कन्हैया प्यारे दुलारे मोहन बजाओ फिर अपनी प्यारी बंसी बिन्दु जी भजन
KanhaiyaPyare Dulare Mohan Bajao Fir Apni Pyari Bansi Bindu Ji Bhajan
कन्हैया प्यारे दुलारे मोहन बजाओ फिर अपनी प्यारी बंसी।
जो भक्त बेसुध हैं जो उठेंगे सुनेंगे जिस दम तुम्हारी बंसी॥
जो चलता दुष्टों का बार जग में जो बढ़ता पापों का भार जग में।
तो लेके कृष्णावतार जग में बजा दो मोहन मुरारी बंसी॥
सभी निशा मोह से जगे थे, स्वधर्म पालन में सब लगे थे।
सभी के दिल प्रेम में रंगे थे पर जब तुमने धारी बंसी।
कभी बनी बंसी प्रेम सूरत, कभी बनी बंसी ज्ञान मूरत।
पड़ी जो सत्कर्म कि जरूरत तो गीता बन कर पुकारी बंसी॥
कहे यमुना प्रेम ‘बिन्दु’ तन में, हों इन्द्रियां सब लगन में।
तो फिर इस दिल के वृन्दावन में बजायेंगे बांकेबिहारी बंसी॥
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