सुतली मैं रहली अपना धनी धरमदास भजन / Sutli Main Rahli Apna Dhani Dharamdas Bhajan

 

(झूमर)

सुतली मैं रहली अपना भवनमाँ सपनमाँ में देखली।
अपना पिया के अवनमाँ सपनमाँ में देखली॥
दस पाँच सखिया मिली चलली जमुनमाँ से।
हमरा सतगुरु पहुनमाँ बटिये में मिलली॥
चलु चलु आहो गुरु हमरो भवनमाँ।
हमरा आठो अंग बदनमाँ हुलसाइये गइली॥
चरण पखारी चरणामृत लिइले से मिटिये गइली।
जनम-मरण के अवगुनमाँ मिटिये गइली॥
धर्मदास अलख झूमर गाइले से भाग बड़ो।
जिनकर लागल लगयिा से भाग बड़ो॥ 

पहले गवन पिया लवले धनी धरमदास भजन / Bhajan Pehle Gavan Piya Lawale Dhani Dharmdas Bhajan

Comments

Popular Posts

Ahmed Faraz Ghazal / अहमद फ़राज़ ग़ज़लें

अल्लामा इक़बाल ग़ज़ल /Allama Iqbal Ghazal

Ameer Minai Ghazal / अमीर मीनाई ग़ज़लें

मंगलेश डबराल की लोकप्रिय कविताएं Popular Poems of Manglesh Dabral

Ye Naina Ye Kajal / ये नैना, ये काजल, ये ज़ुल्फ़ें, ये आँचल

Akbar Allahabadi Ghazal / अकबर इलाहाबादी ग़ज़लें

Sant Surdas ji Bhajan lyrics संत श्री सूरदास जी के भजन लिरिक्स

Adil Mansuri Ghazal / आदिल मंसूरी ग़ज़लें

बुन्देली गारी गीत लोकगीत लिरिक्स Bundeli Gali Geet Lokgeet Lyrics

Mira Bai Ke Pad Arth Vyakhya मीराबाई के पद अर्थ सहित