भीजत श्याम कुञ्जन में दोऊ अटके बिन्दु जी भजन
Bhijat Shyam Kunjan Mein DooAatke Bindu Ji Bhajan
भीजत श्याम कुञ्जन में दोऊ अटके।
प्रिय पाहुने भये विपटन के, पावन सरयू तट के।
पवन झकझोर लली मुख मोरति छिपत छोर पिय पट के॥
युगल स्वरूप अनूप छटा लखि रति मनोज मन भटके।
इक टक छवि रस ‘बिन्दु’ पियत दृग पलभर हटत न हटके॥
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