गंगा स्नान के गीत भोजपुरी लोकगीत Ganga Snan Geet Bhojpuri Lokgeet Lyrics

 1 कल-कल बहे जहां दुधवा गंगा स्नान के गीत भोजपुरी


कल-कल बहे जहां दुधवा के धार

गंगा मइया हो, धनि तोरी महिमा अपार।

सोने की किरनियां झुलना झुलावैं

हंसि कै पवन नित चंवर डुलावै

दइकै असीस दूनौ विहंसे किनार।

रिद्धि सिद्धि सोहे मइया तोहरे अंबरवा

सबकी अरज पै करतीं विचरवा।

कोटि कोटि धावै पंच तोहरे दुआर।

पतितन का तारें देवी देउतन का तारें

आपन हाथै सबकी बिगरी का तारें।


2 झिलमिल झिलमिल गंगा स्नान के गीत भोजपुरी


झिलमिल झिलमिल लहराए हो

गंगा तोरी निर्मल लहरिया

धरती की प्यास बुझाए हो

गंगा तोरी निर्मल लहरिया

गंगा किनारे साधू कुटि छवाए

पानी पे चंदनिया के तार लहराए

नैनन की प्यास बुझाये हो

गंगा तोरी निर्मल लहरिया

कठिन कलेस मिटाए हो

गंगा तोरी निर्मल लहरिया


3 मातु गंगा लागि भगीरथ गंगा स्नान के गीत भोजपुरी


मातु गंगा लागि भगीरथ बेहाल।

कोऊ लीपै अगुआ न कोऊ पिछवार,

भगीरथ लीपै छत सिव कै दुआर

कोऊ तोड़ै फूल कोऊ बेलपत्र,

भगीरथ तोड़ै बेलपत्र सिव कै दुआर

कोऊ मांगै अनधन कोऊ धेनु गाय,

भगीरथ मांगै गंगाजी कै धार

आगै आगै भगीरथ भागैं पाछे सुरसरि कै धार।


4 हमका दैहें वरदान, चलो री  गंगा स्नान भोजपुरी लोकगीत


हमका दैहें वरदान, चलो री गुइयां गंगा नहाय

गंगा नहाइ कै करिबै पुजनिया,

जगर मगर जिया होए

चलो री गुइयां गंगा नहाय।

दससन परसन और कीरतन

पाप सकल धुल जाएं

चलो री गुइयां गंगा नहाय।

सिव की जटा हुई मुइं पै उतरीं,

सोभा बरनी न जाए

चलो री गुइंया गंगा नहाए।

गंगा नहाए तीरथ फल पइबैं।

काया निरमल होये, चलो री गुइयां गंगा नहाय।


5 विधि के कमंडल की सिद्ध गंगा स्नान भोजपुरी लोकगीत


विधि के कमंडल की सिद्ध है प्रसिद्धि यही,

कहै पदमाकर गिरीश शीश मंडल के

मुंडन की माल तत्काल अघहर है।

भूपति भगीरथ के रथ की सुपुण्य पथ

जहनु जप जोग फल, फैल की फहर हैं।

क्षेम की छहर, गंगा रउरी लहर

कलिकाल को कहर यम जाल को जहर है।


6 आ जाऊँगी बड़े गंगा स्नान भोजपुरी लोकगीत


आ जाऊँगी बड़े भोर

दहीरा लेके आ जाऊँगी बड़े भोर

ना मानों चुनरी घर राखों, लिखे पपीहा मोर।

ना मानों चुनरी घर राखों, मुत्तियन लागी कोर।

ना मानो मटकी घर राखों,

सबरे बिरज कौ मोल।

ना मानो बेंदीघर राखो, बाजूबंद हुमेल।


7 चलो करें असनान, गंगा की गंगा स्नान भोजपुरी लोकगीत


चलो करें असनान, गंगा की लहरै लहरिया।

सखि घर से निकसि के आओ, निकसि के आओ।

मेला देखन जइबै आज, गंगा की लहरै लहरिया।

सखि गंगा की निरमल धारा, ओ निरमल धारा

छिन मा हरे पाप, गंगा की लहरै लहरिया

सखि पियर चुनरी रंगायो चुनरी रंगायो

हम देवै दीपदान गंगा की लहरै लहरिया

सखि मेवा में थाल भराओ थाल भराओ

संग ले लो पकवान गंगा की लहरै लहरिया।

 

Comments