हे हर मन द करहुँ प्रतिपाल,
सब बिधि बन्धलहुँ माया जाल।
हे हर मन।
सब दिन रहलहुँ अनके आस,
अब हम जायब केकरा पास।
हे हर मन।
बीतल बयस तीन पल मोरा,
धयल शरण शिव मापन तोरा।
हे हर मन।
यहाँ पढ़ें – विद्यापति का साहित्य / जीवन परिचय एवं अन्य रचनाएं
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हे हर मन द करहुँ प्रतिपाल,
सब बिधि बन्धलहुँ माया जाल।
हे हर मन।
सब दिन रहलहुँ अनके आस,
अब हम जायब केकरा पास।
हे हर मन।
बीतल बयस तीन पल मोरा,
धयल शरण शिव मापन तोरा।
हे हर मन।
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