भूलन परी मर्म की भारी।
बिन देखे विशेष नहिं आबे मारग थाको राह उजारी।
जो मन मालमस्त तन हीतै जागे नहीं जगावत हारी।
उरझो आप जगत उरझायो आद अंत लो मत विस्तारी।
प्रतमा पूज जूझ में अटको भटक फिरो नहिं कीन चिन्हारी।
जूड़ीराम नाम बिन जाने खाने चार चलों तनहारी।
हिंदी कवि पर कविता, कहानी, ग़ज़ल - शायरी, गीत -लोकगीत, दोहे, भजन, हास्य - व्यंग्य और कुछ अन्य रचनाएं साहित्य के भंडार से
भूलन परी मर्म की भारी।
बिन देखे विशेष नहिं आबे मारग थाको राह उजारी।
जो मन मालमस्त तन हीतै जागे नहीं जगावत हारी।
उरझो आप जगत उरझायो आद अंत लो मत विस्तारी।
प्रतमा पूज जूझ में अटको भटक फिरो नहिं कीन चिन्हारी।
जूड़ीराम नाम बिन जाने खाने चार चलों तनहारी।
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