तेरे अँगना में पियवा ठाढ़ रामेश्वरदास भजन / Tere Angana Mein Piyawa Rameshwardas Bhajan
तेरे अँगना में पियवा ठाढ़, सुहागिन चेत करो॥
खोलु खोलु तुम घर के केवड़िया, पियवा से करो मेल॥
प्रेम का पात्र प्रेम का पानी, प्रेम से चरन पखारो॥
प्रेम का मढ़ी प्रेम का आसन, प्रेम से पिया बैठावो॥
प्रेम का चावल प्रेम की दाली, प्रेम से रसोय बनावो॥
प्रेम की थाली प्रेम का पारस, प्रेम से भोजन करावो॥
प्रेम का पात्र प्रेम का पानी, प्रेम से हाथ धुलावो॥
प्रेम का लौंग प्रेम सुपाड़ी, प्रेम का पान खिलावो॥
प्रेम का पतंग प्रेम बिछावन, प्रेम से पिया सुलावो॥
प्रेम का तेल प्रेम का मालिश, प्रेम से चरन दबावो॥
‘रामदास’ भजो मेँहीँ पियवा, पल-पल सुरत लगावो॥
सतगुरु शिष्य को सुधारै हो रामा रामेश्वरदास भजन / Satguru Shishya Ko Sudhaarai Rameshwardas Bhajan
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