जयजय नारायण ब्रह्मपरायण सूरदास भजन / Bhajan Jai-Jai Narayan Brahmaparayan Surdas Bhajan

 

जयजय नारायण ब्रह्मपरायण श्रीपती कमलाकांत ॥ध्रु०॥
नाम अनंत कहां लगी बरनुं शेष न पावे अंत ।
शिव सनकादिक आदि ब्रह्मादिक सूर मुनिध्यान धरत ॥ जयजय० ॥१॥
मच्छ कच्छ वराह नारसिंह प्रभु वामन रूप धरत ।
परशुराम श्रीरामचंद्र भये लीला कोटी करत ॥ जयजय० ॥२॥
जन्म लियो वसुदेव देवकी घर जशूमती गोद खेलत ।
पेस पाताल काली नागनाथ्यो फणपे नृत्य करत ॥ जयजय० ॥३॥
बलदेव होयके असुर संहारे कंसके केश ग्रहत ।
जगन्नाथ जगमग चिंतामणी बैठ रहे निश्चत ॥ जयजय० ॥४॥
कलियुगमें अवतार कलंकी चहुं दिशी चक्र फिरत ।
द्वादशस्कंध भागवत गीता गावे सूर अनंत ॥ जयजय० ॥५॥

Laal Kavi ki Rachnaen pad

जयजय नारायण ब्रह्मपरायण सूरदास भजन / पद/ मिश्रित रचना आपको कैसी लगी ?

Comments

Popular Posts

Ahmed Faraz Ghazal / अहमद फ़राज़ ग़ज़लें

अल्लामा इक़बाल ग़ज़ल /Allama Iqbal Ghazal

Ameer Minai Ghazal / अमीर मीनाई ग़ज़लें

मंगलेश डबराल की लोकप्रिय कविताएं Popular Poems of Manglesh Dabral

Ye Naina Ye Kajal / ये नैना, ये काजल, ये ज़ुल्फ़ें, ये आँचल

Akbar Allahabadi Ghazal / अकबर इलाहाबादी ग़ज़लें

Sant Surdas ji Bhajan lyrics संत श्री सूरदास जी के भजन लिरिक्स

Adil Mansuri Ghazal / आदिल मंसूरी ग़ज़लें

बुन्देली गारी गीत लोकगीत लिरिक्स Bundeli Gali Geet Lokgeet Lyrics

Mira Bai Ke Pad Arth Vyakhya मीराबाई के पद अर्थ सहित