हरदम माल जुगत से फेरो।
या माला मोहि सतगुरु दीनी चीन्ही राह मुक्त यह हेरो।
निसिदिन जपत सिपत कर गुरु की आयो हृदय गुरु ज्ञान घनेरो।
जागी सुरत शबद धुनि सुने भागो सकल विखाद बसेरो।
जूड़ीराम सतगुरु की महिमा है विश्राम और नहिं बेरो।
हिंदी कवि पर कविता, कहानी, ग़ज़ल - शायरी, गीत -लोकगीत, दोहे, भजन, हास्य - व्यंग्य और कुछ अन्य रचनाएं साहित्य के भंडार से
हरदम माल जुगत से फेरो।
या माला मोहि सतगुरु दीनी चीन्ही राह मुक्त यह हेरो।
निसिदिन जपत सिपत कर गुरु की आयो हृदय गुरु ज्ञान घनेरो।
जागी सुरत शबद धुनि सुने भागो सकल विखाद बसेरो।
जूड़ीराम सतगुरु की महिमा है विश्राम और नहिं बेरो।
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