॥समदन॥
सुनु सुनु सखि सब, संग के सहेलिया से, सुनि लेहो ना।
पियवा देलखिन संदेसवा से, सुनि लेहो ना॥1॥
तन केर झाँपी देलखिन, मन के मिठैया से।
इंगला-पिंगला ना, सखिया भेलै सपनमाँ, इंगला-पिंगला ना॥2॥
सुरत के सँचवा देलखिन, शब्द के खजवा से।
ले लेहो ना, सखिया थोरे-थोरे सब, ले लेहो ना॥3॥
ज्यों तोहें लेभो सखिया, येहो संदेसवा से।
तोरा ले जैथौं ना, पियवा आपनो नगरिया से, ले जैथौं ना॥4॥
‘रामदास’ के अरजी विनतिया सखिया, सुनि लेहो ना।
यह पियवा के संदेसवा सब कोय, ले लेहो ना॥5॥
सतगुरु शिष्य को सुधारै हो रामा रामेश्वरदास भजन / Satguru Shishya Ko Sudhaarai Rameshwardas Bhajan
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