हीरा जैसी श्वांस बातों में बीती जाय रे बिन्दु जी भजन
Heera Jaisi ShwansBaatein Mein Beeti Jay Re Bindu Ji Bhajan
हीरा जैसी श्वांस बातों में बीती जाय रे
मन राम कृष्ण बोल।
गंगा यमुना खूब नहाया गया न मन का मैल।
घर-धंधों में लगा हुआ है ज्यों कोल्हू का बैल॥
तेरे जीवन की आशा बातों में बीती जाय रे।
मन राम कृष्ण बोल।
किया न पौरुष आकर जग में दिया न कुछ भी दान।
तेरा-मेरा करता-करता निकल गया यह प्राण।
जैसे पानी बीच बताशा बातों में बीती जाय रे,
मन राम कृष्ण बोल।
पाप गठरिया सिर पर लादे रहा भटकता रोज,
प्रेम सहित राधा माधव का किया न कुछ भी खोज।
झूठा करता रहा तमाशा, बातों में बीती जाय रे,
मन राम कृष्ण बोल।
नस-नस में प्रीत, रोम-रोम में राम बसा है जान।
प्रकृत ‘बिन्दु’ के कण-कण में उसको तू पहचान॥
उससे मिलने की अभिलाषा बातों में बीती जाय रे,
मन राम कृष्ण बोल।
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