दुनिया में दो दिन की जिन्दगी का खेल बा सतपाल भजन / Bhajan Duniya Mein Do Din Ki Zindagi Ka Khel Ba Satpal Bhajan

 

दुनिया में दो दिन की जिन्दगी का खेल बा।
झमेल कौन काम के, जायके अकेल बा॥झमेल.॥
जोश जवानी एक दिन ढल जैहैं पगला।
तन से हंस जब निकल जैहैं पगला॥
हम-हम करके विचार तोहर फेल बा॥झमेल.॥
सपना के अपना तू मनवाँ में धै ल।
बिगड़ल बतिया के ना तू समझ ल॥
छूट जैहैं गाड़ी तूफान रेल मेल बा॥झमेल.॥
जान परतीत प्रीति कर ल तूँ हंस से।
भगति के मरम भैया जान ल तूँ संत से॥
तोर मोर के बाबरा बेकार के दलेल बा॥झमेल.॥
श्रीसतपालजी यही समझाए, नर तन के तूँकदर न जाने।
ना जाने दियना में कितना है तेल बा॥झमेल.॥

Laal Kavi ki Rachnaen pad

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