Hajir Sarkar Janon Ke Liye Bindu JiBhajan
हाजिर सरकार जनों के लिए।
निराकार निर्गुण होकर भी बन जाते साकार जनों के लिए।
दुर्योधन के महल त्याग कर गये विदुर द्वार जनों के लिए॥
निज साकेत विहार छोड़कर प्रगटे कारागार जनों के लिए।
राज्य त्याग कर वन-वन भटके जगतपति जगदाधार जनों के लिए॥
जख्मी हुंडी हेतु बन गये साँवले साहूकार जनों के लिए।
अश्रु ‘बिन्दु” माला को प्रभु ने कर लिया मुक्ताहार जनों के लिए॥
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