खेलत गगन ज्ञान मतवाला।
अधर अनूप पुरुष को डेरा है भरपूर अजब रंग शाला।
त्रिखूटी जोत निरंजन दीखे सोई गुण गावत वेद रसाला।
पूरनधाम नाम जिन चीनो निस दिन पियत अमी रस प्याला।
जूड़ीराम नाम के सुमरे व्यापत नहीं जगत के जाला।
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