मुरकि मुरकि चितवनि चित चोरै ललित किशोरी भजन
Murki Murki Chitvani ChitChorai Lalit Kishori Bhajan
मुरकि मुरकि चितवनि चित चोरै।
ठुमकि चलन हेरि दै बोलनि, पुलकनि नंदकिसोरै॥
सहरावनि गैयान चौंकनी, थपकन कर बनमाली।
गुहरावनि लै नाम सबनकौ धौरी धूमर आली॥
चुचकारनि चट झपटि बिचुकनी, हूँ हूँ रहौ रँगीली।
नियरावनि चोरवनि मगहीमें, झुकि बछियान छबीली॥
फिरकैयाँ लै निरत अलापन, बिच-बिच तान रसीली।
चितवनि ठिटुकि उढ़कि गैयासों, सीटी भरनि रसीली॥
चाँपन अधर सैन दै चंचल, नैनन मेलि कटारी।
जोरन कर हा हा करि मोहन, मुसकन ऐंड़ि बिहारी॥
बाँह उठाय उचकि पग टेरनि, इतै कितै हौ स्यामा।
निकसी नई आज तैं बनरिहु, मोरे ढिग अभिरामा॥
हरुवे खोर साँकरी जुवतिन, कहत गुलाम तिहारौ।
मिलियौ रैन मालती कुंजै तहँ पिक अरुन निहारौ॥
काहू झटक चीर लकुटीतें, काहू पगै दबावै।
काहू अंग परसि काहू तन, नैनन कोर नचावै॥
उरझत पट नूपुरसों पाछे झुकि झुकि कै सुरझावै।
ललितकिसोरी ललित लाड़िली दृग संकेत बतावै॥
बिंदु जी महाराज के भजन / पद / लिरिक्स Bindu Ji ke Bhajan /Pad /Lyrics
Comments
Post a Comment