न शुभ कर्म धर्मादि धारी हूँ भगवन बिन्दु जी भजन

  Bhajan Na Shubh Karm DharmadiDhari Hoon Bhagwan Bindu Ji Bhajan

न शुभ कर्म धर्मादि धारी हूँ भगवन!
तुम्हारी दया का भिखारी हूँ भगवन
न विद्या न बल है न सुंदर सुरति है,
न जप न तप हिया न सदज्ञान गति है,
न भवदीय चरणों में श्रद्धा सुमति है,
दुराशामयी दुष्चरित की प्रकृति है॥
 अधम हूँ अकल्याणकारी हूँ भगवन।
 तुम्हारी दया का भिखारी हूँ भगवन॥
जो अनमोल नर जन्म था हमने पाया,
उसे तुच्छ विषयादिकों में गँवाया,
न परलोक का दिव्य साधन कमाया,
किसी के न इस लोक में काम आया॥
 वृथा भूमि का भार भारी हूँ भगवन।
 तुम्हारी दया का भिखारी हूँ भगवन॥
किसी का न उपदेश कुछ मानता हूँ,
न अपने सिवा और को जानता हूँ,
कथन शुद्ध सिद्धान्तमय छानता हूँ,
सभी से सदा दम्भ हठ ठानता हूँ॥
 कठिन क्रूर दंडाधिकारी हूँ भगवन।
 तुम्हारी दया का भिखारी हूँ भगवन॥
विकृति वृत्ति है पूर्व कृत कर्म फल में,
पड़ा आवरण शुद्ध चेतन विमल में,
बँधी आत्मसत्ता अविद्या प्रबल में,
मन मृग फँसा मृग तृषा ‘बिन्दु’ जल में॥
 महादीन दुर्बल दुखारी हूँ भगवन।
 तुम्हारी दया का भिखारी हूँ भगवन॥ 

Comments

Popular Posts

Ahmed Faraz Ghazal / अहमद फ़राज़ ग़ज़लें

अल्लामा इक़बाल ग़ज़ल /Allama Iqbal Ghazal

Ameer Minai Ghazal / अमीर मीनाई ग़ज़लें

मंगलेश डबराल की लोकप्रिय कविताएं Popular Poems of Manglesh Dabral

Ye Naina Ye Kajal / ये नैना, ये काजल, ये ज़ुल्फ़ें, ये आँचल

Akbar Allahabadi Ghazal / अकबर इलाहाबादी ग़ज़लें

Sant Surdas ji Bhajan lyrics संत श्री सूरदास जी के भजन लिरिक्स

Adil Mansuri Ghazal / आदिल मंसूरी ग़ज़लें

बुन्देली गारी गीत लोकगीत लिरिक्स Bundeli Gali Geet Lokgeet Lyrics

Mira Bai Ke Pad Arth Vyakhya मीराबाई के पद अर्थ सहित