मन की मन में रहनी चाहिए बिन्दु जी भजन
Man Ki Man Mein Rahni Chahiye BinduJi Bhajan
मन की मन में रहनी चाहिए।
कहनी हो तो केवल मनमोहन से ही कहनी चाहिए॥
जो बीती सो बीती अब आगे की गहनी चाहिए।
जग के जो कुछ कहें सबको सुख से शनी चाहिए॥
पाप रेणु से भीति उठाई थी वह ढहनी चाहिए।
दीनदयाल कृपालु चरण शरण गति लहनी चाहिए॥
अब मन में आशा तृष्णा की कीच न रहनी चाहिए।
बहानी ही है तो प्रेम ‘बिन्दु’ की गंगा बहनी चाहिए॥
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