रघुकुल प्रगटे हैं रघुबीर भजन भजन / Raghukul Pragte Hai Raghubir Bhajan Bhajan

 

रघुकुल प्रगटे हैं रघुबीर ।

देस देस से टीको आयो रतन कनक मनि हीर ।

घर घर मंगल होत बधाई भै पुरवासिन भीर ।

आनंद मगन होइ सब डोलत कछु ना सौध शरीर ।

मागध ब।दी सबै लुटावैं गौ गयंद हय चीर ।

देत असीस सूर चिर जीवौ रामचन्द्र रणधीर ।

Laal Kavi ki Rachnaen pad

रघुकुल प्रगटे हैं रघुबीर भजन भजन / पद/ मिश्रित रचना आपको कैसी लगी ?

Comments

Popular Posts

Ahmed Faraz Ghazal / अहमद फ़राज़ ग़ज़लें

अल्लामा इक़बाल ग़ज़ल /Allama Iqbal Ghazal

Ameer Minai Ghazal / अमीर मीनाई ग़ज़लें

मंगलेश डबराल की लोकप्रिय कविताएं Popular Poems of Manglesh Dabral

Ye Naina Ye Kajal / ये नैना, ये काजल, ये ज़ुल्फ़ें, ये आँचल

Akbar Allahabadi Ghazal / अकबर इलाहाबादी ग़ज़लें

Sant Surdas ji Bhajan lyrics संत श्री सूरदास जी के भजन लिरिक्स

Adil Mansuri Ghazal / आदिल मंसूरी ग़ज़लें

बुन्देली गारी गीत लोकगीत लिरिक्स Bundeli Gali Geet Lokgeet Lyrics

Mira Bai Ke Pad Arth Vyakhya मीराबाई के पद अर्थ सहित