जो सुक सकी पीव अपने में।
तज विभिचार विचार समझ कर सुरत समार नाम जपने में।
है अहिवात राज पिय के संग जो तन जात रैन सपने में।
जलन जाय तन ताप दूर कर भयो सुहाग शबद रचने में।
जूड़ीराम प्रीत प्रीतम सों निर्त किया तव क्या कपने में।
हिंदी कवि पर कविता, कहानी, ग़ज़ल - शायरी, गीत -लोकगीत, दोहे, भजन, हास्य - व्यंग्य और कुछ अन्य रचनाएं साहित्य के भंडार से
जो सुक सकी पीव अपने में।
तज विभिचार विचार समझ कर सुरत समार नाम जपने में।
है अहिवात राज पिय के संग जो तन जात रैन सपने में।
जलन जाय तन ताप दूर कर भयो सुहाग शबद रचने में।
जूड़ीराम प्रीत प्रीतम सों निर्त किया तव क्या कपने में।
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