हरिजन बा मद के मतवारे।
जो मद बिना काठि बिनु भाठी, बिनु अगिनिहि उदगारे।
वास अकास घराघर भीतर, बूंद झरै झलकारे।
चमकत चंद अनंद बढ़े जिव, सब्द सघन निरूवारें।
बिनु कर धरे बिना मुख चाखे, बिनहि पियाले ढारे।
ताखन स्यार सिंह को पौरूष, जुत्थ गजंद बिडारे।
कोटि उपाय करे जो कोई, अमल न होत उतारें
धरनी जो अलमस्त दिवाने, सोइ सिरताज हमारे।
आदि अनादि मेरा सांई धरनीदास भजन / Aadi Anadi Mera Sain Dharnidas Bhajan
आदि अंत मेरा है राम धरनीदास भजन /Aadi Ant Mera Hai Ram Dharnidas Bhajan
कोऊ भयो मुंडिया संन्यासी कोऊ जोगी भयो धरनीदास भजन Kou Bhayo Mundiya Sannyasi Dharnidas Bhajan
No comments:
Post a Comment