुरुष थे। धनवान् तो नहीं लेकिन खाने-पीने से खुश थे। कई मकान थे, उन्हीं के कि...
- Yehi Mera Watan (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970यही मेरा वतन (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदYehi Mera Watan (Hindi Story) : Munshi Premchandआज पूरे साठ बरस के बाद मुझे अपने वतन, प्यारे वतन का दर्शन फिर नसीब हुआ। जिस वक़्त मैं अपने प्यारे देश से विदा हुआ औ...
- Rasik Sampadak (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970रसिक संपादक (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदRasik Sampadak (Hindi Story) : Munshi Premchand1‘नवरस’ के संपादक पं. चोखेलाल शर्मा की धर्मपत्नी का जब से देहांत हुआ है, आपको स्त्रियों से विशेष अनुराग हो गया है और ...
- Devi (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970देवी (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदDevi (Hindi Story) : Munshi Premchand1बूढ़ों में जो एक तरह की बच्चों की-सी बेशर्मी आ जाती है वह इस वक्त भी तुलिया में न आई थी, यद्यपि उसके सिर के बाल चांदी हो गये थे। और ग...
- Fatiha (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970फ़ातिहा (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदFatiha (Hindi Story) : Munshi Premchand1सरकारी अनाथालय से निकलकर मैं सीधा फौज में भरती किया गया। मेरा शरीर हृष्ट-पुष्ट और बलिष्ठ था। साधारण मनुष्यों की अपेक्षा मेरे हाथ-...
- Milaap (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970मिलाप (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदMilaap (Hindi Story) : Munshi Premchand1लाला ज्ञानचन्द बैठे हुए हिसाब–किताब जाँच रहे थे कि उनके सुपुत्र बाबू नानकचन्द आये और बोले- दादा, अब यहां पड़े –पड़े जी उसता गया, आ...
- Rani Sarandha (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970रानी सारन्धा (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदRani Sarandha (Hindi Story) : Munshi Premchandअँधेरी रात के सन्नाटे में धसान नदी चट्टानों से टकराती हुई ऐसी सुहावनी मालूम होती थी जैसे घुमुर-घुमुर करती हुई चक्किया...
- Matwali Yogini (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970मतवाली योगिनी (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदMatwali Yogini (Hindi Story) : Munshi Premchandमाधवी पहले ही से मुरझायी हुई कली थी। निराशा ने उसे खाक मे मिला दिया। बीस वर्ष की तपस्विनी योगिनी हो गयी। उस बेचारी ...
- Magar Ka Shikar (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970मगर का शिकार (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदMagar Ka Shikar (Hindi Story) : Munshi Premchandमेरा गाँव सरजू नदी के किनारे है। न जाने क्यों सरजू में ऐसे जानवर बहुत रहते हैं। एक मर्तबा की बात है कि मैं नदी के ...
- Nimantran (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970निमंत्रण (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदNimantran (Hindi Story) : Munshi Premchandपंडित मोटेराम शास्त्री ने अंदर जा कर अपने विशाल उदर पर हाथ फेरते हुए यह पद पंचम स्वर में गाया,अजगर करे न चाकरी, पंछी करे न का...
- Do Bhai (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970दो भाई (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदDo Bhai (Hindi Story) : Munshi Premchand1प्रातःकाल सूर्य की सुहावनी सुनहरी धूप में कलावती दोनों बेटों को जाँघों पर बैठा दूध और रोटी खिलाती। केदार बड़ा था, माधव छोटा। दोन...
- Dhikkar-2 (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970धिक्कार-2 (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदDhikkar-2 (Hindi Story) : Munshi Premchand1अनाथ और विधवा मानी के लिये जीवन में अब रोने के सिवा दूसरा अवलंब न था। वह पाँच वर्ष की थी, जब पिता का देहांत हो गया। माता ने...
- Mandir (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970मंदिर (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदMandir (Hindi Story) : Munshi Premchandमातृ-प्रेम, तुझे धान्य है ! संसार में और जो कुछ है, मिथ्या है, निस्सार है। मातृ-प्रेम ही सत्य है, अक्षय है, अनश्वर है। तीन दिन से स...
- Mantra-1 (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970मंत्र-1 (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदMantra-1 (Hindi Story) : Munshi Premchand1संध्या का समय था। डाक्टर चड्ढा गोल्फ खेलने के लिए तैयार हो रहे थे। मोटर द्वार के सामने खड़ी थी कि दो कहार एक डोली लिये आते दिख...
- Rashtra Ka Sewak (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970राष्ट्र का सेवक (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदRashtra Ka Sewak (Hindi Story) : Munshi Premchandराष्ट्र के सेवक ने कहा—देश की मुक्ति का एक ही उपाय है और वह है नीचों के साथ भाईचारे का सुलूक, पतितों के साथ बरा...
- Mandir Aur Masjid (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970मंदिर और मस्जिद (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदMandir Aur Masjid (Hindi Story) : Munshi Premchand1चौधरी इतरतअली ‘कड़े’ के बड़े जागीरदार थे। उनके बुजुर्गो ने शाही जमाने में अंग्रेजी सरकार की बड़ी-बड़ी खिदमत क...
- Pareeksha (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970परीक्षा (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदPareeksha (Hindi Story) : Munshi Premchand1नादिरशाह की सेना ने दिल्ली में कत्लेआम कर रखा है। गलियों में खून की नदियाँ बह रही हैं। चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ है। बाजार बं...
- Motor Ke Chheente (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970मोटर के छींटे (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदMotor Ke Chheente (Hindi Story) : Munshi Premchandक्या नाम कि… प्रात:काल स्नान-पूजा से निपट, तिलक लगा, पीताम्बर पहन, खड़ाऊँ पाँव में डाल, बगल में पत्रा दबा, हाथ म...
- Maryada Ki Vedi (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970मर्यादा की वेदी (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदMaryada Ki Vedi (Hindi Story) : Munshi Premchand1यह वह समय था जब चित्तौड़ में मृदुभाषिणी मीरा प्यारी आत्माओं को ईश्वर-प्रेम के प्याले पिलाती थी। रणछोड़ जी के मंदि...
- Naya Vivah (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970नया विवाह (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदNaya Vivah (Hindi Story) : Munshi Premchandहमारी देह पुरानी है, लेकिन इसमें सदैव नया रक्त दौड़ता रहता है। नये रक्त के प्रवाह पर ही हमारे जीवन का आधार है। पृथ्वी की इस...
- Baudam (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970बौड़म (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदBaudam (Hindi Story) : Munshi Premchandमुझे देवीपुर गये पाँच दिन हो चुके थे, पर ऐसा एक दिन भी न होगा कि बौड़म की चर्चा न हुई हो। मेरे पास सुबह से शाम तक गाँव के लोग बैठे रह...
- Jiwan Ka Shaap (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970जीवन का शाप (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदJiwan Ka Shaap (Hindi Story) : Munshi Premchandकावसजी ने पत्र निकाला और यश कमाने लगे। शापूरजी ने रुई की दलाली शुरू की और धन कमाने लगे ? कमाई दोनों ही कर रहे थे, पर ...
- Banka Zamindar (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970बाँका ज़मींदार (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदBanka Zamindar (Hindi Story) : Munshi Premchand1ठाकुर प्रद्युम्न सिंह एक प्रतिष्ठित वकील थे और अपने हौसले और हिम्मत के लिए सारे शहर में मश्हूर। उनके दोस्त अकसर क...
- Balak (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970बालक (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदBalak (Hindi Story) : Munshi Premchand1गंगू को लोग ब्राह्मण कहते हैं और वह अपने को ब्राह्मण समझता भी है। मेरे सईस और खिदमतगार मुझे दूर से सलाम करते हैं। गंगू मुझे कभी सलाम...
- Laag-Daat (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970लाग-डाट (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदLaag-Daat (Hindi Story) : Munshi Premchand1जोखू भगत और बेचन चौधरी में तीन पीढ़ियों से अदावत चली आती थी। कुछ डाँड़-मेंड़ का झगड़ा था। उनके परदादों में कई बार खून-खच्चर हुआ। ...
- Riyasat Ka Diwan (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970रियासत का दीवान (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदRiyasat Ka Diwan (Hindi Story) : Munshi Premchandमहाशय मेहता उन अभागों में थे, जो अपने स्वामी को प्रसन्न नहीं रख सकते थे। वह दिल से अपना काम करते थे और चाहते थे...
- Daftari (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970दफ्तरी (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदDaftari (Hindi Story) : Munshi Premchandरफाकत हुसेन मेरे दफ्तर का दफ्तरी था। 10 रु. मासिक वेतन पाता था। दो-तीन रुपये बाहर के फुटकर काम से मिल जाते थे। यही उसकी जीविका थी...
- Yah Bhi Nasha Vah Bhi Nasha (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970यह भी नशा, वह भी नशा (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदYah Bhi Nasha Vah Bhi Nasha (Hindi Story) : Munshi Premchand1होली के दिन राय साहब पण्डित घसीटेलाल की बारहदरी में भंग छन रही थी कि सहसा मालूम हुआ, जिलाधीश म...
- Mantra-2 (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970मंत्र-2 (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदMantra-2 (Hindi Story) : Munshi Premchandपंडित लीलाधर चौबे की जबान में जादू था। जिस वक्त वह मंच पर खड़े हो कर अपनी वाणी की सुधावृष्टि करने लगते थे; श्रोताओं की आत्माएँ त...
- Bodh (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970बोध (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदBodh (Hindi Story) : Munshi Premchandपंडित चंद्रधर ने अपर प्राइमरी में मुदर्रिसी तो कर ली थी, किन्तु सदा पछताया करते थे कि कहाँ से इस जंजाल में आ फँसे। यदि किसी अन्य विभाग ...
- Moteram Ji Shastri (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970मोटेराम जी शास्त्री (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदMoteram Ji Shastri (Hindi Story) : Munshi Premchand1पण्डित मोटेराम जी शास्त्री को कौन नही जानता! आप अधिकारियों का रूख देखकर काम करते है। स्वदेशी आन्दोलने के...
- Narak Ka Maarg (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970नरक का मार्ग (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदNarak Ka Maarg (Hindi Story) : Munshi Premchand1रात ‘भक्तमाल’ पढ़ते-पढ़ते न जाने कब नींद आ गयी। कैसे-कैसे महात्मा थे जिनके लिए भगवत्-प्रेम ही सबकुछ था, इसी में मग्न ...
- Bhoot (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970भूत (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदBhoot (Hindi Story) : Munshi Premchandमुरादाबाद के पंडित सीतानाथ चौबे गत 30 वर्षों से वहाँ के वकीलों के नेता हैं। उनके पिता उन्हें बाल्यावस्था में ही छोड़कर परलोक सिधारे थे...
- Dhokha (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970धोखा (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदDhokha (Hindi Story) : Munshi Premchand1सतीकुण्ड में खिले हुए कमल वसंत के धीमे-धीमे झोंकों से लहरा रहे थे और प्रातःकाल की मंद-मंद सुनहरी किरणें उनसे मिल-मिल कर मुस्कराती थ...
- Jurmana (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970जुरमाना (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदJurmana (Hindi Story) : Munshi Premchand1ऐसा शायद ही कोई महीना जाता कि अलारक्खी के वेतन से कुछ जुरमाना न कट जाता। कभी-कभी तो उसे ६) के ५) ही मिलते, लेकिन वह सब कुछ सहकर...
- Miss Padma (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970मिस पद्मा (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदMiss Padma (Hindi Story) : Munshi Premchand1कानून में अच्छी सफलता प्राप्त कर लेने के बाद मिस पद्मा को एक नया अनुभव हुआ, वह था जीवन का सूनापन। विवाह को उन्होंने एक अप्...
- Jiwan-Saar (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970जीवन-सार (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदJiwan-Saar (Hindi Story) : Munshi Premchand1मेरा जीवन सपाट, समतल मैदान है, जिसमें कहीं-कहीं गढ़े तो हैं, पर टीलों, पर्वतों, घने जंगलों, गहरी घाटियों और खण्डहरों का स्थ...
- Prem Ki Holi (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970प्रेम की होली (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदPrem Ki Holi (Hindi Story) : Munshi Premchand1गंगी का सत्रहवाँ साल था, पर वह तीन साल से विधवा थी, और जानती थी कि मैं विधवा हूँ, मेरे लिए संसार के सुखों के द्वार ब...
- Do Kabrein (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970दो कब्रें (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदDo Kabrein (Hindi Story) : Munshi Premchandअब न वह यौवन है, न वह नशा, न वह उन्माद। वह महफिल उठ गई, वह दीपक बुझ गया, जिससे महफिल की रौनक थी। वह प्रेममूर्ति कब्र की गोद...
- Premashram (Novel) : Munshi Premchand1/1/1970प्रेमाश्रम (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंदPremashram (Novel) : Munshi Premchand1.सन्ध्या हो गई है। दिन भर के थके-माँदे बैल खेत से आ गये हैं। घरों से धुएँ के काले बादल उठने लगे। लखनपुर में आज परगने के हाकिम...
- Prerna (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970प्रेरणा (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदPrerna (Hindi Story) : Munshi Premchandमेरी कक्षा में सूर्यप्रकाश से ज्यादा ऊधमी कोई लड़का न था, बल्कि यों कहो कि अध्यापन-काल के दस वर्षों में मुझे ऐसी विषम प्रकृति के ...
- Lekhak (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970लेखक (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदLekhak (Hindi Story) : Munshi Premchand1प्रात:काल महाशय प्रवीण ने बीस दफा उबाली हुई चाय का प्याला तैयार किया और बिना शक्कर और दूध के पी गये। यही उनका नाश्ता था। महीनों से ...
- Do Bailon Ki Katha (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970दो बैलों की कथा (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदDo Bailon Ki Katha (Hindi Story) : Munshi Premchandजानवरों में गधा सबसे ज्यादा बुद्धिमान समझा जाता है। हम जब किसी आदमी को पहले दर्जे का बेवकूफ कहना चाहते हैं, त...
- Bohni (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970बोहनी (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदBohni (Hindi Story) : Munshi Premchand1उस दिन जब मेरे मकान के सामने सड़क की दूसरी तरफ एक पान की दुकान खुली तो मैं बाग-बाग हो उठा। इधर एक फर्लांग तक पान की कोई दुकान न थी ...
- Mehri (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970महरी (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदMehri (Hindi Story) : Munshi Premchand1भगवान् भला करे लल्लूजी की माँ का, जिनके बल पर हर प्रकार का आराम है। अन्यथा डाकखाने की नौकरी जहाँ सात-आठ घंटे की हाजिरी और कभी दफ्तर ...
- Dand (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970दण्ड (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदDand (Hindi Story) : Munshi Premchand1संध्या का समय था। कचहरी उठ गयी थी। अहलकार चपरासी जेबें खनखनाते घर जा रहे थे। मेहतर कूड़े टटोल रहा था कि शायद कहीं पैसे मिल जायें। कचह...
- Nasha (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970नशा (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदNasha (Hindi Story) : Munshi Premchand1ईश्वरी एक बडे जमींदार का लड़का था और मैं गरीब क्लर्क का, जिसके पास मेहनत-मजूरी के सिवा और कोई जायदाद न थी। हम दोनों में परस्पर बहस...
- Nirvasan (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970निर्वासन (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदNirvasan (Hindi Story) : Munshi Premchandपरशुराम- वहीं-वहीं, दालान में ठहरो!मर्यादा- क्यों, क्या मुझमें कुछ छूत लग गयी?परशुराम- पहले यह बताओ तुम इतने दिनों कहाँ रहीं, ...
- Dara Shikoh Ka Darbar (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970दाराशिकोह का दरबार (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदDara Shikoh Ka Darbar (Hindi Story) : Munshi Premchandशहजादा दाराशिकोह शाहजहाँ के बड़े बेटे थे और बाह्य तथा आन्तरिक गुणों से परिपूर्ण। यद्यपि वे थे तो वली अह...
- Balidan (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970बलिदान (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदBalidan (Hindi Story) : Munshi Premchandमनुष्य की आर्थिक अवस्था का सबसे ज्यादा असर उसके नाम पर पड़ता है। मौजे बेला के मँगरू ठाकुर जब से कान्सटेबल हो गए हैं, इनका नाम मंग...
- Maan (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970माँ (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदMaan (Hindi Story) : Munshi Premchand1आज बन्दी छूटकर घर आ रहा है। करुणा ने एक दिन पहले ही घर लीप-पोत रखा था। इन तीन वर्षो में उसने कठिन तपस्या करके जो दस-पाँच रूपये जमा कर ...
- Nairashya (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970नैराश्य (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदNairashya (Hindi Story) : Munshi Premchand1बाज आदमी अपनी स्त्री से इसलिए नाराज़ रहते हैं कि उसके लड़कियाँ ही क्यों होती हैं, लड़के क्यों नहीं होते। जानते हैं कि इनमें स...
- Juloos (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970जुलूस (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदJuloos (Hindi Story) : Munshi Premchand1पूर्ण स्वराज्य का जुलूस निकल रहा था। कुछ युवक, कुछ बूढ़े, कुछ बालक झंडियाँ और झंडे लिये वंदेमातरम् गाते हुए माल के सामने से निकले। ...
- Pashu Se Manushya (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970पशु से मनुष्य (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदPashu Se Manushya (Hindi Story) : Munshi Premchandदुर्गा माली डॉक्टर मेहरा, बार-ऐट ला, के यहाँ नौकर था। पाँच रुपये मासिक वेतन पाता था। उसके घर में स्त्री और दो-ती...
- Meri Pehli Rachna (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970मेरी पहली रचना (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदMeri Pehli Rachna (Hindi Story) : Munshi Premchand1उस वक्त मेरी उम्र कोई १३ साल की रही होगी। हिन्दी बिल्कुल न जानता था। उर्दू के उपन्यास पढ़ने-लिखने का उन्माद था...
- Paltu Bhalu (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970पालतू भालू (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदPaltu Bhalu (Hindi Story) : Munshi Premchandकिसी शहर में एक बनिया रहता था। वह ज़मींदार का कारिन्दा था । असामियों से रुपया वसूल करना उसका काम था।एक दिन वह असामियों से ...
- Mahateerth (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970महातीर्थ (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदMahateerth (Hindi Story) : Munshi Premchand1मुंशी इंद्रमणि की आमदनी कम थी और खर्च ज्यादा। अपने बच्चे के लिए दाई का खर्च न उठा सकते थे। लेकिन एक तो बच्चे की सेवा-शुश्रू...
- Poorv Sanskar (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970पूर्व संस्कार (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदPoorv Sanskar (Hindi Story) : Munshi Premchandसज्जनों के हिस्से में भौतिक उन्नति कभी भूल कर ही आती है। रामटहल विलासी, दुर्व्यसनी, चरित्राहीन आदमी थे, पर सांसारिक ...
- Prem-Sutra (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970प्रेम-सूत्र (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदPrem-Sutra (Hindi Story) : Munshi Premchand1संसार में कुछ ऐसे मनुष्य भी होते हैं जिन्हें दूसरों के मुख से अपनी स्त्री की सौंदर्य-प्रशंसा सुनकर उतना ही आनन्द होता है...
- Paipuji (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970पैपुजी (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदPaipuji (Hindi Story) : Munshi Premchandसिद्धान्त का सबसे बड़ा दुश्मन है मुरौवत। कठिनाइयों, बाघओं, प्रलोभनों का सामना आप कर सकते हैं दृढ़ संकल्प और आत्मबल से। लेकिन एक द...
- Poos Ki Raat (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970पूस की रात (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदPoos Ki Raat (Hindi Story) : Munshi Premchand1हल्कू ने आकर स्त्री से कहा– सहना आया है । लाओं, जो रुपये रखे हैं, उसे दे दूँ, किसी तरह गला तो छूटे ।मुन्नी झाड़ू लगा रह...
- Pachhtawa (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970पछतावा (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदPachhtawa (Hindi Story) : Munshi Premchand1पंडित दुर्गानाथ जब कालेज से निकले तो उन्हें जीवन-निर्वाह की चिंता उपस्थित हुई। वे दयालु और धार्मिक थे। इच्छा थी कि ऐसा काम करन...
- Madhavi (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970माधवी (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदMadhavi (Hindi Story) : Munshi Premchandकभी–कभी वन के फूलों में वह सुगन्धित और रंग-रुप मिल जाता है जो सजी हुई वाटिकाओं को कभी प्राप्त नहीं हो सकता। माधवी थी तो एक मूर्ख औ...
- Bade Bhai Sahib (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970बड़े भाई साहब (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदBade Bhai Sahib (Hindi Story) : Munshi Premchand1मेरे भाई साहब मुझसे पॉँच साल बडे थे, लेकिन तीन दरजे आगे। उन्होने भी उसी उम्र में पढना शुरू किया था जब मैने शुरू ...
- Neki (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970नेकी (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदNeki (Hindi Story) : Munshi Premchand1सावन का महीना था। रेवती रानी ने पांव में मेहंदी रचायी, मांग-चोटी संवारी और तब अपनी बूढ़ी सास ने जाकर बोली—अम्मां जी, आज भी मेला देखने...
- Parvat-Yatra (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970पर्वत-यात्रा (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदParvat-Yatra (Hindi Story) : Munshi Premchand1प्रात:काल मुं. गुलाबाजखां ने नमाज पढ़ी, कपड़े पहने और महरी से किराये की गाड़ी लाने को कहा।शीरीं बेगम ने पूछा—आज सबेरे...
- Raksha Mein Hatya (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970रक्षा में हत्या (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदRaksha Mein Hatya (Hindi Story) : Munshi Premchandकेशव के घर में एक कार्निस के ऊपर एक पंडुक ने अंडे दिए थे। केशव और उसकी बहन श्यामा दोनों बड़े गौर से पंडुक को ...
- Yeh Meri Matribhumi Hai (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970यह मेरी मातृभूमि है (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदYeh Meri Matribhumi Hai (Hindi Story) : Munshi Premchandआज पूरे 60 वर्ष के बाद मुझे मातृभूमि-प्यारी मातृभूमि के दर्शन प्राप्त हुए हैं। जिस समय मैं अपने प्या...
- Prem Ka Uday (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970प्रेम का उदय (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदPrem Ka Uday (Hindi Story) : Munshi Premchandभोंदू पसीने में तर, लकड़ी का एक गट्ठा सिर पर लिए आया और उसे जमीन पर पटककर बंटी के सामने खड़ा हो गया, मानो पूछ रहा हो ‘क्...
- Neur (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970नेउर (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदNeur (Hindi Story) : Munshi Premchand1आकाश में चांदी के पहाड़ भाग रहे थे, टकरा रहे थे गले मिल रहें थे, जैसे सूर्य मेघ संग्राम छिड़ा हुआ हो। कभी छाया हो जाती थी कभी तेज धूप...
- Jugnu Ki Chamak (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970जुगनू की चमक (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदJugnu Ki Chamak (Hindi Story) : Munshi Premchand1पंजाब के सिंह राजा रणजीतसिंह संसार से चल चुके थे और राज्य के वे प्रतिष्ठित पुरुष जिनके द्वारा उनका उत्तम प्रबंध चल...
- Bahishkaar (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970बहिष्कार (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदBahishkaar (Hindi Story) : Munshi Premchandपण्डित ज्ञानचंद्र ने गोविंदी की ओर सतृष्ण नेत्रों से देख कर कहा —मुझे ऐसे निर्दयी प्राणियों से जरा भी सहानुभूति नहीं है। इस ...
- Durga Ka Mandir (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970दुर्गा का मंदिर (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदDurga Ka Mandir (Hindi Story) : Munshi Premchand1बाबू ब्रजनाथ कानून पढ़ने में मग्न थे, और उनके दोनों बच्चे लड़ाई करने में। श्यामा चिल्लाती, कि मुन्नू मेरी गुड़िया ...
- Paap Ka Agnikund (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970पाप का अग्निकुंड (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदPaap Ka Agnikund (Hindi Story) : Munshi Premchand1कुँवर पृथ्वीसिंह महाराज यशवंतसिंह के पुत्र थे। रूप गुण और विद्या में प्रसिद्ध थे। ईरान मिò श्याम आदि देशों मे...
- Banmanus Khansama (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970बनमानुस खानसामा (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदBanmanus Khansama (Hindi Story) : Munshi Premchandकुछ दिन हुए इलाहाबाद में एक सरकस आाया था। उसमें और तो बहुत से जानवर थे, मगर एक बनमानुस बहुत होशियार था, उसे लो...
- Bagh Ki Khal (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970बाघ की खाल (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदBagh Ki Khal (Hindi Story) : Munshi Premchandराँची से लेकर चक्रधरपुर तक घना जंगल है। उसकी लम्बाई कोई ७५ मील होगी । इस जंगल में तरह-तरह के जानवर रहते हैं, उनमें बाघ स...
- Maange Ki Ghadi (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970माँगे की घड़ी (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदMaange Ki Ghadi (Hindi Story) : Munshi Premchand1मेरी समझ में आज तक यह बात न आयी की लोग ससुराल जाते हैं, तो इतना ठाट-बाट क्यों बनाते हैं । आखिर इसका उद्देश्य क्या...
- Doodh Ka Daam (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970दूध का दाम (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदDoodh Ka Daam (Hindi Story) : Munshi Premchandअब बड़े-बड़े शहरों में दाइयाँ, नर्सें और लेडी डाक्टर, सभी पैदा हो गयी हैं; लेकिन देहातों में जच्चेखानों पर अभी तक भंगिन...
- Pagal Hathi (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970पागल हाथी (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदPagal Hathi (Hindi Story) : Munshi Premchandमोती राजा साहब की खास सवारी का हाथी। यों तो वह बहुत सीधा और समझदार था, पर कभी-कभी उसका मिजाज गर्म हो जाता था और वह आपे में...
- Baba Ji Ka Bhog (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970बाबा जी का भोग (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदBaba Ji Ka Bhog (Hindi Story) : Munshi Premchandरामधन अहीर के द्वार पर एक साधु आकर बोला- बच्चा तेरा कल्याण हो, कुछ साधु पर श्रद्धा कर।रामधन ने जाकर स्त्री से कहा...
- Pisanhari Ka Kuan (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970पिसनहारी का कुआं (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदPisanhari Ka Kuan (Hindi Story) : Munshi Premchandगोमती ने मृत्यु-शय्या पर पड़े हुए चौधरी विनायकसिंह से कहा —चौधरी, मेरे जीवन की यही लालसा थी।चौधरी ने गम्भीर हो...
- Dussahas (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970दुस्साहस (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदDussahas (Hindi Story) : Munshi Premchandलखनऊ के नौबस्ते मोहल्ले में एक मुंशी मैकूलाल मुख्तार रहते थे। बड़े उदार, दयालु और सज्जन पुरुष थे। अपने पेशे में इतने कुशल थे क...
- Dakshini Africa Mein Sher Ka Shikar (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970दक्षिणी अफ्रीका में शेर का शिकार (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदDakshini Africa Mein Sher Ka Shikar (Hindi Story) : Munshi Premchandएक मशहूर शिकारी ने एक शेर के शिकार का हाल लिखा है। आज हम उसकी कथा उसी की ज़ब...
- Mitthu (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970मिट्ठू (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदMitthu (Hindi Story) : Munshi Premchandबंदरों के तमाशे तो तुमने बहुत देखे होंगे। मदारी के इशारों पर बंदर कैसी-कैसी नकलें करता है, उसकी शरारतें भी तुमने देखी होंगी। तुमने...
- Nabi Ka Neeti Nirvaah (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970न्याय/नब़ी का नीति-निर्वाह (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदNabi Ka Neeti Nirvaah (Hindi Story) : Munshi Premchand1हजरत मुहम्मद को इलहाम हुए थोड़े ही दिन हुए थे, दस-पांच पड़ोसियों और निकट सम्बन्धियों के सिवा अ...
- Band Darwaza (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970बन्द दरवाज़ा (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदBand Darwaza (Hindi Story) : Munshi Premchandसूरज क्षितिज की गोद से निकला, बच्चा पालने से—वही स्निग्धता, वही लाली, वही खुमार, वही रोशनी।मैं बरामदे में बैठा था। बच्...
- Tyagi Ka Prem (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970त्यागी का प्रेम (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदTyagi Ka Prem (Hindi Story) : Munshi Premchandलाला गोपीनाथ को युवावस्था में ही दर्शन से प्रेम हो गया था। अभी वह इंटरमीडियट क्लास में थे कि मिल और बर्कले के वैज्...
- Mamta (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970ममता (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदMamta (Hindi Story) : Munshi Premchand1बाबू रामरक्षादास दिल्ली के एक ऐश्वर्यशाली खत्री थे, बहुत ही ठाठ-बाट से रहनेवाले। बड़े-बड़े अमीर उनके यहाँ नित्य आते-आते थे। वे आये ह...
- मृत्यु के पीछे (कहानी) : मुंशी प्रेमचंद1/1/1970मृत्यु के पीछे (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदMrityu Ke Peechhe (Hindi Story) : Munshi Premchand1बाबू ईश्वरचंद्र को समाचारपत्रों में लेख लिखने की चाट उन्हीं दिनों पड़ी जब वे विद्याभ्यास कर रहे थे। नित्य नये व...
- Mukti-Marg (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970मुक्ति-मार्ग (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदMukti-Marg (Hindi Story) : Munshi Premchand1सिपाही को अपनी लाल पगड़ी पर, सुन्दरी को अपने गहनों पर और वैद्य को अपने सामने बैठे हुए रोगियों पर जो घमंड होता है, वही कि...
- Rajya-Bhakt (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970राज्य-भक्त (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदRajya-Bhakt (Hindi Story) : Munshi Premchand1संध्या का समय था। लखनऊ के बादशाह नासिरुद्दीन अपने मुसाहबों और दरबारियों के साथ बाग की सैर कर रहे थे। उनके सिर पर रत्नजटि...
- Deeksha (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970दीक्षा (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदDeeksha (Hindi Story) : Munshi Premchand1जब मैं स्कूल में पढ़ता था, गेंद खेलता था और अध्यापक महोदयों की घुड़कियाँ खाता था, अर्थात् मेरी किशोरावस्था थी, न ज्ञान का उदय हु...
- Manushya Ka Param Dharm (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970मनुष्य का परम धर्म (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदManushya Ka Param Dharm (Hindi Story) : Munshi Premchandहोली का दिन है। लड्डू के भक्त और रसगुल्ले के प्रेमी पंडित मोटेराम शास्त्री अपने आँगन में एक टूटी खाट ...
- Mubarak Bimari (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970मुबारक बीमारी (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदMubarak Bimari (Hindi Story) : Munshi Premchand1रात के नौ बज गये थे, एक युवती अंगीठी के सामने बैठी हुई आग फूंकती थी और उसके गाल आग के कुन्दनी रंग में दहक रहे थ। उ...
- Prarabdh (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970प्रारब्ध (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदPrarabdh (Hindi Story) : Munshi Premchand1लाला जीवनदास को मृत्युशय्या पर पड़े 6 मास हो गये हैं। अवस्था दिनोंदिन शोचनीय होती जाती है। चिकित्सा पर उन्हें अब जरा भी विश्व...
- Tangewale Ki Bad (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970तांगेवाले की बड़ (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदTangewale Ki Bad (Hindi Story) : Munshi Premchand(लेखक को इलाहाबाद मे एक बार ताँगे मे लम्बा सफर करने का संयोग हुआ। तांगे वाले मियां जम्मन बड़े बातूनी थे। उनकी ...
- Pratishodh (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970प्रतिशोध (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदPratishodh (Hindi Story) : Munshi Premchand1माया अपने तिमंजिले मकान की छत पर खड़ी सड़क की ओर उद्विग्न और अधीर आंखों से ताक रही थी और सोच रही थी, वह अब तक आये क्यों नही...
- Namak Ka Daroga (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970नमक का दारोगा (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदNamak Ka Daroga (Hindi Story) : Munshi Premchandजब नमक का नया विभाग बना और ईश्वरप्रदत्त वस्तु के व्यवहार करने का निषेध हो गया तो लोग चोरी-छिपे इसका व्यापार करने ल...
- Shaheed-e-Azam (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970शहीद-ए-आज़म (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदShaheed-e-Azam (Hindi Story) : Munshi Premchandकर्बला की दुर्घटना विश्व इतिहास की उन सर्वश्रेष्ठ घटनाओं में है जिन्होंने सभ्यता की दिशा परिवर्तित कर दी है। यजीद के ख...
- Bhaade Ka Tattoo (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970भाड़े का टट्टू (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदBhaade Ka Tattoo (Hindi Story) : Munshi Premchand1आगरा कालेज के मैदान में संध्या-समय दो युवक हाथ से हाथ मिलाये टहल रहे थे। एक का नाम यशवंत था, दूसरे का रमेश। यशव...
- Raja Hardaul (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970राजा हरदौल (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदRaja Hardaul (Hindi Story) : Munshi Premchandबुंदेलखंड में ओरछा पुराना राज्य है। इसके राजा बुंदेले हैं। इन बुंदेलों ने पहाड़ों की घाटियों में अपना जीवन बिताया है। एक...
- Prem Ka Swapn (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970प्रेम का स्वप्न (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदPrem Ka Swapn (Hindi Story) : Munshi Premchandमनुष्य का हृदय अभिलाषाओं का क्रीड़ास्थल और कामनाओं का आवास है। कोई समय वह थां जब कि माधवी माता के अंक में खेलती थी...
- Rangeele Babu (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970रंगीले बाबू (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदRangeele Babu (Hindi Story) : Munshi Premchandबाबू रसिकलाल को मैं उस वक्त से जानता हूं, जब वह लॉ कॉलेज में पढ़ते थे। मेरे सामने ही वह वकील हुए और आनन-फानन चमके। देखत...
- Rahasya (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970रहस्य (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदRahasya (Hindi Story) : Munshi Premchand1विमल प्रकाश ने सेवाश्रम के द्वार पर पहुँचकर जेब से रूमाल निकाला और बालों पर पड़ी हुई गर्द साफ की, फिर उसी रूमाल से जूतों की गर्द ...
- Muft Ka Yash (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970मुफ्त का यश (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदMuft Ka Yash (Hindi Story) : Munshi Premchandउन दिनों संयोग से हाकिम-जिला एक रसिक सज्जन थे। इतिहास और पुराने सिक्कों की खोज में उन्होंने अच्छी ख्याति प्राप्त कर ली ...
- Brahm Ka Swang (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970ब्रह्म का स्वांग (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदBrahm Ka Swang (Hindi Story) : Munshi Premchandस्त्री –मैं वास्तव में अभागिन हूँ, नहीं तो क्या मुझे नित्य ऐसे-ऐसे घृणित दृश्य देखने पड़ते ! शोक की बात यह है कि...
- Beton Wali Vidhwa (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970बेटों वाली विधवा (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदBeton Wali Vidhwa (Hindi Story) : Munshi Premchand1पंडित अयोध्यानाथ का देहांत हुआ तो सबने कहा, ईश्वर आदमी की ऐसी ही मौत दे। चार जवान बेटे थे, एक लड़की। चारों ल...
- Nadaan Dost (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970नादान दोस्त (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदNadaan Dost (Hindi Story) : Munshi Premchandकेशव के घर में कार्निस के ऊपर एक चिड़िया ने अण्डे दिए थे। केशव और उसकी बहन श्यामा दोनों बड़े ध्यान से चिड़ियों को वहां आ...
- Pareeksha (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970परीक्षा (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदPareeksha (Hindi Story) : Munshi Premchandजब रियासत देवगढ़ के दीवान सरदार सुजानसिंह बूढ़े हुए तो परमात्मा की याद आयी। जा कर महाराज से विनय की कि दीनबंधु ! दास ने श्रीमान्...
- Baasi Bhaat Mein Khuda Ka Sajha (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970बासी भात में खुदा का साझा (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदBaasi Bhaat Mein Khuda Ka Sajha (Hindi Story) : Munshi Premchand1शाम को जब दीनानाथ ने घर आकर गौरी से कहा, कि मुझे एक कार्यालय में पचास रुपये की नौकरी ...
- Prayashchit (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970प्रायश्चित (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदPrayashchit (Hindi Story) : Munshi Premchand1दफ्तर में जरा देर से आना अफसरों की शान है। जितना ही बड़ा अधिकारी होता है, उत्तरी ही देर में आता है; और उतने ही सबेरे जात...
- Naag Pooja (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970नागपूजा (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदNaag Pooja (Hindi Story) : Munshi Premchand1प्रातःकाल था। आषाढ़ का पहला दौंगड़ा निकल गया था। कीट-पतंग चारों तरफ रेंगते दिखायी देते थे। तिलोत्तमा ने वाटिका की ओर देखा तो व...
- Dhikkar-1 (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970धिक्कार-1 (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदDhikkar-1 (Hindi Story) : Munshi Premchand1ईरान और यूनान में घोर संग्राम हो रहा था। ईरानी दिन-दिन बढ़ते जाते थे और यूनान के लिए संकट का सामना था। देश के सारे व्यवसाय ...
- Putra-Prem (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970पुत्र-प्रेम (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदPutra-Prem (Hindi Story) : Munshi Premchand1बाबू चैतन्यदास ने अर्थशास्त्र खूब पढ़ा था, और केवल पढ़ा ही नहीं था, उसका यथायोग्य व्यवहार भी वे करते थे। वे वकील थे, दो-...
- Dil Ki Rani (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970दिल की रानी (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदDil Ki Rani (Hindi Story) : Munshi Premchand1जिन वीर तुर्कों के प्रखर प्रताप से ईसाई-दुनिया काँप रही थी, उन्हीं का रक्त आज कुस्तुनतुनिया की गलियों में बह रहा है। वह...
- Bank Ka Diwala (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970बैंक का दिवाला (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदBank Ka Diwala (Hindi Story) : Munshi Premchand1लखनऊ नेशनल बैंक के दफ्तर में लाला साईंदास आरामकुर्सी पर लेटे हुए शेयरों का भाव देख रहे थे और सोच रहे थे कि इस बार...
- तेंतर (कहानी) : मुंशी प्रेमचंद Tentar (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970तेंतर (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदTentar (Hindi Story) : Munshi Premchand1आखिर वही हुआ जिसकी आशंका थी; जिसकी चिंता में घर के सभी लोग विशेषतः प्रसूता पड़ी हुई थी। तीन पुत्रों के पश्चात् कन्या का जन्म हुआ। ...
- Judwan Bhai (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970जुड़वाँ भाई (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदJudwan Bhai (Hindi Story) : Munshi Premchandकभी-कभी मू्र्ख मर्द ज़रा-ज़रा-सी बात पर औरतों को पीटा करते हैं। एक गाँव में ऐसा ही एक किसान था। उसकी औरत से कोई छोटा- सा न...
- Muktidhan (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970मुक्तिधन (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदMuktidhan (Hindi Story) : Munshi Premchand1भारतवर्ष में जितने व्यवसाय हैं, उन सबमें लेन-देन का व्यवसाय सबसे लाभदायक है। आम तौर पर सूद की दर 25 रु. सैकड़ा सालाना है। प्र...
- Patni Se Pati (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970पत्नी से पति (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदPatni Se Pati (Hindi Story) : Munshi Premchand1मिस्टर सेठ को सभी हिन्दुस्तानी चीजों से नफरत थी और उनकी सुन्दरी पत्नी गोदावरी को सभी विदेशी चीजों से चिढ़! मगर धैर्य ...
- Pandit Moteram Ki Diary (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970पण्डित मोटेराम की डायरी (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदPandit Moteram Ki Diary (Hindi Story) : Munshi Premchand1क्या नाम कि कुछ समझ में नहीं आता कि डेरी और डेरी फार्म में क्या सम्बन्ध! डेरी तो कहते हैं उस छो...
- Beti Ka Dhan (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970बेटी का धन (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदBeti Ka Dhan (Hindi Story) : Munshi Premchandबेतवा नदी दो ऊँचे कगारों के बीच इस तरह मुँह छिपाये हुए थी जैसे निर्मल हृदयों में साहस और उत्साह की मद्धम ज्योति छिपी रहत...
- Tirasool (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970तिरसूल (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदTirasool (Hindi Story) : Munshi Premchand1अंधेरी रात है, मूसलाधार पानी बरस रहा है। खिड़कियों पर पानीके थप्पड़ लग रहे हैं। कमरे की रोशनी खिड़की से बाहर जाती है तो पानी की...
- Duniya Ka Sabse Anmol Ratan (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970दुनिया का सबसे अनमोल रतन (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदDuniya Ka Sabse Anmol Ratan (Hindi Story) : Munshi Premchandदिलफिगार एक कँटीले पेड़ के नीचे दामन चाक किये बैठा हुआ खून के आँसू बहा रहा था। वह सौन्दर्य ...
- Raj Hath (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970राजहठ (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदRaj Hath (Hindi Story) : Munshi Premchand1दशहरे के दिन थे, अचलगढ़ में उत्सव की तैयारियाँ हो रही थीं। दरबारे आम में राज्य के मंत्रियों के स्थान पर अप्सराएँ शोभायमान थीं। ध...
- Damul Ka Kaidi (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970दामुल का कैदी (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदDamul Ka Kaidi (Hindi Story) : Munshi Premchand1दस बजे रात का समय, एक विशाल भवन में एक सजा हुआ कमरा, बिजली की अँगीठी, बिजली का प्रकाश। बड़ा दिन आ गया है। सेठ खूबचन...
- Mritak Bhoj (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970मृतक भोज (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदMritak Bhoj (Hindi Story) : Munshi Premchandसेठ रामनाथ ने रोग-शय्या पर पड़े-पड़े निराशापूर्ण दृष्टि से अपनी स्त्री सुशीला की ओर देखकर कहा, ‘मैं बड़ा अभागा हूँ, शीला। म...
- Mata Ka Hriday (Hindi Story) : Munshi Premchand1/1/1970माता का हृदय (कहानी) : मुंशी प्रेमचंदMata Ka Hriday (Hindi Story) : Munshi Premchand1माधवी की आँखों में सारा संसार अँधेरा हो रहा था। कोई अपना मददगार न दिखायी देता था। कहीं आशा की झलक न थी। उस निर्धन घ...
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