प्रबल प्रेम के पाले पड़ कर भजन भजन / Bhajan Prabal Prem Ke Paale Pad Kar Bhajan Bhajan

 

प्रबल प्रेम के पाले पड़ कर प्रभु को नियम बदलते देखा .
अपना मान भले टल जाये भक्त मान नहीं टलते देखा ..

जिसकी केवल कृपा दृष्टि से सकल विश्व को पलते देखा .
उसको गोकुल में माखन पर सौ सौ बार मचलते देखा ..

जिस्के चरण कमल कमला के करतल से न निकलते देखा .
उसको ब्रज की कुंज गलिन में कंटक पथ पर चलते देखा ..

जिसका ध्यान विरंचि शंभु सनकादिक से न सम्भलते देखा .
उसको ग्वाल सखा मंडल में लेकर गेंद उछलते देखा ..

जिसकी वक्र भृकुटि के डर से सागर सप्त उछलते देखा .
उसको माँ यशोदा के भय से अश्रु बिंदु दृग ढ़लते देखा ..

Laal Kavi ki Rachnaen pad

प्रबल प्रेम के पाले पड़ कर भजन भजन / पद/ मिश्रित रचना आपको कैसी लगी ?

Comments

Popular Posts

Ahmed Faraz Ghazal / अहमद फ़राज़ ग़ज़लें

अल्लामा इक़बाल ग़ज़ल /Allama Iqbal Ghazal

Ameer Minai Ghazal / अमीर मीनाई ग़ज़लें

मंगलेश डबराल की लोकप्रिय कविताएं Popular Poems of Manglesh Dabral

Ye Naina Ye Kajal / ये नैना, ये काजल, ये ज़ुल्फ़ें, ये आँचल

Akbar Allahabadi Ghazal / अकबर इलाहाबादी ग़ज़लें

Sant Surdas ji Bhajan lyrics संत श्री सूरदास जी के भजन लिरिक्स

Adil Mansuri Ghazal / आदिल मंसूरी ग़ज़लें

बुन्देली गारी गीत लोकगीत लिरिक्स Bundeli Gali Geet Lokgeet Lyrics

Mira Bai Ke Pad Arth Vyakhya मीराबाई के पद अर्थ सहित