मन माया को मारग झीनो।
ग्यानी गुनी थके मुनि जोगी लोक नगर गृह परतन चीनो।
रूप दिखाय बिहाय सबन को काम को डांड़ सौ लीनो।
खेलत फिरे अटेर जगत में गुला प्रकाश मोह बस कीनो।
जूड़ीराम जगत बस कीनो कोटन मधे एक प्रवीनो।
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