रे मन! द्रुति श्वांस पुकार रही जय राम हरे घनश्याम हरे बिन्दु जी भजन

 Re Man!Druti Shwans Pukaar Rahi Jai Ram Hare Ghanashyam Hare Bindu Ji Bhajan

रे मन! द्रुति श्वांस पुकार रही जय राम हरे घनश्याम हरे।
तव नौका की पतवार यही जय राम हरे घनश्याम हरे॥
जग में व्यापक आधार यही, जग में लेता अवतार यही।
है निराकार साकार यही, जय राम हरे घनश्याम हरे॥
ध्रुवका का ध्रुव पद दातार यही, प्रहलाद गले का हार यही।
नारद वीणा का तार यही, जय राम हरे घनश्याम हरे॥
सब सुकृती का आगार यही, गंगा यमुना की धार यही।
जो रामेश्वर हरिद्वार यही जय राम हरे घनश्याम हरे॥
सज्जन का साहूकार यही प्रेमीजन का व्यापार यही।
सुख ‘बिन्दु’ सुधाका सार यही जय राम हरे घनश्याम हरे॥ 

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