का लै जैबौ ससुर घर ऐबौ कबीर भजन / Ka Lai Jaibo Sasur Ghar Aibo Kabir Bhajan

 

का लै जैबौ, ससुर घर ऐबौ॥टेक॥
गाँव के लोग जब पूछन लगिहैं, तब तुम क रे बतैबी॥1॥
खोल घुँघट जब देखन लगिहैं, तब बहुतै सरमैबौ॥2॥
कहत कबीर सुनो भाई साधो, फिर सासर नहिं पैबौ॥3॥


Comments

Popular Posts

Ahmed Faraz Ghazal / अहमद फ़राज़ ग़ज़लें

अल्लामा इक़बाल ग़ज़ल /Allama Iqbal Ghazal

Ameer Minai Ghazal / अमीर मीनाई ग़ज़लें

मंगलेश डबराल की लोकप्रिय कविताएं Popular Poems of Manglesh Dabral

Ye Naina Ye Kajal / ये नैना, ये काजल, ये ज़ुल्फ़ें, ये आँचल

Akbar Allahabadi Ghazal / अकबर इलाहाबादी ग़ज़लें

Sant Surdas ji Bhajan lyrics संत श्री सूरदास जी के भजन लिरिक्स

Adil Mansuri Ghazal / आदिल मंसूरी ग़ज़लें

बुन्देली गारी गीत लोकगीत लिरिक्स Bundeli Gali Geet Lokgeet Lyrics

Mira Bai Ke Pad Arth Vyakhya मीराबाई के पद अर्थ सहित