जन्म गीत / 1 / भील जन्म गीत
कांकड़ आंबो मोरिया रे भँवरा, एकेली क्या जाय
बाळा की माय साथी पूजण जाय सातमा सखी न ले जायगा
पयली चिट्ठी बाळा का दाजी क दीजो,
दाजी आव रे जायो सार,
दूसरी चिट्ठी रे बाळा की जि माय क दीजो,
जि माय आव व झूलो राळ
तीसरी चिट्ठी रे बाळ का मामा क दीजो
मामा आवरे गहणा लाव रे,
चौथी चिट्ठ रे बाळ की मामी क दीजो,
मामी आव वो झग्गा टोपी लाव वो,
पांचवी चिट्ठी रे बाळा का नाना दाजी क दीजो,
नाना दाजी आव रे लाड़ लड़वा,
छटी चिट्ठी रे बाळ की मोमइ क दीजो,
मोमइ आव रे बाळ न्हवाड़,
सातवीं चिट्ठी रे बाळा की बुवा क दीजो,
बुवा आव वो पतासा वाट,
आठवीं चिट्ठी रे बाळ की मावसी क दीजो,
मावसी आव तो छग्गा टोपी लाव वो,
नवीं चिट्ठी रे बाळा की मामी क दीजो,
मामी आव वो गहणो पेराव वो।
-ग्राम के काकड़ (सीमा) पर आम में बौर आ गये हैं। बालक की माता अकेली
जलवाय पूजन को नहीं जाती है, संग में सहेलियों को ले जाती हैं।
गीत में कहा गया है कि बालक का जलवाय पूजन का कार्यक्रम है, इसलिये
पहली चिट्ठी बालक के दादा को देना और लिखना कि दादा आओ और बालक
को उत्तम संस्कारित करो। दूसरी चिट्ठी बालक की दादी माँ को लिखना और लिखो
कि आकर बालक का पालना बाँधें। तीसरी चिट्ठी बालक के मामा को भेजो और लिखना
कि वह बालक के लिए गहने लायें। चौथी चिट्ठी बालक की मामी को भेजो कि वह बालक
के लिए झग्गा-टोपी लायें। पाँचवी चिट्ठी बालक के नाना को लिखना कि वह लाड़-प्यार
करें। छठी चिट्ठी बालक की नानी को लिखना कि वह आयें और बालक को स्नान करवायें।
सातवीं चिट्ठी बालक की बुआ को लिखना कि वह आकर बतासे बाँटे। आठवीं चिट्ठी बालक
की मौसी को देना कि वह बालक के लिए झग्गा-टोपी लायें। नवीं चिट्ठी बालक की मामी
को देना कि वह आकर गहने पहनावें।
इस प्रकार गीत में जन्म संस्कार के बारे में प्रचलित रीति-रिवाज का वर्णन किया गया है।
जन्म गीत / 3 / भील जन्म गीत
एक पतासा का नव सौ टुकड़ा।
एक टुकड़ो मने चूल्हा जगह मेकियो।
बाळ की ममई बठी-बठी चाख,
आवते चाट न जाते की चाट।
एक पतासा का नव सौ टुकड़ा।
एक टुकड़ो मन झोळी जगह मेक्यो।
बाळ की जी माय हिचकाड़ती चाट।
एक पतासा का नव सौ टुकड़ा।
एक टुकड़ो मन मोरी जगह मेक्यो।
बाळा की मामी जात की चाट, आवते की चाट।
एक पतासा का नव सौ टुकड़ा।
एक टुकड़ो मन हतई म मेक्यो।
बाळ की फुई आवते की चाट, जाते की चाह।
एक पतासा का नव सौ टुकड़ा।
एक टुकड़ो मन मुळ्ळा पर मेक्यो।
बाळ की मावसी जाते की चाट आवते की चाट।
-बालक के जन्म के बाद पूजन में रिश्तेदारों को बुलाते हैं और उनसे हँसी-मजाक
के लिए महिलाएँ गीत गाती हैं और जिनका नाम गीत में आता है, उसको देखकर
महिलाएँ हँसती हैं। गीत में कहा गया है कि-एक बतासे के नौ सौ टुकड़े करके
चूल्हे के पास रखा। बालक की नानी माँ आते-जाते चाटती हैं एक टुकड़ा पालने
के पास रखा, बालक की दादी माँ झूला देते हुए चाटती हैं। एक टुकड़ा मोरी के
पास रखा, बालक की मामी आते-जाते चाटती हैं। एक टुकड़ा मैंने चौक में रखा,
बालक की बुआ आते-जाते चाटती हैं। एक टुकड़ा मैंने पनिहारे पर रखा, बालक
की मौसी आते-जाते चाटती हैं।
जन्म गीत / 2 / भील
वांझा घर पाळनो बंधाड्रयो, भगवान बाळो आप्यो।।
बाळा का दाजी आव परदा लगाड़ दे, बाळ के छिपाई दीजो।।
भगवान बाळो आम्यो।
वांझा पार पाळनो बंधाड्रयो, भगवान बाळो आप्यो।
बाळा का मामा आओ, अरदा खोलि दीजो परदा खोलि दीजो।।
बाळा के वताई देजो, भगवान बाळो आप्यो।।
वांझा घर पाळनो बंधाड्रयो, भगवान बाळो आप्यो।।
-भगवान ने बाँझ के घर बालक को जन्म दिया और पालना बँधवाया।
बालक के दादा आओ और परदे लगाकर बालक को छिपा दो ताकि
किसी की नजर न लगे। आगे मामा से कहा गया है कि-मामा आओ
और परदे खोलकर बालक को दिखाओ।
जन्म गीत / 4 / भील जन्म गीत
हिल मिल पाळनो बंधाड़ो मारा शिवाजी।
आज मारो सोनीड़ा रोवऽ सारी रात।
मामा दाजी की नजर लागी मारा सोनीड़ा,
रोवऽ सारी रात।
हिल मिल पाळनो बंधाड़ो मारा शिवाजी।
आज मारो सोनीड़ा रोवऽ सारी रात।
सगी जिमाय की नजर लागी मारा सोनीड़ा,
रोवऽ सारी रात।
हिल मिल पाळनो बंधाड़ो मारा शिवाजी।
आज मारो सोनीड़ा रोवऽ सारी रात।
मामा की नजर लागी मारा सोनीड़ा,
रोवऽ सारीरात।
हिल मिल पाळनो बंधाड़ो मारा शिवाजी।
आज मारो सोनीड़ा रोवऽ सारी रात।
मामी की नजर लागी मारा सोनीड़ा,
रोवऽ सारीरात।
हिल मिल पाळनो बंधाड़ो मारा शिवाजी।
आज मारो सोनीड़ा रोवऽ सारी रात।
मावसी की नजर लागी मारा सोनीड़ा,
रोवऽ सारीरात।
हिल मिल पाळनो बंधाड़ो मारा शिवाजी।
आज मारो सोनीड़ा रोवऽ सारी रात।
फुई की नजर लागी मारा सोनीड़ा,
रोवऽ सारीरात।
हिल मिल पाळनो बंधाड़ो मारा शिवाजी।
आज मारो सोनीड़ा रोवऽ सारी रात।
काकी की नजर लागी मारा सोनीड़ा,
रोवऽ सारी रात।
-हिल-मिलकर मेरे शिवाजी पालना बधाओ। शायद नाना की नजर मेरे बालक
को लगी है, जिसके कारण मेरा बालक पूरी रात रोता है। इसी प्रकार दादा, माँ,
मामा, मामा, मौसी, बुआ और काकी की नजर लगने का उल्लेख किया गया है।
जन्म गीत / 5 / भील जन्म गीत
महादेव बाबो न कोरो कागद दी मोकल्यो,
काइ मान वाळी कतरिक दूर।।
आउँ रे आउँ बाबा, आरती को करूँ रे सेमान।।
आउँ रे आउँ बाबा, नर्याल मोलाउँ रे।
आउँ रे आउँ बाबा, कंकु मोलाउँ रे।।
आउँ रे आउँ बाबा, चोखा मोलाउँ रे।।
आउँ रे आउँ बाबा, अबिर मोलाउँ रे।।
आउँ रे आउँ बाबा, गुलाल मोलाउँ रे।।
आउँ रे आउँ बाबा, चन्दण मोलाउँ रे।।
आउँ रे आउँ बाबा, अगरबत्ती मोलाउँ रे।ं
आउँ रे आउँ बाबा, कपूर मोलाउँ रे।।
आउँ रे आउँ बाबा, फूल मोलाउँ रे।।
-बाबा जन्म के बाद चार-पाँच वर्ष के बीच महादेवजी की मान देने की प्रथा है।
गीत में कहा गया है कि महादेवजी ने कोरा कागज दे भेजा है। मान वाली महिला
कितनी दूरी से आ रही है?
उत्तर में कहा गय है कि मैं आ रही हूँ। नारियल, कंकु, चावल, अबीर, गुलाल, चंदन,
अगरबत्ती, कपूर और फूल पूजा के लिए खरीद रही हूँ। इस कारण आने में विलम्ब हो
रहा है।
महादेवजी की मान देने के लिए पहुँचे और जाजम बिछाकर भगवान शिव के सम्मुख
बैठ गई। साथ में सभी सम्बन्धी पुरुष-महिला रहते हैं और पूजन करने वाले पूजन
करते हैं और महिलाएँ गीत गाती हैं।
मनौती गीत / 1 / भील जन्म गीत
जाजम राळी भाई खड़ा रहिया, कुण हेड़ऽ मन की भरात।
पाँची पांडव मऽ रहिया उनका लखपति भाई।।
उऽ हेड़ऽ मन की भरात।।
पगलिया मांडिया बेन खड़ा रहिया, कुण हेडे़ऽ मन की भरात।
पांची पांडव मा रहिया... मारा जाया बिराजे।।
उऽ हेड़ऽ मन की भरात।।
-महादेव जी को मान देने पहुँचे, वहाँ बैठने के लिए जाजम बिछाई। सभी लोग
जो मानता देने आए हैं उनमें से कौन अपने मन की इच्छा पूरी करेगा यानी
कौन पूजा-अर्चना कर महादेवजी को भेंट देगा?
गीत में कहा गया है कि-बालक के मामा भेंट देकर अपने मन की इच्छा पूर्ण
करेंगे। वैसे जो भी मान में आमंत्रित हैं सभी पूजा-अर्चना भगवान की करते हैं
और भेंट देते हैं। बालक को भी यथाशक्ति भेंट देकर प्रसन्नता प्रकट करते हैं।
मनौती गीत / 2 / भील जन्म गीत
श्री आंकार जी-
ऊँचो माळो डगमाळ टोंगलया बूड़न्ती जवार।।
काचा सूत की ऊँकार देव की गोफण बणाई...।।
हरमी-धरमी का होर्या-चिरल्या उड़ी जाजो,
ने पापी को खाजो सगळो खेत।।
-ओंकारेश्वरजी का महल ऊँचा है और घुअने डूब जायें, उतनी बड़ी ज्वार है।
कच्चे सूत की आंकारजी की गोफन बनाई। धर्मात्मा लोगों के खेतों के तोते उड़
जाना और पापी का सारा खेत चुग जाना।
बजरंग बली- / भील जन्म गीत
उँचो माळो डगमाळ, टोंगल्या बूडन्ती ज्वार।।
काचा सूत की बजरंग बली की गोफण,
सावळ राणी होर्या टोवण जाई।।
हरमी-धरमी का होर्या उड़ी जाजो,
ने पापी का खाजो सगळो खेत।।
-बजरंग बली का महल ऊँचा है और ज्वार घुटने से ऊपर तक की है। बजरंग
बली की गोफण कच्चे सूत की बनाई है। सावल रानी तोते उड़ाने जाती हैं।
धरमी के खेत छोड़कर तोतो, पापी का खेत सारा चुग लेना। हनुमानजी की पत्नी
सावल रानी को माना है।
सिंगाजी- / भील जन्म गीत
ऊँचो माळो डगमाळ, टोंगल्या बूडन्ती ज्वार
कााचओ सूत की मेहताब देव की गोफण बणाई,
राधा राणी होर्या टोवण जाई।
हरम्या-धरम्या का होर्या उड़ी जाजो,
ने पानी को खाजो सगळो खेत।।
-सिंगाजी महाराज का महल ऊँचा है। कच्चे सूत की देव की मेहताब तथा गोफण
बनाई है। ज्वार घुटनों के ऊपर तक बड़ी है। राधा रानी तोते उड़ाने जाती हैं। धर्मात्मा
का खेत छोड़ देना और पापी का खेत चुग लेना।
भीलट देव- / भील जन्म गीत
ऊँचो माळो भीलट देव डगमाळ,
टोंगल्यो बूड़न्ती ज्वार।।
काचा सूत की भीलट देव की गोफण,
मालू राणी होर्या टोवण जाई।।
हरमी-धरमी का होर्या उड़ी जाजो,
न पापी को खाजो सगळो खेत।।
-भीलट देव का महल ऊँचा है, ज्वार घुटने के ऊपर तक है। काचा सूत की भीलट देव की गोफण बनाई। मालू की रानी तोते उड़ाने जाती हैं। धरमी का खेत छोड़ देना और पापी का पूरा खेत चुग जाना। (भीलट देव की पत्नी मालू रानी माना है।)
भाई / भील जन्म गीत
ऊँचो माळो रे कमल भाई रे,
टोंगल्यो बूडन्ती ज्वार।।
काचा रे सूत की कमल भाई की गोफण,
सुशीला होर्या टोवण जाई।।
हरमी-धरमी का होर्या उड़ी जाजो,
न पापी को खाजो सगळो खेत।।
-गीत गाने वाली ने स्वयं के भाई के नाम से गाया है कि भाई का महल ऊँचा है, ज्वार घुटने के ऊपर है। कच्चे सूत की भाई की गोफन बनाई हुई है। सुशीला भाभी तोते उड़ाने जाती है। धरमी का खेत छोड़कर पापी का सारा खेत चुग लेना।
मान उतारने का गीत / 1 / भील जन्म गीत
सेली माता ने कोरा कागद देय भेज्या,
कि मानवाला केतरिक दूर।
सेली माता ने कोरा कागद देय भेज्या,
कि मानवाला केतरिक दूर।
आई वा आवाड़ माता आइ रहया,
बोकड़ा की करूं वो सेमान।
सेली माता नी साकड़ी सयरी ते,
डोलता आवे ससवार।
काई वाटे ली वो राजल बेटी अवगढ़ मान,
बेटा सारू ली वो माय अवगढ़ मान।
भूल्या-चुक्या वो माता माफ करजो,
बोकड़ा की छूट्या वो हामु मान।
बोकड़ा वाला रे भाई भारूड़।
इनि वाटे बोकड़ा झुणि लावे।
बोकड़ा नी लोभी मारी सेली माता,
तारा बोकड़ा जासे पयंताल।
सेली माता ने कोरा कागद देय भेज्या,
कि मानवाला केतरिक दूर।
-शीतला माता ने कोरा कागद पहुँचाया है कि मन्नत देने वाले कितनी दूर हैं। आ रहा हूंँ अभी, वो माता! आ रहा हूँ। बकरा लाने की तैयारी कर रहा हूँ। शीतला माता का रास्ता सँकरा है इसलिए घोड़े लड़खड़ाते आ रहे हैं। राजल बेटी ऐसी औघड़ मान किसलिए ली? पुत्र प्राप्ति हेतु ली। वो माता! भूल-चूक माफ करना। माता बकरे की मान ली थी, वह दे दी है। हे भारुड़ भाई बकरे वाले! इस रास्ते बकरे मत लाना। मेरी शीतला माता बकरे की लोभी हैं। तेरे बकरे पाताल में चले जायेंगे।
जलवा पूजन / भील जन्म गीत
मुकेश भाई घर कइ हुयो रे, मारा नाना सुरमुलिया।।
पोर्यो हयो पोरी हुई, हँव कउँ हीरालाल हुयो।।
अनीता बाई काई वाटे रे, नाना सुनमुलिया।।
लाडू वाटे पेड़ा वोटे, हँउ कहुँ पतासा वाट।।
दिनेश व्याई घर कइ हुयो, मारा नाना सुरमुलिया।।
उंदरो हुयो उुंदरी हुई, हँउ कहुँ छछूंदरो हुयो।।
मन्नीव्याण काई वाट, मारा नाना सुरमुलिया।।
धणा वाटे, चणा वाटे, हँउ कहुँ सणबीजा वाट।।
-मुकेश भाई के यहाँ क्या हुआ? मेरे छोटे सुरमुलिया (बच्चे का प्यार का नाम) लड़का हुआ या लड़की हुई, मैं कहती हूँ हीरालाल हुआ। अनीताबाई (मुकेश की बहन) क्या वितरण कर रही हैं? लड्डू बाँट रही हैं, पेडे़ बाँट रही हैं, मैं कहती हूँ कि बतासे बाँट। दिनेश भाईजी के घर क्या हुआ? चूहा हुआ या चूही हुई, मैं कहूँ छछूंदर हुआ। मुन्नी बाईजी क्या बाँटे? वह चने बाँट रही है, मैं कहती हूँ सन के बीज बाँट। इस प्रकार हँसी-मजाक के लिए यह गीत गाया जाता है।
मान उतारने का गीत / 2 / भील जन्म गीत
खोलो-खोलो वो माता खोलो वो किंवाड़।
खोलो-खोलो वो माता खोलो वो किंवाड़।
तारा आँगणें वो माता नर्याल वो दुइ चार।
तारा आँगणें वो माता नर्याल वो दुइ चार।
खोलो-खोलो वो माता खोलो वो किंवाड़।
खोलो-खोलो वो माता खोलो वो किंवाड़।
तारा आँगणे वो माता बुकड़ा वो दुइ चार।
तारा आँगणे वो माता बुकड़ा वो दुइ चार।
खोलो-खोलो वो माता खोलो वो किंवाड़।
-हे माता1 दरवाजा खोलो। हे माता! तेरे आँगन में दो-चार नारियल हैं। हे माता! तेरे आँगन में दो-चार बकरे हैं। माता को भेंट के लिए दो-चार नारियल और दो-चार बकरे लेकर आये हैं।
हवन का गीत / भील जन्म गीत
कहाँ से लाउँ राम जी, काहाँ से लाउँ लछमण॥
काहाँ से लाउँ हनुमान, लंको को बाण पछो फिर जाय॥
गाड़ी ती लाउँ राम को, गोदी से लाउँ लछमण॥
उड़ी न तो आवे हनुमान, लंका को बाण पछो फिर जाय॥
काहाँ उतारूँ राम, काहाँ उतारूँ लछमण,
काहाँ उतारूँ हनुमान, लंका को बाण पछो फिर जाय॥
ओटला प उतारूँ राम, न पाळना प उतारूँ लछमण॥
मंदिर म उतारूँ हनुमान, लंका को बाण पछो फिरि जाय॥
काय न्हवाडूं राम काय न्हवाडूं लछमण,
काय ति न्हवाडूं हनुमान, लंका को बाण पछो फिरि जाय॥
जळ से न्हवाड़ूं राम, गंगा जळ से लछमण॥
जमना जळ से न्हवाडू़ं हुनमान, लंका को बाण पछो फिरि जाय॥
काय पेराउं राम, काय पेराऊं लछमण॥
काय तो पेराउँ हनुमान, लंका को बाण पछो फिरि जाय॥
धोती पेराउँ राम कुरतो पेराउँ लछमण,
लाल लंगोटो पेराऊँ हनुमान, लंका को बाण पछो फिरि जाय॥
काय जिमाड़ूं राम, काई जिमाडूं़ लछमण॥
काय तो जिमाडू़ं हनुमान, लंका को बाण पछो फिरि जाय॥
खीर जिमाडूं़ राम, पूड़ी जिमाडू़ं लछमण॥
तेल तो चढ़ाउं रे हनुमान, लंका को बाण पछो फिरि जाय॥
काय कवाए रामजी, काय कवाए लछमण॥
काय तो करवाए हनुमान, लंका को बाण पछो फिरि जाय॥
पती कवाए राम, पुत्र कवाए लछमण॥
खेड़ापति तो कवाए हनुमान, लंका को बाण पछो फिरि जाय॥
-किससे राम को लाऊँ, किससे लक्ष्मणजी को लाऊँ और किस सवारी से हुनमान
को लाऊँ? श्रीराम को गाड़ी में बिठाकर लाऊँ और लक्ष्मणजी को गोद में उठाकर
लाऊँ, हनुमान जी तो उड़कर आयेंगे।
श्रीरामजी, लक्ष्मणजी तथा हनुमानजी को कहाँ उतारूँ? ओटले पर श्रीराम को, पालने
पर लक्ष्मणजी को और मन्दिर में हनुमानजी को उतारूँ।
श्रीराम, लक्ष्मणजी तथा हनुमानजी को किससे स्नान करवाऊँ? श्रीराम को जल से,
गंगाजल से लक्ष्मणजी को और यमुनाजी के जल से हनुमानजी को स्नान करवाऊँ।
श्रीराम, लक्ष्मणजी तथा हुनमानजी को क्या पहनाऊँ? श्रीरामजी को धोती, लक्ष्मणजी
को कुर्ता और हनुमानजी को लाल लंगोटा पहनाऊँ।
श्रीराम, लक्ष्मणजी तथा हनुमानजी को क्या जिमाऊँ? श्रीराम को खीर, श्री लक्ष्मणजी
को पूरी जिमाऊँ और हुनमानजी को तेल चढ़ाऊँ।
श्रीराम, लक्ष्मण तथा हनुमानजी क्या कहे जाते हैं? श्रीराम पति, श्रीलक्ष्मणजी पुत्र और
हनुमानजी खेड़ापति कहलाते हैं। लंका का बाण वापस फिर जाय।
गणेश वन्दना / भील जन्म गीत
परतम सुमरो राम आओ म्हारा गणपति देवता।
परतम सुमरो राम आओ म्हारा गणपति देवता।
सुपड़ा दाळा तुम्हारा कान, आओ म्हारा गणपति देवता।
सुपड़ा दाळा तुम्हारा कान, आओ म्हारा गणपति देवता।
दिवला दाळा तुम्हारा कान, आओ म्हारा गणपति देवता।
दिवला दाळा तुम्हारा कान, आओ म्हारा गणपति देवता।
धारण ढाळा तुम्हारा पांय, आओ म्हारा गणपति देवता।
धारण ढाळा तुम्हारा पांय, आओ म्हारा गणपति देवता।
कंकु चोखा ती तुम्हारी पूजा करां, आओ म्हारा गणपति देवता।
कंकु चोखा ती तुम्हारी पूजा करां, आओ म्हारा गणपति देवता।
-सर्वप्रथम गणेशजी आपका स्मरण करते हैं, आपके कान सूपड़े के समान, आँखें
दीपक के समान और पैर खम्भों के समान हैं। कुंकुम-चावल से आपकी पूजा करें,
आप पधारिये।
No comments:
Post a Comment