जो पे शबद नहीं मन रांचो।
करत ज्ञान अभिमान मान मद है संजोग जोग नहीं सांचो।
लीन्हों भेख कोई बिसराओ कियो जोग जप तप सब कांचो।
भूली कहन गहन न आई नाम रतन बिन घर-घर नांचो।
जूड़ीराम सरन सतगुरु को और उपाय मर्म नहि बाचो।
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