कबहूँ ऐसा बिरह उपावै रे दादू दयाल भजन Kabahun Aisa Birah Upave Re Dadu Dayal Bhajan
कबहूँ ऐसा बिरह उपावै रे।
पिव बिन देऐं जीव जावै रे॥टेक॥
बिपत हमारी सुनौ सहेली।
पिव बिन चैन न आवै रे॥
ज्यों जल मीन भीन तन तलफै।
पिव बिन बज्र बिहावै रे॥१॥
ऐसी प्रीति प्रेमको लागै।
ज्यों पंखी पीव सुनावै रे॥
त्यों मन मेरा रहै निसबासुर।
कोइ पीवकूँ आणि मिलावै रे॥२॥
तौ मन मेरा धीरज धरई।
कोइ आगम आणि जणावै रे॥
तौ सुख जीव दादूका पावै।
पल पिवजी आप दिखावै रे॥३॥
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