श्याम मनहर से मन को लगाया नहीं बिन्दु जी भजन
Shyam Manhar Se Man Ko LagayaNahi Bindu Ji Bhajan
श्याम मनहर से मन को लगाया नहीं।
तो मज़ा तूने नर तन का पाया नहीं।
सुयश उनका श्रवण में समाया नहीं।
कीर्ति गुणगान उनका जो गाया नहीं॥
ध्यान में उनके यदि तू लुभाया नहीं।
तो मज़ा तूने नर तन का पाया नहीं॥
उनके अर्चन का अनुराग छाया नहीं।
द्वार पर उनके सिर को झुकाया नहीं॥
दास या मित्र उनका कहाया नहीं।
उनपर सर्वस्व अपना लुटाया नहीं॥
तो मज़ा तूने नर तन का पाया नहीं॥
प्रेम में उनके जीवन बिताया नहीं।
वेदनामय हृदय को बनाया नहीं।
अश्रु का ‘बिन्दु’ दृग से मिलाया नहीं।
उनकी विरहाग्नि में तन जलाया नहीं।
तो मज़ा तूने नर तन का पाया नहीं॥
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