गुरु चरनन मे शीश झुकाले भजन / भजन Guru Charanan Mein Sheesh Jhukale Bhajan / Bhajan

 

गुरु चरनन मे शीश झुकाले
जनम सफल हो जायेगा

गुरुदर्शन से बिन माँगे ही
कृपा राम की पायेगा

जनम सफ़ल हो जायेगा

गुरु चरनन में शीश झुका ले

चहु दिश गहन अन्धेरा छाया
पग पग भरमाती है माया

राम नाम की ज्योति जगेगी
अन्धकार मिट जायेगा

गुरु चरनन में शीश झुका ले

गुरु आदेश मान मन मेरे
ध्यान जाप चिन्तन कर ले रे

जनम जनम के पाप कटेंगे
मोक्ष द्वार खुल जायेगा

गुरु चरनन में शीश झुका ले
जन्म सफ़ल हो जायेगा

Laal Kavi ki Rachnaen pad

गुरु चरनन मे शीश झुकाले भजन भजन / पद/ मिश्रित रचना आपको कैसी लगी ?

Comments

Popular Posts

Ahmed Faraz Ghazal / अहमद फ़राज़ ग़ज़लें

अल्लामा इक़बाल ग़ज़ल /Allama Iqbal Ghazal

Ameer Minai Ghazal / अमीर मीनाई ग़ज़लें

मंगलेश डबराल की लोकप्रिय कविताएं Popular Poems of Manglesh Dabral

Ye Naina Ye Kajal / ये नैना, ये काजल, ये ज़ुल्फ़ें, ये आँचल

Akbar Allahabadi Ghazal / अकबर इलाहाबादी ग़ज़लें

Sant Surdas ji Bhajan lyrics संत श्री सूरदास जी के भजन लिरिक्स

Adil Mansuri Ghazal / आदिल मंसूरी ग़ज़लें

बुन्देली गारी गीत लोकगीत लिरिक्स Bundeli Gali Geet Lokgeet Lyrics

Mira Bai Ke Pad Arth Vyakhya मीराबाई के पद अर्थ सहित