जब तें आयो सरन राम के।
भगो विवाद कल्पना जीव की पचि-पचि रट बस एक नाम के।
उर आनंद कंद सब छूटो तिमिर नास भयो उदै भान के।
दुविदा दूर भयी सब तन की मन बैठी आनंद धाम के।
जूड़ीराम काम भयो पूरन आठ पहर धुन ध्यान धाम के।
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