जमुनाके तीर बन्सरी बजावे कानो सूरदास भजन / Bhajan Jamuna Ke Teer Bansuri Bajave Kano Surdas Bhajan

 

जमुनाके तीर बन्सरी बजावे कानो ॥ज०॥ध्रु०॥
बन्सीके नाद थंभ्यो जमुनाको नीर खग मृग।
धेनु मोहि कोकिला अनें किर ॥बं०॥१॥
सुरनर मुनि मोह्या रागसो गंभीर ।
धुन सुन मोहि गोपि भूली आंग चीर ॥बं०॥२॥
मारुत तो अचल भयो धरी रह्यो धीर ।
गौवनका बच्यां मोह्यां पीवत न खीर ॥बं०॥३॥
सूर कहे श्याम जादु कीन्ही हलधरके बीर ।
सबहीको मन मोह्या प्रभु सुख सरीर ॥ब०॥४॥

Laal Kavi ki Rachnaen pad

जमुनाके तीर बन्सरी बजावे कानो सूरदास भजन / पद/ मिश्रित रचना आपको कैसी लगी ?

Comments

Popular Posts

Ahmed Faraz Ghazal / अहमद फ़राज़ ग़ज़लें

अल्लामा इक़बाल ग़ज़ल /Allama Iqbal Ghazal

Ameer Minai Ghazal / अमीर मीनाई ग़ज़लें

मंगलेश डबराल की लोकप्रिय कविताएं Popular Poems of Manglesh Dabral

Ye Naina Ye Kajal / ये नैना, ये काजल, ये ज़ुल्फ़ें, ये आँचल

Akbar Allahabadi Ghazal / अकबर इलाहाबादी ग़ज़लें

Sant Surdas ji Bhajan lyrics संत श्री सूरदास जी के भजन लिरिक्स

Adil Mansuri Ghazal / आदिल मंसूरी ग़ज़लें

बुन्देली गारी गीत लोकगीत लिरिक्स Bundeli Gali Geet Lokgeet Lyrics

Mira Bai Ke Pad Arth Vyakhya मीराबाई के पद अर्थ सहित