हाँ रे! नसरल हटिया उसरी गेलै रे दइवा कबीर भजन / Haan Re! Nasral Hatia Kabir Bhajan

 

॥समदन॥

हाँ रे! नसरल हटिया उसरी गेलै रे दइवा,
उसरी गेलै रे दइवा रे, सौदा किछु करियो न भेल॥
हाँ रे! यही परदेशिया से जनि जोड़ पीरीतिया,
जनि जोड़ पीरीतिया, बिछुड़त विलँब न होय॥
हाँ रे! एक तो बिछुड़ल दूध से मखनवाँ हो,
दूध से मखनवाँ हो, फेरो नहिं दूध में समाय॥
हाँ रे! दोसरो जे बिछुड़ल, डालि से पल्लव,
डालि से पल्लव, फेरो नहीं डालि मंे समाय॥
हाँ रे! तेसरो जे बिछुड़ल, काया से हंसा हो,
काया से हंसा हो, फेरो नहीं काया में समाय॥
हाँ रे! अपन-अपन सँवर बाँधू हे सखिया,
हाँ रे! साहब कबीर येहो गैलन समदोनिया,
गैलन समदोनिया, संतो जन लेहु न विचार॥


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